नई दिल्ली,2 जनवरी (युआईटीवी)- पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारक को लेकर भारत सरकार ने उनके परिवार को कुछ विकल्प प्रस्तुत किए हैं। इन विकल्पों में राष्ट्रीय स्मृति स्थल,राजघाट या किसान घाट जैसे स्थानों का नाम शामिल है,जहाँ उनका स्मारक बनाए जाने की संभावना है।
सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक,मनमोहन सिंह के परिवार को स्मारक बनाने के लिए स्थान चुनने का अधिकार दिया गया है और परिवार के द्वारा किसी निश्चित स्थान का चयन किए जाने के बाद ट्रस्ट बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इस ट्रस्ट का उद्देश्य स्मारक निर्माण की योजना को लागू करना और भविष्य में उस स्मारक से जुड़ी गतिविधियों की देखरेख करना होगा।
हालाँकि,परिवार की ओर से अभी तक किसी निश्चित जगह को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया है, लेकिन सरकार ने संभावित स्थानों के बारे में विचार किया है। मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए राजघाट,राष्ट्रीय स्मृति स्थल या किसान घाट के पास एक से डेढ़ एकड़ जमीन देने की संभावना जताई गई है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार,इस समय अधिकारियों ने राजघाट और इसके आसपास के क्षेत्र का दौरा किया है और वहाँ उपलब्ध जमीन का प्रारंभिक आकलन किया जा रहा है। अभी तक जमीन आवंटन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है,क्योंकि अभी ट्रस्ट का गठन होना बाकी है। एक बार ट्रस्ट का गठन हो जाने और जमीन आवंटन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद,सीपीडब्ल्यूडी के साथ एमओयू (मेमोरंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) पर हस्ताक्षर किए जाएँगे,जिसके बाद ही स्मारक के निर्माण का काम शुरू किया जा सकेगा।
Earlier this morning, Congress President had written to the Prime Minister, suggesting that the cremation of the former Prime Minister, Dr Manmohan Singh, take place at a location where a memorial could be built to honour his legacy.
The people of our country are simply unable…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) December 27, 2024
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर 2024 को हुआ था। उनके निधन के बाद,कांग्रेस पार्टी के ओर से केंद्र सरकार से उनके स्मारक को लेकर कदम उठाने की माँग की गई थी। कांग्रेस ने सरकार से आग्रह किया था कि मनमोहन सिंह के स्मारक का निर्माण उन जगहों पर किया जाए,जहाँ पहले से अन्य महान नेताओं के स्मारक मौजूद हैं,जैसे कि राजघाट, जहाँ महात्मा गांधी का स्मारक है। कांग्रेस के नेताओं ने यह भी आरोप लगाया था कि सरकार अभी तक मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार और स्मारक के लिए एक ही जगह पर समुचित स्थान क्यों नहीं आवंटित कर पा रही है। कांग्रेस महासचिव ने कहा था, “देश की जनता यह नहीं समझ पा रही है कि सरकार को उनके अंतिम संस्कार और स्मारक के लिए एक ही जगह पर क्यों नहीं मिल पा रही है।”
राजघाट के आसपास की जमीन पर पहले से 19 स्मारक स्थित हैं,जिनमें पूर्व राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उप-प्रधानमंत्री के स्मारक शामिल हैं। इसके अलावा,संजय गांधी और ललिता शास्त्री (जो पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की पत्नी थीं) के स्मारक भी इस क्षेत्र में हैं। हालाँकि,मनमोहन सिंह के स्मारक को लेकर फिलहाल कोई नया अपडेट सामने नहीं आया है। कांग्रेस पार्टी के सूत्रों के अनुसार,उन्हें स्मारक के निर्माण के बारे में अभी तक कोई नई जानकारी नहीं मिली है और सरकार द्वारा अभी तक उपयुक्त जमीन नहीं मिलने के कारण निर्माण प्रक्रिया में देरी हो रही है।
इस स्थिति में, सरकार ने हालाँकि प्रक्रिया शुरू कर दी है और जमीन ढूँढने की कोशिश की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि जमीन आवंटन में कुछ और दिन लग सकते हैं,क्योंकि ट्रस्ट का गठन अभी बाकी है। एक बार ट्रस्ट का गठन हो जाने के बाद,वह जमीन के लिए आवेदन करेगा और फिर इसे सीपीडब्ल्यूडी द्वारा देखा जाएगा। इसके बाद ही स्मारक निर्माण का कार्य शुरू होगा।
मनमोहन सिंह का योगदान भारतीय राजनीति में अत्यधिक महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कई महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों और नीतियों की शुरुआत की,जिन्होंने देश के विकास को नई दिशा दी। उनके निधन के बाद,उनका स्मारक भारतीय राजनीति और समाज में उनकी स्थायी धरोहर के रूप में स्थापित किया जाएगा,जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
स्मारक के निर्माण के साथ-साथ,सरकार और परिवार दोनों मिलकर यह सुनिश्चित करेंगे कि यह स्थान एक श्रद्धांजलि का प्रतीक बने और समाज में उनकी कड़ी मेहनत, समर्पण और योगदान को याद रखा जाए।