नई दिल्ली,22 सितंबर (युआईटीवी)- महिला आरक्षण विधेयक के पक्ष में कुल 215 सांसदों ने मतदान किया। इसके विरोध में किसी भी सांसद ने मतदान नहीं किया। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिला आरक्षण विधेयक महिलाओं के लिए 33% की गारंटी देता है।
महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में बुधवार को पास हो गया। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल इस बिल को मंगलवार को पेश किया था। मेघवाल द्वारा पारित प्रस्ताव पर निचले सदन में 454 सांसदों ने पक्ष में और दो ने इसके विरोध में मतदान किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद द्वारा महिला आरक्षण विधेयक पारित होने पर गुरुवार को कहा कि इससे देश के लोगों में नया विश्वास पैदा होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में विधेयक पर मतदान से पहले कहा कि, ” देश के लोगों में यह विधेयक एक नया विश्वास पैदा करेगा। ‘नारी शक्ति’ को बढ़ाने में और महिलाओं को सशक्त बनाने में सभी सदस्यों और राजनीतिक दलों ने महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाहण किया है।”
महिला आरक्षण विधेयक के कार्यान्वयन पर व्याख्यान देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जब भी पहली जनगणना होगी और उससे संबंधित आँकड़े सामने आएँगे, तो आरक्षण प्रदान करने के लिए परिसीमन प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
सीतारमण ने कहा कि “एक नया अनुच्छेद 334-ए संविधान में प्रस्तावित आरक्षण के कार्यान्वयन के लिए जोड़ा गया है। इसका इरादा है किआरक्षण प्रदान करने के लिए एक नया परिसीमन अभ्यास,पहली जनगणना और उस जनगणना के प्रासंगिक आँकड़े प्रकाशित किए जाने के बाद किया जाएगा।”
महिला आरक्षण विधेयक का जनगणना और परिसीमन के बाद लागू किए जाने के निर्णय को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की सांसद वंदना चव्हाण ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उनका कहना है कि महिला आरक्षण विधेयक तो लागू हो गया लेकिन यह एक “चेतावनी” के साथ लागू किया जा रहा है जो की हमारे लिए दुर्भाग्य की बात है।
एक रिपोर्ट के अनुसार वंदना चव्हाण ने कहा कि,”महिला आरक्षण विधेयक के आने से हम बहुत खुश हैं। लेकिन इस बिल का जनगणना और परिसीमन प्रक्रिया की चेतावनी के साथ आना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यदि महिलाओं को आरक्षण देना ही है तो इसमें देर क्यों करना है। इसे अब ही लागू किया जाना चाहिए।”
महिला आरक्षण विधेयक के कार्यान्वयन में लगने वाले अपेक्षाकृत लंबे समय पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) सांसद कनिमोझी ने कहा कि विधेयक के प्रावधान के लागू होने के कोई भी स्पष्ट जानकारी नहीं है,जो की चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक पारित होने को हमने स्वर्णिम पल माना। लेकिन यह तो शर्त के साथ आया है और यह अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं हुआ है। यह दुःख और चिंता की बात है। इसके लागू होने में कितने साल लग जाएँगे ये तो अभी तक पता ही नहीं है। हो सकता है इसके लागू होने में 10, 15 या 20 साल भी लग जाएँ।
नए संसद भवन में स्थानांतरित होने के बाद संसद द्वारा पारित किया गया पहला विधेयक महिला आरक्षण विधेयक जिसे ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ का नाम दिया गया है।