नई दिल्ली,24 अप्रैल (युआईटीवी)- जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई,जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। भारत सरकार ने इस हमले को बेहद गंभीरता से लिया है और पाकिस्तान के खिलाफ कई स्तरों पर कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। हमले की जिम्मेदारी भले ही किसी संगठन ने औपचारिक रूप से न ली हो,लेकिन खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह हमला पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) द्वारा अंजाम दिया गया है।
इस हमले के खिलाफ भारत सरकार ने डिजिटल स्तर पर भी प्रतिक्रिया दी है। हमले के बाद पाकिस्तान सरकार के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल,विशेष रूप से एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर मौजूद सरकारी खातों को ब्लॉक कर दिया गया है। यह कदम न सिर्फ कड़ा संदेश देने के लिए उठाया गया है,बल्कि यह आतंकवाद के प्रचार और झूठी सूचनाओं के प्रसार को रोकने की दिशा में एक निर्णायक पहल मानी जा रही है।
हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद मोर्चा संभालते हुए बुधवार को कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) की आपात बैठक बुलाई। यह बैठक दो घंटे से अधिक चली,जिसमें विदेश मंत्री एस.जयशंकर,रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह,गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल समेत कई शीर्ष अधिकारी मौजूद रहे। बैठक में आतंकवाद के खिलाफ तत्काल और दीर्घकालिक रणनीतियों पर चर्चा की गई।
बैठक के बाद सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े राजनयिक कदम उठाए। नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग में तैनात रक्षा,सेना,नौसेना और वायुसेना के सलाहकारों को ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ घोषित करते हुए एक सप्ताह के भीतर भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। इसके साथ ही भारत ने इस्लामाबाद स्थित अपने उच्चायोग से इन्हीं क्षेत्रों के भारतीय अधिकारियों को भी तत्काल प्रभाव से वापस बुलाने का फैसला लिया है।
इसके अतिरिक्त,दोनों देशों के उच्चायोगों में काम कर रहे कुल कर्मचारियों की संख्या घटाकर 55 से 30 कर दी गई है। यह निर्णय 1 मई 2025 से प्रभावी होगा और इसका उद्देश्य द्विपक्षीय राजनयिक उपस्थिति को न्यूनतम करना है।
भारत ने 1960 में हुई सिंधु जल संधि को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। यह संधि भारत और पाकिस्तान के बीच जल बँटवारे की व्यवस्था सुनिश्चित करती थी,लेकिन आतंकवाद के समर्थन में पाकिस्तान की भूमिका को देखते हुए भारत ने यह कदम उठाया है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार से आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता,यह निलंबन जारी रहेगा।
भारत ने अटारी इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (आईसीपी) को भी बंद करने का फैसला लिया है,जो भारत और पाकिस्तान के बीच सबसे प्रमुख स्थलीय मार्गों में से एक है। इसके अंतर्गत भारत में मौजूद सभी वैध दस्तावेज वाले पाकिस्तानी नागरिकों को 1 मई 2025 तक स्वदेश लौटने का निर्देश दिया गया है। इस तारीख के बाद दोनों देशों के बीच सभी स्थलीय आवाजाही अनिश्चितकाल तक बंद रहेगी।
भारत सरकार ने पाकिस्तान के नागरिकों को दी जा रही सार्क वीजा छूट योजना (एसवीईएस) को भी तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है। इस योजना के तहत भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया गया है। इसके तहत जारी किए गए सभी वीजा स्वतः रद्द माने जाएँगे।
हमले के बाद राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) की एक विशेष टीम को पहलगाम भेजा गया है,जो हमले की गहराई से जाँच कर रही है। सुरक्षा एजेंसियों को भी उच्चतम स्तर की सतर्कता बनाए रखने का निर्देश दिया गया है। जम्मू-कश्मीर में विशेष सर्च ऑपरेशन्स चलाए जा रहे हैं,ताकि हमले में शामिल आतंकियों को शीघ्र पकड़ा जा सके।
भारत ने आतंकवाद के प्रति अपनी जीरो टॉलरेंस नीति को फिर से स्पष्ट किया है। सरकार ने कहा है कि वह न केवल हमलों को अंजाम देने वाले आतंकियों को,बल्कि उनके प्रायोजकों और समर्थन देने वालों को भी न्याय के कटघरे में लाएगा। अधिकारियों ने हाल ही में तहव्वुर राणा जैसे आतंकवादियों के प्रत्यर्पण का हवाला देते हुए कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ राजनयिक मुहिम और कानूनी लड़ाई को और तेज करेगा।