इस्लामाबाद,9 मार्च (युआईटीवी)- पाकिस्तान में 22 साल के एक छात्र को ईशनिंदा के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई है,जबकि 17 वर्षीय एक अन्य छात्र को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। छात्रों पर आरोप हैं कि उन्होंने पैगंबर मोहम्मद के बारे में वाट्सएप के जरिए अपमानजनक शब्द कहे हैं तथा आपत्तिजनक तस्वीर और वीडियो बनाए हैं।
17 वर्षीय छात्र को नाबालिग होने के वजह से ईशनिंदा के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। पाकिस्तान में ईशनिंदा करने में मौत की सजा दी जाती है। हालाँकि,इसके लिए अब तक किसी को भी राज्य द्वारा फाँसी नहीं दी गई है,लेकिन कई ऐसे मामले सामने आए हैं,जिसमें भीड़ द्वारा कई आरोपियों को पीट-पीट कर मार डाला गया है।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार,ये कार्रवाई पाकिस्तान की संघीय जाँच एजेंसी (एफआईए) की साइबर अपराध इकाई के द्वारा 2022 में छात्र के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के बाद किया गया है। शिकायतकर्ता के आरोप हैं कि उसे आपत्तिजनक वीडियो और तस्वीरें तीन अलग-अलग मोबाइल फोन नंबरों से मिले हैं।
एफआईए ने शिकायतकर्ता के आरोप पर कहा कि जब शिकायतकर्ता के फोन की जाँच की गई,तो उनके फ़ोन पर अश्लील सामग्री’ पाया गया। इस पर सजा पाए गए दोनों छात्रों के वकीलों का कहना है कि उन्हें झूठे मामले में फँसाया गया है।
बीबीसी के अनुसार,ईशनिंदा के आरोप में दोषी पाए गए 22 साल के छात्र जिसे मौत की सजा दी गई है,उसके पिता,इस सजा के खिलाफ लाहौर उच्च न्यायालय में अपील दायर करेंगे।
इससे पूर्व पिछले साल अगस्त में,कुरान को ‘अपवित्र’ करने का आरोप दो ईसाई भाइयों पर लगा था,जिसके बाद पाकिस्तान में 19 चर्चों और 80 से अधिक ईसाई घरों में तोड़फोड़ की गई घटना को अंजाम दिया गया था।
ईशनिंदा विवाद का एक मुख्य चेहरा ईसाई महिला आसिया बीबी रही हैं। यह मामला पाकिस्तान के सबसे हाई-प्रोफाइल मामलों में से एक था,जिसमें एक दशक तक आसिया बीबी को लेकर विवाद चला था। बाद में आसिया की मौत की सजा को कोर्ट ने पलट दिया था।