भारत बायोटेक कोवैक्सीन के चरण 3 के अध्ययन के लिए भर्ती संपन्न

नई दिल्ली, 7 जनवरी (युआईटीवी/आईएएनएस)| हैदराबाद स्थित वैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक ने अपने कोविड वैक्सीन, कोवैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षणों के लिए स्वयंसेवकों की भर्ती गुरुवार को संपन्न कर ली है। कंपनी ने कुल स्वयंसेवकों की लक्षित संख्या हासिल कर ली है, जो कुल 25,800 प्रतिभागियों की हैं।

इस भर्ती का समापन 31 दिसंबर तक होना था, लेकिन उस समय 4,000 स्वयंसेवकों की कमी के कारण इसे एक सप्ताह बढ़ा दिया गया था।

सामुदायिक चिकित्सा के प्रमुख और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में ट्रायल के प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर संजय कुमार राय ने आईएएनएस को बताया कि चरण के अध्ययन के लिए भर्ती अभी बंद है।

निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, हैदराबाद में कोवैक्सिन के तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के मुख्य इंवेस्टिगेटर डॉ. सी. प्रभाकर रेड्डी ने कहा कि कुछ साइट कुछ संख्याओं की वजह से अपने अपने व्यक्तिगत लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाए।

उन्होंने कहा, हालांकि, जिन साइटों ने अपना लक्ष्य हासिल किया, उन्होंने इसके लिए मुआवजा दिया गया।

जबकि कई साइटों ने चरण 3 के अध्ययन के लिए स्वयंसेवकों को खोजने के लिए संघर्ष किया, कुछ साइटों ने उन्हें बहुतायत में पंजीकृत किया। एम्स पटना ने कौवैक्सीन के लिए क्लिनिकल साइटों के लिए तय 1000 व्यक्तिगत लक्ष्य के बावजूद लगभग 1,400 विषयों को लिया।

आईएएनएस ने पहले बताया था कि एम्स दिल्ली और कई अन्य क्लिनिकल साइट स्वयंसेवकों की कमी का सामना कर रहे हैं क्योंकि लोग इस अभ्यास में भाग लेने के लिए तैयार नहीं थे।

कोवैक्सीन के तीसरे चरण के अध्ययन के लिए शुरू में देशभर में 25 क्लिनिकल साइटों का चयन किया गया था, लेकिन स्वयंसेवकों की संख्या की कमी की वजह से दिसंबर के आखिरी महीने में इसकी संख्या को बढ़ाया गया।

गोवा के रेडकर अस्पताल में परीक्षण के को-इंवेस्टिगेटर डॉ. धनंजय लाड ने आईएएनएस को बताया कि परीक्षण लगभग 30 क्लिनिकल साइटों तक बढ़ाया गया है।

उन्होंने कहा, कई कारणों की वजह से कुछ साइटों को भी हटा दिया गया था। इसका एक कारण यह था कि यहां प्रतिभागियों की न्यूनतम संख्या भी पूरी नहीं हो पा रही थी।”

कोवैक्सीन को भारत के ड्रग रेगुलेटर द्वारा प्रतिबंधित आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी दी गई है। हालांकि वैक्सीन की प्रभावकारिता का निर्धारण किया जाना बाकी है, लेकिन इसे ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) द्वारा सार्वजनिक हित का हवाला देते हुए आगे बढ़ाया गया है।

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