नई दिल्ली,14 मार्च (युआईटीवी)- जेएम फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स लिमिटेड पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गैर-अनुपालन के लिए 3.10 लाख रुपये का मौद्रिक जुर्माना लगाया है। केंद्रीय बैंक द्वारा जारी ‘मास्टर डायरेक्शन – नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी – सिस्टेमैटिकली इम्पोर्टेंट नॉन-डिपॉजिट टेकिंग कंपनी एंड डिपॉजिट टेकिंग कंपनी (रिजर्व बैंक) निर्देश, 2016’ के कुछ प्रावधानों का पालन न करने के कारण यह जुर्माना लगाया गया है।
आरबीआई ने 31 मार्च, 2023 तक कंपनी की वित्तीय स्थिति की जाँच की और पाया कि कंपनी ने कुछ अनिवार्य विनियामक निर्देशों का अनुपालन नहीं किया। इसके बाद आरबीआई ने कंपनी को एक नोटिस जारी किया,जिसमें उसे यह स्पष्ट करने का अवसर दिया गया कि क्यों इस पर जुर्माना नहीं लगाया जाए। कंपनी ने इस नोटिस का उत्तर दिया और अतिरिक्त जानकारी भी प्रदान की,साथ ही व्यक्तिगत सुनवाई का भी अवसर प्राप्त किया। इन सभी दस्तावेजों और सुनवाई के आधार पर,आरबीआई ने यह निष्कर्ष निकाला कि कंपनी द्वारा अनुपालन में की गई कमी के कारण मौद्रिक जुर्माना लगाया जाना उचित है।
आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में खामियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेन-देन या समझौते की वैधता पर निर्णय लेना नहीं है। साथ ही,आरबीआई ने यह भी बताया कि इस जुर्माने का कंपनी के खिलाफ किसी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
इसके अलावा,आरबीआई ने क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनियों (रेगुलेशन) एक्ट,2005 और क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनीज रूल्स, 2006 के कुछ प्रावधानों का अनुपालन न करने के लिए एक्सपेरियन क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनी ऑफ इंडिया पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। आरबीआई ने पाया कि कंपनी ने निर्धारित समय सीमा के भीतर क्रेडिट जानकारी के संबंध में आवश्यक सूचना क्रेडिट संस्थानों को नहीं भेजी और न ही उधारकर्ताओं के अनुरोध के बावजूद अपनी जानकारी को अपडेट किया।
आरबीआई ने इस बारे में कहा कि कंपनी ने अनुरोध प्राप्त होने की तारीख से सातवें दिन तक क्रेडिट संस्थानों को विसंगति की जानकारी नहीं भेजी,जो कि नियमों के अनुसार आवश्यक था। इसके अलावा,कंपनी ने निर्धारित 30 दिनों के भीतर उधारकर्ताओं के द्वारा किए गए अपडेट/संशोधन अनुरोधों पर कोई कार्रवाई नहीं की और न ही उधारकर्ताओं को अपनी असमर्थता के बारे में सूचित किया।
आरबीआई की यह कार्रवाई यह सुनिश्चित करने के लिए है कि सभी वित्तीय संस्थान और क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनियां अपने विनियामक दायित्वों का पालन करें,ताकि वित्तीय प्रणाली में पारदर्शिता बनी रहे और ग्राहकों के हितों की रक्षा की जा सके। जुर्माना केवल अनुपालन की कमी के कारण लगाया गया है और इसका उद्देश्य संस्थाओं को उनके कार्यों में सुधार लाने के लिए प्रोत्साहित करना है। आरबीआई का यह कदम वित्तीय क्षेत्र में अनुशासन और नियमों के पालन को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
इन कार्रवाइयों से यह स्पष्ट होता है कि आरबीआई अपने पर्यवेक्षी कार्यों में सख्त है और वह किसी भी प्रकार के अनुपालन में ढील को बर्दाश्त नहीं करता। इस प्रकार, वित्तीय संस्थानों को यह संदेश दिया जा रहा है कि वे सभी विनियामक दिशानिर्देशों का पालन करें और किसी भी प्रकार के उल्लंघन से बचें।