खो खो चैंपियन

भारतीय महिला और पुरुष खो-खो टीम ने जीता खो-खो विश्व कप 2025 का ख़िताब,पीएम मोदी ने दी बधाई

नई दिल्ली,20 जनवरी (युआईटीवी)- भारतीय महिला और पुरुष खो-खो टीम ने रविवार को खेले गए खो-खो विश्व कप 2025 का फाइनल जीत कर अपने सामर्थ्य का एक और उदाहरण पेश किया। भारतीय पुरुष खो-खो टीम ने रविवार को खेले गए पहले खो-खो विश्व कप के फाइनल में नेपाल पर 54-36 की शानदार जीत दर्ज कर खिताब अपने नाम किया। फाइनल मुकाबले में कप्तान प्रतीक वाईकर और टूर्नामेंट में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले रामजी कश्यप ने शानदार खेल दिखाया। इससे पहले, नेपाल ने प्रतियोगिता के शुरुआती मैच में भारत को कड़ी टक्कर दी थी,लेकिन भारतीय खिलाड़ियों ने फाइनल में पहले ही टर्न से नेपाल पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। भारत ने इस टूर्नामेंट में पहले ग्रुप चरण में नेपाल के अलावा ब्राजील,पेरू और भूटान को हराया था और फिर क्वार्टर फाइनल में बांग्लादेश और सेमीफाइनल में दक्षिण अफ्रीका को मात दी थी।

भारतीय पुरुष टीम की यह जीत भारतीय खो-खो के लिए एक ऐतिहासिक पल है, क्योंकि इसने भारत के खो-खो खेल में एक नई ऊँचाई को छुआ है। टीम ने दिखा दिया कि भारत में खो-खो केवल एक पारंपरिक खेल नहीं,बल्कि आधुनिक खेल के रूप में भी अपनी जगह बना सकता है। भारतीय पुरुष टीम की इस जीत ने पूरे देश को गर्व महसूस कराया और खेल के प्रति लोगों का आकर्षण और बढ़ाया।

इससे पहले, भारतीय महिला खो-खो टीम ने भी रविवार को पहले खो-खो विश्व कप के फाइनल में नेपाल को 78-40 से हराकर चैंपियन बनने का गौरव प्राप्त किया था। भारतीय महिला टीम ने इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में इस मैच की शुरुआत से लेकर अंत तक अपनी गति,रणनीति और कौशल का शानदार प्रदर्शन किया। महिला टीम ने पूरी तरह से नेपाल पर दबाव बनाए रखा और आखिरकार बड़े अंतर से जीत हासिल की। इस जीत ने भारत को खो-खो में एक ऐतिहासिक डबल चैंपियन बना दिया,जिसमें पुरुष और महिला दोनों टीमों ने विश्व कप अपने नाम किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय महिला और पुरुष खो-खो टीम को बधाई दी और इस महत्वपूर्ण जीत को ऐतिहासिक करार दिया। प्रधानमंत्री ने कहा, “आज भारतीय खो-खो के लिए बहुत बड़ा दिन है। भारतीय महिला टीम को पहला खो-खो विश्व कप जीतने पर बधाई। यह ऐतिहासिक जीत उनके अद्वितीय कौशल,दृढ़ संकल्प और टीम वर्क का परिणाम है।” उन्होंने यह भी कहा कि इस जीत से भारत के सबसे पुराने पारंपरिक खेलों में से एक खो-खो को अधिक प्रमुखता मिलेगी और यह देश भर के युवा खिलाड़ियों को प्रेरणा देने का काम करेगा। मोदी ने उम्मीद जताई कि इस सफलता से आने वाले समय में और अधिक युवा खो-खो को अपनाएँगे और इस खेल का प्रसार होगा।


प्रधानमंत्री ने एक अन्य पोस्ट में भारतीय पुरुष खो-खो टीम की सराहना करते हुए कहा कि, “यह जीत भारतीय खो-खो के लिए एक बड़ा दिन है। भारतीय पुरुष खो-खो टीम पर बहुत गर्व है। उनका जज्बा और समर्पण सराहनीय है। यह जीत युवाओं के बीच खो-खो को और अधिक लोकप्रिय बनाने में मदद करेगी।” प्रधानमंत्री की यह सराहना न केवल खिलाड़ियों के लिए बल्कि पूरी खो-खो बिरादरी के लिए भी उत्साहवर्धक है।

यह सफलता भारतीय खो-खो को एक नई दिशा देने की क्षमता रखती है। खो-खो एक पारंपरिक भारतीय खेल है,जिसे वर्षों से बच्चों के बीच स्कूलों और स्थानीय स्तर पर खेला जाता रहा है। हालाँकि,अब इस खेल ने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी है और इस खेल को पेशेवर स्तर पर खेलने का उत्साह बढ़ रहा है। भारत ने इस खेल में अपनी बढ़ती ताकत को इस विश्व कप में साबित किया है और इस विजय ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत खो-खो को एक गंभीर प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में भी देख सकता है।

इस विश्व कप के दौरान भारतीय पुरुष और महिला दोनों टीमों ने अपनी निपुणता, टीम वर्क और मानसिक दृढ़ता को दिखाया,जिससे उन्होंने यह साबित किया कि भारतीय खो-खो को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने के लिए आवश्यक सभी गुण मौजूद हैं। इस विजय से युवा पीढ़ी को यह संदेश मिला है कि किसी भी खेल को गंभीरता से लिया जा सकता है और उच्चतम स्तर पर प्रतिस्पर्धा की जा सकती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा की गई बधाई और सराहना ने खो-खो को लेकर भारत में एक सकारात्मक वातावरण बनाया है। इस सफलता से खो-खो खेल को लेकर लोगों की जागरूकता बढ़ी है और उम्मीद की जाती है कि आने वाले वर्षों में खो-खो की लोकप्रियता और बढ़ेगी। इस सफलता ने भारतीय खेल जगत में खो-खो को नई पहचान दिलाई है और अब यह खेल केवल एक पारंपरिक खेल न होकर एक प्रतिस्पर्धी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त खेल बन चुका है।

भारतीय खो-खो टीम की यह ऐतिहासिक जीत न केवल खेल की दुनिया में,बल्कि समाज में भी खो-खो के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कारण बनेगी।