नई दिल्ली,20 जनवरी (युआईटीवी)- डोनाल्ड ट्रंप आज अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने जा रहे हैं और इस ऐतिहासिक क्षण पर दुनिया भर की नजरें टिकी हुई हैं। यह दिन अमेरिका के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, क्योंकि ट्रंप की जीत ने न केवल अमेरिकी राजनीति बल्कि वैश्विक राजनीति को भी एक नई दिशा दी है। उनकी शपथ ग्रहण समारोह के बाद,उनके नेतृत्व में अमेरिका के भविष्य को लेकर तरह-तरह की चर्चााएँ और अटकलें जारी रहेंगी।
उनकी ताजपोशी के साथ ही उनके प्रशासन द्वारा कई महत्वपूर्ण और बड़े फैसले लिए जाने की उम्मीद है। इमिग्रेशन,ऊर्जा नीति और संघीय सरकार के संचालन जैसे क्षेत्रों में ट्रंप के चुनावी वादों को पूरा करने के लिए पहले दिन ही कई कार्यकारी आदेश जारी किए जा सकते हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने 2016 में राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की थी और इस चुनावी जीत के बाद उनकी नीतियों और नेतृत्व शैली पर दुनिया भर में बहस जारी रही। ट्रंप की सफलता ने न केवल उनकी व्यक्तिगत राजनीतिक यात्रा को नया आयाम दिया, बल्कि अमेरिकी राजनीति को भी प्रभावित किया। उनका राष्ट्रपति बनने के बाद से कड़े फैसले,व्यापारिक नीतियाँ,विदेश नीति में बदलाव और अमेरिका की आंतरिक राजनीति में परिवर्तन ने उन्हें एक विवादास्पद लेकिन प्रभावशाली नेता बना दिया।
आज,जब वह राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे,तो यह उनके लिए एक नई शुरुआत होगी। उनके समर्थक जहाँ उन्हें अमेरिका को फिर से महान बनाने का वादा पूरा करने वाला नेता मानते हैं,वहीं आलोचक उनके नेतृत्व की निंदा करते रहे हैं। ट्रंप की ताजपोशी पर पूरी दुनिया की निगाहें इस बात को लेकर होंगी कि वह अपने पहले कार्यकाल से हासिल अनुभव को कैसे लागू करेंगे और किस तरह से दुनिया के सबसे प्रभावशाली देश का नेतृत्व करेंगे।
शपथ ग्रहण समारोह में कई प्रमुख विदेशी नेता और उनके सहयोगी भी शामिल होंगे। ट्रंप की नीतियों ने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को लेकर कई बदलाव किए हैं और उनकी पुनः ताजपोशी के बाद,दुनिया के अन्य देशों के साथ अमेरिका के रिश्तों में नए समीकरण बन सकते हैं। ट्रंप का नेतृत्व हमेशा से ही अप्रत्याशित और कड़े फैसलों के लिए जाना गया है,जिससे वैश्विक राजनीति में अस्थिरता और बदलाव देखने को मिला है। उनके शपथ ग्रहण के साथ ही अब यह देखा जाएगा कि वह कैसे घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने उद्देश्यों को पूरा करते हैं।
उनकी पहली कार्यकाल में अमेरिका ने कई अहम कदम उठाए थे,जैसे कि पेरिस जलवायु समझौते से बाहर निकलना,चीन के खिलाफ व्यापार युद्ध छेड़ना और उत्तर कोरिया के साथ कूटनीतिक प्रयास करना। इसके अलावा,उन्होंने इराक और अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की संख्या को घटाने के लिए भी कदम उठाए थे। इन फैसलों ने न केवल अमेरिका के आंतरिक मुद्दों को प्रभावित किया,बल्कि वैश्विक राजनीति में भी हलचल मचाई। उनके राष्ट्रपति बनने के बाद,अमेरिका ने दुनिया के साथ अपनी प्रतिबद्धताओं पर सवाल उठाए और कई ऐतिहासिक समझौतों को फिर से परिभाषित किया।
अब,ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में उनकी प्राथमिकताएँ क्या होंगी,यह एक बड़ा सवाल है। उनके समर्थक उम्मीद करते हैं कि वह अपनी वादों के मुताबिक अमेरिका को और भी मजबूत बनाएँगे,जबकि आलोचक यह मानते हैं कि उनका नेतृत्व समाज में विभाजन और असहमति को बढ़ावा देता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि वह आर्थिक,रक्षा और सामाजिक मामलों में कौन से कदम उठाते हैं और कैसे उनका प्रशासन अमेरिका को एक नई दिशा में ले जाने का प्रयास करता है।
अमेरिकी मीडिया के अनुसार, ट्रंप ने अपने पहले दिन ही करीब 100 कार्यकारी आदेश जारी करने का संकल्प लिया है। इनमें से कई आदेश बाइडेन प्रशासन द्वारा लागू किए गए आदेशों को पलटने या रद्द करने के लिए हो सकते हैं। ट्रंप के डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ फॉर पॉलिसी,स्टीफन मिलर ने इस पर चर्चा की थी और बताया कि इनमें से कुछ कार्रवाइयों का उद्देश्य इमिग्रेशन और सीमा सुरक्षा को लेकर ट्रंप के चुनावी वादों को लागू करना है। रिपोर्ट के अनुसार,ट्रंप अपने पहले दिन के कार्यों में प्रमुख रूप से सीमा पर राष्ट्रीय आपातकाल लागू करने की योजना बना सकते हैं।
ट्रंप ने हमेशा अपनी चुनावी सभाओं और भाषणों में यह कहा था कि वे अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे सभी लोगों को बाहर करेंगे। उनका कहना था कि वे अमेरिका के इतिहास में सबसे बड़ा निर्वासन अभियान शुरू करेंगे। इसके साथ ही,ट्रंप सीमा को बंद करने और अवैध इमिग्रेशन को समाप्त करने की बात भी करते रहे हैं। ट्रंप का यह वादा है कि वे मेक्सिको से आने वाले सभी अवैध प्रवासियों को अपने देश में प्रवेश करने से रोकेंगे। इसके लिए,वे पहले से लागू की गई ‘मेक्सिको में रहें’ नीति को फिर से बहाल करने के लिए कदम उठा सकते हैं,जो उनके पहले कार्यकाल में लागू की गई थी।
ट्रंप के पहले दिन के आदेशों में एक और महत्वपूर्ण पहलू यह हो सकता है कि वे कुछ ड्रग कार्टेल्स को विदेशी आतंकवादी संगठनों के रूप में नामित करने का कदम उठा सकते हैं। इससे उनके प्रशासन को ड्रग्स और मानव तस्करी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का कानूनी आधार मिलेगा। इसके अलावा,ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल की प्रवासी सुरक्षा प्रोटोकॉल नीति को फिर से लागू करने का भी संकेत दिया है।
आज होने वाले शपथ ग्रहण समारोह से पहले दानदाताओं और सहयोगियों के एक समूह को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा, “पदभार ग्रहण करने के कुछ ही घंटों में,मैं दर्जनों कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर करूँगा – लगभग 100 – जिनमें से कई का मैं कल अपने संबोधन में वर्णन करूँगा।” उन्होंने यह भी कहा कि, “अपनी कलम के एक झटके से मैं बाइडेन प्रशासन के दर्जनों विनाशकारी और कट्टरपंथी कार्यकारी आदेशों और कार्रवाइयों को रद्द कर दूँगा और कल इस समय तक,वे सभी अमान्य हो जाएँगे।” ट्रंप के ये बयान उनके फैसले लेने की तीव्रता और उनकी कार्यप्रणाली को दर्शाते हैं,जो उनके समर्थकों के लिए एक सकारात्मक संकेत हो सकता है।
हालाँकि,इन अपेक्षित कार्यकारी आदेशों को कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है,क्योंकि कुछ आदेशों पर विवाद हो सकता है,खासकर उन मामलों में जो श्रमिकों और व्यापारियों को प्रभावित करते हैं। ट्रंप की व्यापारिक नीतियों पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जा सकता है,क्योंकि उन्होंने पहले ही मेक्सिको और कनाडा से आयातित सभी वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगाने की बात कही थी। इसके साथ ही,ट्रंप चीन से आयातित वस्तुओं पर पहले से लगाए गए शुल्कों में 10% का अतिरिक्त टैरिफ लगाने की योजना बना रहे हैं।
इन व्यापारिक नीतियों का अमेरिकी व्यापार,वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकता है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की व्यापारिक नीतियों से व्यापार युद्ध और कीमतों में वृद्धि हो सकती है,जबकि इसके समर्थक इसे अमेरिका की आर्थिक ताकत को फिर से स्थापित करने के रूप में देख रहे हैं।
ट्रंप का यह कार्यकाल आने वाले दिनों में अमेरिका के भीतर और बाहर कई महत्वपूर्ण बदलावों की शुरुआत कर सकता है। इमिग्रेशन और व्यापार की नीतियाँ, जिनके लिए उन्होंने अभियान के दौरान लगातार बात की थी,अब उनका परीक्षण उनके प्रशासन द्वारा किया जाएगा। उनके द्वारा लागू किए गए कार्यकारी आदेश,जो उनके राजनीतिक वादों को लागू करने के लिए होंगे,अमेरिकी समाज और वैश्विक राजनीति में गहरे प्रभाव छोड़ सकते हैं।
ट्रंप के पहले दिन के कार्यकारी आदेशों से यह स्पष्ट हो जाएगा कि उनके नेतृत्व की प्राथमिकताएँ क्या होंगी और उनके प्रशासन की दिशा कैसी होगी। उनकी नीतियाँ आगामी वर्षों में अमेरिकी राजनीति,अर्थव्यवस्था और समाज को आकार देंगी और उनके फैसलों का वैश्विक प्रभाव भी पड़ सकता है। ट्रंप का यह कार्यकाल न केवल अमेरिका के लिए,बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
ट्रंप की शपथ ग्रहण से पहले,अमेरिकी जनता और दुनिया भर के लोग उनकी नीतियों को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया दे रहे हैं। उनके समर्थक जहाँ उन्हें एक ताकतवर और दृढ़ नेता मानते हैं,वहीं विपक्षी उनकी नीतियों को असंवेदनशील और विवादास्पद मानते हैं। इसके बावजूद,ट्रंप की ताजपोशी एक ऐतिहासिक अवसर है और यह अमेरिकी राजनीति के भविष्य को प्रभावित करने वाला क्षण होगा।
ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान,अमेरिका के संविधान,राष्ट्रीय ध्वज और पारंपरिक अमेरिकी मूल्यों का सम्मान किया जाएगा। इस समारोह में देश के महत्वपूर्ण राजनैतिक नेता,कूटनीतिक दूत और उनके परिवार के सदस्य उपस्थित रहेंगे। शपथ ग्रहण समारोह के दौरान,ट्रंप अपने कार्यालय में रहते हुए राष्ट्रपति के रूप में अपनी प्राथमिकताओं और कार्यों की घोषणा करेंगे। उनके शपथ लेने के बाद,उन्हें राष्ट्रपति की जिम्मेदारियों को निभाते हुए कई चुनौतियों का सामना करना होगा,जिनमें आंतरिक सुरक्षा,वैश्विक कूटनीतिक मुद्दे और घरेलू समस्याओं के समाधान शामिल होंगे।
दुनिया भर में ट्रंप की ताजपोशी पर कई विश्लेषक और विशेषज्ञ नजर बनाए हुए हैं। उन्हें यह जानने की उत्सुकता है कि क्या ट्रंप अपने पहले कार्यकाल की नीतियों को जारी रखेंगे या फिर कोई नई रणनीति अपनाएँगे। अमेरिका के आर्थिक और सैन्य सामर्थ्य,साथ ही उसके वैश्विक प्रभाव को देखते हुए ट्रंप का नेतृत्व वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण होगा।
डोनाल्ड ट्रंप की ताजपोशी आज एक ऐतिहासिक क्षण बन चुकी है,जो न केवल अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित करेगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वह अपने दूसरे कार्यकाल में क्या नई दिशा देंगे और कैसे अपने देश और दुनिया के लिए प्रभावी नेतृत्व प्रदान करेंगे। उनके कार्यकाल के दौरान उठाए गए कदम आने वाले वर्षों में इतिहास में दर्ज होंगे और वैश्विक राजनीति के पटल पर उनका नाम अमर रहेगा।