नई दिल्ली,12 अप्रैल (युआईटीवी)- मध्य प्रदेश के दमोह में एक निजी अस्पताल में 15 हृदय शल्यचिकित्सा करने के बाद भारत में एक व्यक्ति को ब्रिटिश हृदय रोग विशेषज्ञ के रूप में गिरफ्तार किया गया है,जिसके परिणामस्वरूप कम-से-कम सात रोगियों की मृत्यु हो गई।
संदिग्ध, नरेंद्र विक्रमादित्य यादव ने झूठा दावा किया कि वह ब्रिटेन का एक प्रसिद्ध हृदय शल्यचिकित्सक है,यहाँ तक कि अधिक विश्वसनीय दिखने के लिए उसने अपने बालों को भी गोरा कर लिया। उसने जाली प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किए,जिसमें लंदन के सेंट जॉर्ज अस्पताल से एक कथित फ़ेलोशिप भी शामिल थी। मृतक रोगियों के परिवारों द्वारा चिंता जताए जाने के बाद अधिकारियों को धोखाधड़ी का पता चला, जिसके बाद जाँच शुरू हुई। यादव पर अब धोखाधड़ी,जालसाजी और आपराधिक साजिश के आरोप हैं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग भी मामले की जाँच कर रहा है,जिसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य निधि के संभावित दुरुपयोग पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है,क्योंकि अस्पताल सरकार द्वारा वित्तपोषित स्वास्थ्य बीमा योजना का हिस्सा था। अधिकारी अस्पताल प्रशासकों और इसमें शामिल अन्य कर्मियों की भूमिका की जाँच कर रहे हैं।
इस घटना ने भारत में चिकित्सा पेशेवरों की सत्यापन प्रक्रियाओं के बारे में गंभीर चिंताएँ पैदा कर दी हैं तथा ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए सख्त प्रमाण-पत्र जाँच की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है।