पटना,3 मार्च (युआईटीवी)- मथुरा के संतों ने होली के दौरान ब्रज क्षेत्र में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक लगाने की माँग की है,जो अब एक बड़ा विवाद बन चुका है। इस मामले में बिहार के भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर ने भी संतों की माँग का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि जो लोग हमारी संस्कृति का सम्मान नहीं करते,उन्हें ऐसे आयोजनों में भाग लेने से रोका जाना चाहिए। उनका कहना था कि जिनके मदरसों में यह पढ़ाया जाता है कि होली जैसे रंगों के त्योहारों में भाग लेना अल्लाह द्वारा दंड का कारण बन सकता है,उन्हें ऐसे आयोजनों में नहीं आना चाहिए।
हरिभूषण ठाकुर ने इस मुद्दे पर आगे कहा कि जब वे हमारे देवी-देवताओं को नहीं मानते और हमसे बैर रखते हैं,तो ऐसे लोगों को सनातन संस्कृति के उत्सव में शामिल नहीं किया चाहिए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि मुस्लिम समुदाय के लोग यदि अपने पूर्वजों को हिन्दू मानते हैं,तो वे हमारे सांस्कृतिक आयोजनों का हिस्सा बन सकते हैं, लेकिन यदि वे हमारी संस्कृति का सम्मान नहीं करते हैं,तो उन्हें इन आयोजनों से दूर रहना चाहिए।
यह विवाद मथुरा में होली के जश्न के दौरान शुरू हुआ, जहाँ संतों ने ब्रज क्षेत्र में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक लगाने की माँग की। मथुरा के संतों का कहना था कि होली के दौरान ब्रज में उमंग और जोश एक अलग ही स्तर पर होता है और यह आयोजन हिंदू धर्म की परंपरा और संस्कृति का हिस्सा है। संतों ने यह भी कहा कि जब देश-दुनिया से लोग मथुरा आते हैं, तो यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि यहाँ की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं का सम्मान किया जाए। उनका यह भी कहना था कि ब्रज में इस तरह के आयोजनों में मुस्लिमों को शामिल होने से रोकने के लिए प्रयागराज की तरह कानून लागू किया जाना चाहिए।
मथुरा में होली एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आयोजन है,जो हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। इसकी शुरुआत राधा की जन्मस्थली बरसाना से होती है, जहाँ लठमार होली का आयोजन होता है। यह आयोजन भगवान कृष्ण के समय से जुड़ा हुआ माना जाता है,जब भगवान कृष्ण ने अपनी प्रेमिका राधा के साथ होली खेली थी। ब्रज की होली में यहाँ के लोग अपनी धार्मिक भावनाओं के साथ रंगों का त्योहार मनाते हैं और यह आयोजन न केवल भारत से बल्कि विदेशों से भी पर्यटकों को आकर्षित करता है।
संतों का मानना है कि इस तरह के आयोजनों में मुस्लिमों का शामिल होना हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों के खिलाफ है और इसलिए उन्होंने इसे प्रतिबंधित करने की माँग की। उनका कहना था कि इस तरह के आयोजनों में उन लोगों का प्रवेश नहीं होना चाहिए,जो हिंदू धर्म के प्रति सम्मान और श्रद्धा नहीं रखते हैं।
हालाँकि,इस विवाद ने सामाजिक और धार्मिक ध्रुवीकरण की स्थिति पैदा कर दी है। आलोचक यह मानते हैं कि इस तरह की माँगें सांप्रदायिक सौहार्द को नुकसान पहुँचा सकती हैं और समाज में विभाजन को बढ़ावा दे सकती हैं। वे यह भी कहते हैं कि हमें किसी भी त्योहार को धार्मिक और सांस्कृतिक एकता के रूप में मनाना चाहिए,न कि इसे किसी विशेष धर्म या समुदाय तक सीमित करना चाहिए।
इस पूरे विवाद में राजनीति भी एक अहम भूमिका निभा रही है,क्योंकि भाजपा के विधायक ने इस माँग का समर्थन किया है। वहीं,कई अन्य राजनेताओं और सामाजिक संगठनों ने इस विचार का विरोध किया है और इसे धार्मिक असहिष्णुता की ओर बढ़ने वाला कदम माना है।
मथुरा की होली का यह विवाद अब राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है। यह सवाल उठ रहा है कि क्या सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों को इस तरह से धर्म और समुदाय के आधार पर बाँटना सही है और क्या यह सामाजिक सद्भाव और एकता को नुकसान नहीं पहुँचाएगा।