नई दिल्ली,13 जनवरी (युआईटीवी)- प्रयागराज में आज से महाकुंभ का आरंभ हो चुका है और देश भर से लाखों श्रद्धालु इसे देखने और इसमें भाग लेने के लिए प्रयागराज पहुँचे हैं। यह आयोजन भारत की आध्यात्मिक परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर का एक अभिन्न हिस्सा है,जो हर बार अपने विशाल स्वरूप और धार्मिक आस्था के प्रतीक रूप में आयोजित होता है। इस बार महाकुंभ का आयोजन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है,क्योंकि यह 2025 का महाकुंभ है,जो भारतीय आस्था,धर्म और संस्कृति का प्रतीक बनकर सामने आया है।
पौष पूर्णिमा के अवसर पर इस महाकुंभ की शुरुआत हुई,जब लाखों लोग गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम में डुबकी लगाने पहुँचे। इस विशेष अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को शुभकामनाएँ दी और महाकुंभ के महत्व को साझा किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “पौष पूर्णिमा पर पवित्र स्नान के साथ ही आज से प्रयागराज की पुण्यभूमि पर महाकुंभ का शुभारंभ हो गया है। हमारी आस्था और संस्कृति से जुड़े इस दिव्य अवसर पर मैं सभी श्रद्धालुओं का हृदय से वंदन और अभिनंदन करता हूँ। भारतीय आध्यात्मिक परंपरा का यह विराट उत्सव आप सभी के जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार करे,यही कामना है।”
पौष पूर्णिमा पर पवित्र स्नान के साथ ही आज से प्रयागराज की पुण्यभूमि पर महाकुंभ का शुभारंभ हो गया है। हमारी आस्था और संस्कृति से जुड़े इस दिव्य अवसर पर मैं सभी श्रद्धालुओं का हृदय से वंदन और अभिनंदन करता हूं। भारतीय आध्यात्मिक परंपरा का यह विराट उत्सव आप सभी के जीवन में नई ऊर्जा…
— Narendra Modi (@narendramodi) January 13, 2025
पीएम मोदी ने अपनी पोस्ट में आगे लिखा, “मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि प्रयागराज अनगिनत लोगों से भरा हुआ है, जो वहाँ आ रहे हैं,पवित्र स्नान कर रहे हैं और आशीर्वाद माँग रहे हैं। सभी तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को शानदार प्रवास की शुभकामनाएँ।” उन्होंने महाकुंभ को भारतीय मूल्यों और संस्कृति को महत्व देने वाले करोड़ों लोगों के लिए एक खास दिन बताया और इस आयोजन को आस्था,भक्ति और संस्कृति के पवित्र संगम के रूप में पेश किया। पीएम मोदी ने महाकुंभ को भारतीय शाश्वत आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक करार दिया और कहा कि यह आयोजन आस्था और सद्भाव का जश्न मनाता है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ के इस ऐतिहासिक मौके पर भी श्रद्धालुओं,संतों,महात्माओं,कल्पवासियों और आगंतुकों का स्वागत करते हुए शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने अपने संदेश में कहा, “आइए,महाकुंभ 2025 में सहभागी बनकर सनातन संस्कृति की इस गौरवशाली परंपरा का हिस्सा बनें। माँ गंगा की कृपा से आपका जीवन सुख,शांति और समृद्धि से परिपूर्ण हो।” मुख्यमंत्री योगी ने महाकुंभ को भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गरिमा का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह आयोजन ‘अनेकता में एकता’ की भावना को सजीव करता है। उन्होंने यह भी कामना की कि माँ गंगा की पवित्र धारा में स्नान और साधना करने आए सभी श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण हों।
महाकुंभ के पहले स्नान का यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण था। पौष पूर्णिमा के अवसर पर लाखों श्रद्धालु संगम में पवित्र स्नान कर रहे थे और इसे लेकर पूरे प्रयागराज में एक अद्भुत दृश्य था। यह अवसर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक था,बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक संगम का भी प्रतीक था,जिसमें भारत के कोने-कोने से श्रद्धालु एकत्रित हुए थे। आज के दिन से ही पैंतालीस दिनों का कल्पवास भी शुरू हो गया है,जो महाकुंभ का एक अभिन्न हिस्सा है। इस दौरान श्रद्धालु संगम तट पर पूजा-अर्चना,साधना और ध्यान करने के लिए रहते हैं और यह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण और अद्वितीय अनुभव होता है।
महाकुंभ में इस बार सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी विशेष ध्यान दिया गया है। संगम तट पर पहुँचने के लिए कई रास्तों पर बड़ी भीड़ जुटी हुई है और वहाँ वाहनों के प्रवेश पर पाबंदी है। सुरक्षा में हजारों की संख्या में जवान तैनात हैं,जो श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे हैं। पुलिस द्वारा स्पीकर के माध्यम से भीड़ को नियंत्रित किया जा रहा है और हर संभव प्रयास किया जा रहा है,ताकि श्रद्धालु बिना किसी समस्या के महाकुंभ के इस पवित्र आयोजन में भाग ले सकें।
महाकुंभ का यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है,बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का भी एक जश्न है। यह समय है,जब करोड़ों लोग अपनी आस्था और विश्वास के साथ एकत्रित होते हैं और इस दौरान वे न केवल आध्यात्मिक रूप से अपने जीवन को समृद्ध करते हैं,बल्कि देश की सांस्कृतिक धरोहर को भी पुनः जीवित करते हैं। इस महाकुंभ में हर साल लाखों लोग भाग लेते हैं और यह एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है,जो भारतीय संस्कृति और आस्था की महानता को दर्शाता है।
महाकुंभ के इस पवित्र आयोजन के दौरान,दुनिया भर से आए श्रद्धालुओं के लिए यह एक जीवनदायिनी अनुभव बन गया है,जो भारतीय धर्म और संस्कृति के प्रति उनके सम्मान और आस्था को प्रगाढ़ करता है। महाकुंभ 2025 के इस आयोजन ने देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं को भारतीय धार्मिक परंपराओं से जोड़ने का काम किया है और यह आस्था,विश्वास और धार्मिक एकता का महान प्रतीक बनकर उभरा है।