नई दिल्ली, 5 अगस्त (युआईटीवी/आईएएनएस)| केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने लखनऊ में बैंक धोखाधड़ी मामले में महाराष्ट्र से तीन फरार आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
सीबीआई के एक प्रवक्ता ने बताया कि गौरव सागर गुप्ता को पुणे से जबकि वैभव गुप्ता और उषा गुप्ता को मुंबई से गिरफ्तार किया गया। तीनों को लखनऊ की एक अदालत में पेश किया गया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
सीबीआई ने 13 दिसंबर, 2007 को तीन गिरफ्तार आरोपियों और लखनऊ में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों सहित 12 अन्य आरोपियों के खिलाफ मंजूरी और संवितरण से जुड़े मामले में अन्य के साथ साजिश में शामिल होने का मामला दर्ज किया था। इन पर जाली और फर्जी दस्तावेजों के साथ आवास ऋण और सीसीएच सीमा को मंजूरी देने के संबंध में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
उन्होंने कहा कि यूनियन बैंक को 201.59 लाख रुपये और सेंट्रल बैंक को 49.40 लाख रुपये का कथित नुकसान हुआ है।
यह भी आरोप लगाया गया है कि यूनियन बैंक से आठ आवास ऋण, सेंट्रल बैंक से तीन आवास ऋण और यूनियन बैंक से अर्ध-निर्मित फ्लैटों की खरीद के लिए छह सीसीएच सीमा/सावधि ऋण स्वीकृत किए गए थे, लेकिन आरोपी ने ऋण राशि को डायवर्ट कर दिया।
यह भी आरोप लगाया गया है कि ये आवास ऋण अभियुक्तों द्वारा फर्जी एलटीआर, गैर-मौजूदा फर्मों के बिल आदि के बल पर प्राप्त किए गए थे और काम को गलत तरीके से दिखाया गया था। स्वीकृत ऋणों को गलत तरीके से हासिल किया गया था।
अधिकारी ने बताया कि जांच के बाद अप्रैल 2010 में दोनों बैंकों के तत्कालीन अधिकारियों और निजी व्यक्तियों सहित 15 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया था।
तीनों आरोपी 30 अप्रैल, 2010 को उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के बाद से लखनऊ में ट्रायल कोर्ट के समक्ष उपस्थित नहीं हो रहे थे, और इसने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया और उनके खिलाफ 14 अक्टूबर 2019 को गैर-जमानती वारंट जारी किया गया।
उन्होंने कहा कि सीबीआई ने 28 दिसंबर, 2007 को गौरव सागर गुप्ता और पंजाब नेशनल बैंक, लखनऊ के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया था।
आरोप है कि लखनऊ के रहने वाले आरोपी ने पीएनबी के अधिकारियों के साथ साजिश कर जाली दस्तावेजों के आधार पर 12.80 लाख रुपये का आवास ऋण लिया और उक्त राशि वापस नहीं करने से बैंक को नुकसान हुआ।
दूसरे मामले में चार आरोपियों के खिलाफ जनवरी 2010 में चार्जशीट दाखिल की गई थी।