नई दिल्ली,1 नवंबर (युआईटीवी)- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने लेह,लद्दाख के सुदूर और ऊबड़-खाबड़ इलाके में अपना पहला एनालॉग अंतरिक्ष मिशन लॉन्च करके भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना का लक्ष्य पृथ्वी पर चंद्रमा या मंगल ग्रह जैसे अंतरग्रहीय आवासों की कठोर परिस्थितियों का अनुकरण करना है।
मिशन स्थल के रूप में लद्दाख का रणनीतिक चयन कोई संयोग नहीं है। शुष्क परिदृश्य और अत्यधिक तापमान की विशेषता वाले इस क्षेत्र की अद्वितीय भूवैज्ञानिक संरचनाएँ,भविष्य के अंतरिक्ष यात्रियों को मिलने वाले अलौकिक वातावरण से काफी मिलती-जुलती हैं। यह मानव सहनशक्ति की सीमा और उन्नत प्रौद्योगिकियों की क्षमताओं का परीक्षण करने के लिए एक आदर्श सेटिंग प्रदान करता है।
इस मिशन के केंद्र में हब-1 है,जो शोधकर्ताओं के एक छोटे दल के रहने के लिए डिज़ाइन किया गया एक कॉम्पैक्ट,इन्फ्लेटेबल आवास है। यह अत्याधुनिक सुविधा हाइड्रोपोनिक्स फार्म,रसोई और स्वच्छता प्रणालियों सहित आवश्यक सुविधाओं से सुसज्जित है। इस सीमित स्थान के भीतर रहने और काम करने से,चालक दल को लंबी अवधि के अंतरिक्ष अभियानों से जुड़ी मनोवैज्ञानिक और शारीरिक चुनौतियों का अनुभव होगा।
मिशन के प्रमुख उद्देश्य:
* मानव अनुकूलन: यह अध्ययन करना कि मनुष्य अलगाव और कारावास में रहने के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक तनावों को कैसे अनुकूलित कर सकता है।
* तकनीकी नवाचार: जीवन-समर्थन प्रणालियों,संचार प्रौद्योगिकियों और अन्य महत्वपूर्ण उपकरणों की विश्वसनीयता और प्रदर्शन का परीक्षण करना।
* वैज्ञानिक अनुसंधान: खगोल विज्ञान,भूविज्ञान और अंतरिक्ष चिकित्सा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग करना।
* सार्वजनिक सहभागिता: वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की अगली पीढ़ी को प्रेरित करना और अंतरिक्ष अन्वेषण में सार्वजनिक रुचि को बढ़ावा देना।
इसरो का एनालॉग अंतरिक्ष मिशन एक प्रमुख अंतरिक्ष यात्री राष्ट्र बनने की भारत की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर दर्शाता है। मानव ज्ञान और तकनीकी नवाचार की सीमाओं को आगे बढ़ाते हुए,यह मिशन चंद्रमा,मंगल और उससे आगे के भविष्य के मानव अन्वेषण का मार्ग प्रशस्त करता है। जैसे-जैसे भारत नई ऊँचाइयों की ओर बढ़ रहा है, सितारों की सीमा बढ़ती जा रही है।