मार्क कार्नी (तस्वीर क्रेडिट@kaankit)

मार्क कार्नी बनेंगे कनाडा के नए पीएम,कनाडा के प्रधानमंत्री पद की दौड़ जीती,ट्रंप को देंगे मुँहतोड़ जवाब

ओटावा,10 मार्च (युआईटीवी)- मार्क कार्नी ने कनाडा के प्रधानमंत्री पद की दौड़ जीत ली है और वह जस्टिन ट्रूडो की जगह लेंगे। कार्नी, जो कि कनाडा के केंद्रीय बैंक और बैंक ऑफ इंग्लैंड के पूर्व गवर्नर रह चुके हैं, ने रविवार को लिबरल पार्टी के नेतृत्व की प्रतियोगिता में तीन प्रतिद्वंद्वियों को भारी मतों से हराया। हालांकि, कार्नी ने अब तक किसी भी निर्वाचित पद पर कार्य नहीं किया है।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के राजनीतिक करियर में अब एक नया मोड़ आया है, क्योंकि उनकी सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी ने मार्क कार्नी को अगला प्रधानमंत्री बनाने का निर्णय लिया है। मार्क कार्नी, जो पहले बैंक ऑफ कनाडा और बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर रह चुके हैं, अब कनाडा के नए प्रधानमंत्री बनने के लिए तैयार हैं। उनके इस फैसले से कनाडा की राजनीति में कई बदलाव आने की संभावना है, खासकर विदेश नीति में, जहाँ उन्होंने कई अहम मुद्दों पर अपने इरादे स्पष्ट किए हैं।

मार्क कार्नी इस समय ऐसे संकटपूर्ण समय में देश की कमान संभालेंगे,जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा के खिलाफ व्यापार युद्ध छेड़ा हुआ है। अब, वह अगले आम चुनाव में लिबरल पार्टी का नेतृत्व करेंगे और प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। कार्नी का चुनाव कनाडा के लिए एक नया मोड़ हो सकता है,खासकर जब वह अंतरराष्ट्रीय वित्तीय और व्यापारिक मुद्दों में अनुभव रखते हैं।

जस्टिन ट्रूडो के प्रधानमंत्री रहते हुए कनाडा और भारत के रिश्तों में तनाव रहा। ट्रूडो की नीतियों और दृष्टिकोण ने भारतीय नेतृत्व के साथ कई मुद्दों पर मतभेद पैदा किए थे। अब,मार्क कार्नी ने भारत के साथ संबंधों को सुधारने का वादा किया है। कार्नी का कहना है कि कनाडा के लिए यह जरूरी है कि वह समान विचारधारा वाले देशों, खासकर भारत जैसे प्रमुख देशों के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को और बेहतर बनाए। उनके अनुसार,कनाडा को भारत के साथ पुराने रिश्तों को फिर से बनाना चाहिए और इस दिशा में कार्य करना चाहिए। यह बयान भारत के साथ रिश्तों में सुधार की ओर एक सकारात्मक कदम हो सकता है।

मार्क कार्नी ने अपने एक साक्षात्कार में यह भी कहा कि अगर वह प्रधानमंत्री बनते हैं, तो उनका प्राथमिक उद्देश्य समान विचारधारा वाले देशों के साथ व्यापारिक संबंधों को विविधता देना होगा। इसका मतलब यह है कि वह कनाडा के व्यापारिक नेटवर्क को और भी व्यापक और मजबूत बनाना चाहते हैं,जिसमें भारत एक महत्वपूर्ण साझेदार हो सकता है। वह इस बात पर जोर देते हैं कि कनाडा को अपनी विदेश नीति में अधिक लचीलापन दिखाना होगा और भारत जैसे उभरते देशों के साथ मजबूत संबंध बनाना जरूरी है।

कनाडा और अमेरिका के रिश्ते भी हाल के वर्षों में तनावपूर्ण रहे हैं,खासकर व्यापारिक मुद्दों को लेकर। ट्रंप प्रशासन के दौरान अमेरिका ने कनाडा पर कई बार टैरिफ लगाए थे,जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों में खटास आई थी। मार्क कार्नी ने अमेरिका को लेकर अपने इरादे स्पष्ट किए हैं,जिसमें उन्होंने कहा कि कनाडा कभी भी अमेरिका का हिस्सा नहीं बनेगा। यह बयान सीधे तौर पर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस माँग पर प्रतिक्रिया है,जिसमें उन्होंने कई बार कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने की बात की थी।

कार्नी ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि कनाडा का भविष्य और उसकी पहचान अमेरिका से अलग है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका कनाडा के प्राकृतिक संसाधनों,जल,जमीन और अन्य संपत्तियों को हथियाना चाहता है,लेकिन वह इसे कभी भी अपने मक्सद में सफल नहीं होने देंगे। उनका मानना है कि अगर अमेरिका ने ऐसा करने की कोशिश की,तो कनाडा की जीवनशैली और उसकी सामाजिक संरचना को नुकसान पहुँचेगा।

मार्क कार्नी ने ट्रंप की व्यापारिक नीतियों पर भी हमला करते हुए कहा कि कनाडा के खिलाफ लगाए गए टैरिफ के खिलाफ वे लगातार संघर्ष करेंगे। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि कनाडा अपने व्यापारिक हितों की रक्षा करने के लिए हर संभव कदम उठाएगा और टैरिफ के खिलाफ लड़ाई जारी रखेगा। उनका यह बयान यह साबित करता है कि वह किसी भी विदेशी दबाव के सामने झुकने वाले नहीं हैं। उनका कहना था कि इस संकट के दौरान उन लोगों की मदद की जानी चाहिए,जो इन टैरिफ के कारण सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।

कनाडा के प्रधानमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए अहम साबित हो सकता है। जस्टिन ट्रूडो के दौरान भारत के साथ संबंधों में जो खटास आई थी,उसे अब मार्क कार्नी सुधारने का प्रयास करेंगे। उनका यह मानना है कि भारत के साथ व्यापारिक,राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को फिर से स्थापित किया जाना चाहिए। भारत और कनाडा के बीच मजबूत संबंधों से दोनों देशों को एक दूसरे से सीखने और समृद्धि में योगदान देने का मौका मिलेगा।

यह कहना गलत नहीं होगा कि मार्क कार्नी के प्रधानमंत्री बनने से कनाडा की विदेश नीति में नए बदलाव देखने को मिल सकते हैं। उनका दृष्टिकोण ज्यादा खुले विचारों और विकास की ओर है,जो न केवल कनाडा बल्कि वैश्विक स्तर पर भी सकारात्मक बदलाव ला सकता है। उनके नेतृत्व में कनाडा ने अपनी शक्ति और पहचान को वैश्विक मंच पर और भी मजबूती से स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ाएँगे।