आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास

आरबीआई ने रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का लिया निर्णय,मौद्रिक नीति के रुख को किया न्यूट्रल

नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (युआईटीवी)- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 9 अक्टूबर को अपनी मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद महत्वपूर्ण निर्णयों का ऐलान किया। आरबीआई ने रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखने का फैसला किया है, जो बाजार की अपेक्षाओं के अनुरूप था। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह जानकारी दी कि एमपीसी के छह में से पाँच सदस्यों ने रेपो रेट को यथावत रखने के पक्ष में मतदान किया। रेपो रेट वह दर है, जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक उधार देता है।

रेपो रेट को स्थिर रखने के साथ-साथ, एमपीसी ने अपने मौद्रिक नीति के रुख को ‘विड्रॉइंग अकोमोडेशन’ से बदलकर ‘न्यूट्रल’ कर दिया है। इसका अर्थ यह है कि अब आरबीआई महँगाई के दिशा-निर्देशों के अनुसार ब्याज दरों को समायोजित करेगा। इसका मकसद यह है कि केंद्रीय बैंक जरूरत पड़ने पर ब्याज दरों को बढ़ा या घटा सकेगा, जिससे देश में महँगाई पर नियंत्रण रखा जा सके।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 7.2 प्रतिशत बताया है। हालाँकि, वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके बावजूद, वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही के लिए वृद्धि दर के अनुमान को थोड़ा बढ़ाकर क्रमशः 7.4 प्रतिशत कर दिया गया है। यह संकेत देता है कि आर्थिक सुधार की उम्मीदें अभी भी मजबूत हैं।

महँगाई दर के मामले में, आरबीआई ने 2024-25 के लिए महँगाई दर के अनुमान को 4.5 प्रतिशत पर रखा है। हालाँकि, तिमाही आधार पर कुछ बदलाव किए गए हैं। दूसरी तिमाही के लिए महँगाई दर का अनुमान 4.4 प्रतिशत से घटाकर 4.1 प्रतिशत कर दिया गया है, जबकि तीसरी तिमाही में महँगाई दर के अनुमान को 4.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 4.8 प्रतिशत कर दिया गया है।

गवर्नर शक्तिकांत दास ने आगे बताया कि सितंबर के महँगाई आँकड़ों में वृद्धि देखने को मिल सकती है। इसका मुख्य कारण खाद्य उत्पादों की बढ़ी हुई कीमतें हैं। इसके साथ ही, मेटल की कीमतों में हालिया बढ़ोतरी और प्रतिकूल आधार प्रभावों के कारण भी महँगाई दर में उछाल की संभावना है। हालाँकि, केंद्रीय बैंक की कोशिश महँगाई को 4 प्रतिशत के करीब बनाए रखने की रहेगी, ताकि आम उपभोक्ताओं को राहत मिल सके।

कुल मिलाकर, आरबीआई के इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे स्थिरता की ओर बढ़ रही है, लेकिन महँगाई और अन्य वैश्विक कारकों का प्रभाव भी ध्यान में रखना होगा। रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखने और मौद्रिक नीति के रुख को न्यूट्रल करने का फैसला आरबीआई की सावधानीपूर्वक नीति का संकेत है, जो देश की आर्थिक प्रगति और महँगाई के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास कर रही है।