वाशिंगटन,24 अक्टूबर (युआईटीवी)- उत्तर कोरिया और रूस के बीच बढ़ते सैन्य सहयोग पर हाल ही में एक गंभीर दावा सामने आया है, जिसमें बताया गया है कि इस महीने की शुरुआत में उत्तर कोरिया ने कम-से-कम 3,000 सैनिक पूर्वी रूस में भेजे हैं। यह दावा व्हाइट हाउस के सीनियर अधिकारी जॉन किर्बी ने किया है। उन्होंने एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान इस विषय पर अमेरिका का आकलन प्रस्तुत किया। इससे पहले ऐसा ही दावा सोल की तरफ से भी किया जा चुका है।
योनहाप समाचार एजेंसी के मुताबिक,राष्ट्रीय सुरक्षा संचार सलाहकार जॉन किर्बी ने इस बात की जानकारी दी कि प्योंगयांग ने अक्टूबर के पहले से लेकर मध्य तक के समय में इन सैनिकों को जहाज द्वारा रूस भेजा।
हालाँकि, किर्बी ने जोर देकर कहा कि फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि इन सैनिकों का असली मिशन क्या है। उनका कहना है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियाँ इस मुद्दे पर गहराई से नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने आगाह किया कि यदि इन सैनिकों को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में लगाया गया,तो उनमें से कुछ हताहत हो सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका को आशंका है कि उत्तर कोरियाई सैनिक रूस के मिलिट्री ट्रेनिंग कैंप में फिलहाल ट्रेनिंग ले रहे हैं और आगे चलकर उन्हें यूक्रेनी सेना के खिलाफ लड़ाई में शामिल किया जा सकता है।
अमेरिकी विश्लेषण सोल की प्रमुख खुफिया एजेंसी के आकलन से मेल खाता है। सोल ने भी दावा किया था कि लगभग 3,000 उत्तर कोरियाई सैनिकों को रूस भेजा गया है। सोल का आकलन है कि दिसंबर तक यह संख्या बढ़कर 10,000 हो सकती है। इस संदर्भ में, जॉन किर्बी का बयान दोनों देशों के खुफिया आकलनों की पुष्टि करता हुआ प्रतीत होता है।
अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि उत्तर कोरिया और रूस के बीच यह सैन्य सहयोग अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुसार, उत्तर कोरिया से हथियारों की खरीद और सैन्य हथियारों का प्रशिक्षण निषिद्ध है। यह भी कहा जा रहा है कि रूस द्वारा उत्तर कोरियाई सैनिकों को इस तरह से इस्तेमाल करना संयुक्त राष्ट्र के कई सुरक्षा प्रस्तावों का उल्लंघन है, जिससे दोनों देशों पर और अधिक अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ सकता है।
किर्बी ने यह भी बताया कि उत्तर कोरियाई सैनिक वर्तमान में रूस के तीन मिलिट्री ट्रेनिंग साइट्स पर युद्ध की बुनियादी ट्रेनिंग प्राप्त कर रहे हैं। व्हाइट हाउस ने भी इस बात पर जोर दिया है कि वे आने वाले दिनों में रूस के खिलाफ नए प्रतिबंधों की घोषणा करेंगे, जिनका उद्देश्य रूस द्वारा यूक्रेन के खिलाफ छेड़े गए युद्ध को बढ़ावा देने वालों को निशाना बनाना है।
इस पूरे मामले पर रूस की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने दक्षिण कोरिया के खुफिया आकलन को ‘फर्जी खबर’ बताते हुए खारिज कर दिया है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि सोल यूक्रेनी संकट में किसी भी तरह से शामिल होता है, तो उसे गंभीर सुरक्षा परिणामों का सामना करना पड़ सकता है। रूस की ओर से दी गई यह प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि उत्तर कोरियाई सैनिकों के बारे में सोल और वाशिंगटन के दावों को रूस नकार रहा है, लेकिन वैश्विक राजनीति में इसे लेकर तनाव बढ़ने की संभावनाएँ नजर आ रही हैं।
अमेरिका ने स्पष्ट रूप से यह संकेत दिए हैं कि वे इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाने वाले हैं। यदि उत्तर कोरियाई सैनिकों की तैनाती और उनकी गतिविधियों की पुष्टि होती है, तो यह एक नया और गंभीर मोड़ हो सकता है,जो यूक्रेनी संघर्ष को और भी जटिल बना देगा। अमेरिका और उसके सहयोगी देश इस स्थिति पर निगरानी बनाए हुए हैं और आने वाले दिनों में इसके परिणामस्वरूप कूटनीतिक व सैन्य कदम उठाए जा सकते हैं।
इस पूरी घटना से यह स्पष्ट होता है कि यूक्रेनी युद्ध केवल रूस और यूक्रेन के बीच सीमित नहीं रह गया है,बल्कि यह वैश्विक भू-राजनीतिक खेल का हिस्सा बन चुका है, जिसमें कई देशों की संलिप्तता और उनकी नीतियाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।