6,000 करोड़ रुपये के परिव्यय से कोयला गैसीकरण परियोजना, 100 मिलियन टन का लक्ष्य

6,000 करोड़ रुपये के परिव्यय से कोयला गैसीकरण परियोजना, 100 मिलियन टन का लक्ष्य

नई दिल्ली, 14 जुलाई (युआईटीवी/आईएएनएस)- कोयला मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2030 तक 100 मिलियन टन (एमटी) कोयले का गैसीकरण हासिल करने का लक्ष्य रखा है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में गैसीकरण प्रौद्योगिकी को अपनाने से कोयला क्षेत्र में क्रांति आ सकती है। इससे प्राकृतिक गैस, मेथनॉल, अमोनिया और अन्य आवश्यक उत्पाद के आयात पर निर्भरता भी कम हो जाएगी।

वर्तमान में, भारत घरेलू मांग को पूरा करने के लिए अपनी प्राकृतिक गैस का लगभग 50 प्रतिशत, कुल मेथनॉल खपत का 90 प्रतिशत से अधिक और कुल अमोनिया खपत का लगभग 13-15 प्रतिशत आयात करता है। कोयला गैसीकरण के कार्यान्वयन से 2030 तक आयात को कम करके देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने की उम्मीद है। कोयला मंत्रालय का कहना है कि यह पहल कार्बन उत्सर्जन को कम करके और दीर्घकालिक कार्यप्रणालियों को बढ़ावा देकर, हरित भविष्य के प्रति हमारी वैश्विक प्रतिबद्धताओं में योगदान करते हुए पर्यावरणीय बोझ को कम करने की क्षमता रखती है।

मंत्रालय, कोयला गैसीकरण परियोजनाओं के विकास में तेजी लाने के लिए नवीन उपाय अपना रहा है। इस उद्देश्य के अनुरूप, मंत्रालय 6,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ सरकारी सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (पीएसयू) और निजी क्षेत्र दोनों के लिए कोयला गैसीकरण परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक योजना पर विचार कर रहा है। कोयला गैसीकरण योजना के लिए संस्थाओं का चयन प्रतिस्पर्धी और पारदर्शी बोली प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा।

इसके अलावा, सरकार पात्र सरकारी सार्वजनिक उपक्रमों और निजी क्षेत्र को कोयला गैसीकरण परियोजनाएं प्रारंभ करने में सक्षम बनाने के लिए बजटीय सहायता प्रदान करने पर विचार कर रही है। उपर्युक्त योजना के अलावा, मंत्रालय वाणिज्यिक परिचालन तिथि (सीओडी) के बाद 10 वर्ष की अवधि के लिए गैसीकरण परियोजनाओं में उपयोग किए गए कोयले पर माल और सेवा कर (जीएसटी) मुआवजा उपकर की प्रतिपूर्ति के लिए प्रोत्साहन पर भी विचार कर रहा है, बशर्ते जीएसटी मुआवजा उपकर वित्तीय वर्ष 2027 से आगे बढ़ाया गया है।

इस प्रोत्साहन का उद्देश्य संस्थाओं की इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने में असमर्थता को दूर करना है। इसके अलावा मंत्रालय कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) कोयला क्षेत्रों में सतही कोयला गैसीकरण (एससीजी) परियोजनाओं को आगे बढ़ाने में सहयोगात्मक प्रयासों का उल्लेख करता है। अक्टूबर 2022 में रणनीतिक द्विपक्षीय समझौते निष्पादित किए गए, जिसमें बीएचईएल और सीआईएल के बीच एक समझौता ज्ञापन साथ ही आईओसीएल, जीएआईएल और सीआईएल के बीच एक समझौता ज्ञापन शामिल है।

इन सहयोगों का उद्देश्य एससीजी परियोजनाओं के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाने में सहयोग और विशेषज्ञता को बढ़ावा देना है। कोयला मंत्रालय का कहना है कि वह कोयला गैसीकरण परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। इन परियोजनाओं में कोयले को विभिन्न मूल्यवान उत्पादों में बदलने की अपार संभावनाएं हैं। प्रस्तावित योजना और प्रोत्साहन कोयला गैसीकरण क्षेत्र में नवाचार, निवेश और सतत विकास को बढ़ावा देने, सरकारी सार्वजनिक उपक्रमों एवं निजी क्षेत्र को आकर्षित करने के लिए तैयार की गई हैं।

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