नई दिल्ली,10 जनवरी (युआईटीवी)- 12वीं कक्षा के एक नाबालिग छात्र को दिल्ली पुलिस ने हाल ही में बम की धमकी वाले ई-मेल भेजने के आरोप में हिरासत में लिया है। इस छात्र ने 23 स्कूलों को धमकी भरे ई-मेल भेजे थे,जिससे सुरक्षा बलों और प्रशासन में हड़कंप मच गया। पुलिस की प्रारंभिक जाँच के अनुसार,यह छात्र परीक्षा नहीं देना चाहता था,इसलिए उसने यह कदम उठाया। उसने कई स्कूलों को बम की धमकी वाले ई-मेल भेजे,ताकि उसे परीक्षा से छुटकारा मिल सके।
कुछ सप्ताह पहले,दिल्ली में कई स्कूलों को बम की धमकियाँ मिली थीं,जिससे प्रशासन में घबराहट फैल गई थी। हालाँकि,पुलिस ने इन धमकियों की जाँच की और कुछ भी संदिग्ध नहीं पाया,लेकिन लगातार हो रही धमकियों ने पुलिस और शिक्षा विभाग के लिए चिंता का कारण बना दिया। इस दौरान पुलिस और शिक्षा विभाग ने मिलकर स्कूल के शिक्षकों के लिए एक सेमिनार आयोजित किया,जिसमें उन्हें किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया गया।
स्कूल को तो बम से उड़ाने की धमकी दी ही गई थी,इसके साथ ही कई एयरलाइनों को भी बम की धमकियाँ मिली थीं। दिल्ली के द्वारका क्षेत्र में 20 दिसंबर को दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) को बम की धमकी मिली थी,जबकि दिल्ली के 40 से अधिक स्कूलों को बीते साल 11 दिसंबर को फिरौती की माँग करने वाली धमकियाँ भेजी गई थीं। हालाँकि,इन सभी धमकियों के दौरान किसी भी जगह विस्फोटक सामग्री नहीं मिली थी। इसी महीने,दक्षिण दिल्ली के इंडियन पब्लिक स्कूल और उत्तर पश्चिम दिल्ली के क्रिसेंट पब्लिक स्कूल को भी बम की धमकियाँ मिली थीं,जिससे दहशत का माहौल बन गया था।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने इन धमकियों को गंभीरता से लिया और दिल्ली सरकार तथा दिल्ली पुलिस को इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए एक विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का निर्देश दिया। अदालत ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे भविष्य में किसी भी प्रकार के खतरों के प्रति त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए जनवरी 2024 तक एक व्यापक कार्य योजना प्रस्तुत करें।
पुलिस की जाँच में यह भी सामने आया कि छात्र ने 23 स्कूलों को एक साथ धमकी भरे ई-मेल भेजे थे। उसने विभिन्न स्कूलों को मेल भेजने का तरीका अपनाया,ताकि उस पर शक न किया जा सके। इससे यह साफ हो गया कि छात्र ने जानबूझकर कई जगहों पर धमकी दी थी,ताकि उसका पहचानना मुश्किल हो सके।
यह घटना दिल्ली में बढ़ती सुरक्षा चिंताओं को और अधिक उजागर करती है, खासकर स्कूलों और सार्वजनिक स्थलों पर होने वाली धमकियों को लेकर। अधिकारियों के लिए यह एक चुनौती बन गया है,क्योंकि इस तरह की घटनाओं से न केवल लोगों में डर और घबराहट फैलती है, बल्कि प्रशासन को भी अपनी तैयारियों को और मजबूत करने की आवश्यकता महसूस होती है।