बोलीविया की विदेश मंत्री सेलिंडा सोसा लुंडा और विदेश मंत्री एस. जयशंकर (तस्वीर क्रेडिट@AIRNewsHindi)

बोलीविया की विदेश मंत्री सेलिंडा सोसा लुंडा से विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने की मुलाकात,द्विपक्षीय सहयोग पर हुई चर्चा

नई दिल्ली,21 मार्च (युआईटीवी)- दक्षिण अमेरिकी देश बोलीविया की विदेश मंत्री सेलिंडा सोसा लुंडा से भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मुलाकात की और द्विपक्षीय सहयोग पर व्यापक चर्चा की। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर उन्होंने इस मुलाकात के बारे में जानकारी साझा की। जयशंकर ने अपनी पोस्ट में कहा, “आज दोपहर बोलीविया की विदेश मंत्री सेलिंडा सोसा लुंडा के साथ द्विपक्षीय सहयोग पर विस्तृत चर्चा हुई। हाल ही में ला पाज में हमारे नए दूतावास का उद्घाटन हमारी आईएनबीओ साझेदारी को और गहरा करने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। आज त्वरित प्रभाव वाली परियोजनाओं पर समझौते पर हस्ताक्षर उस दिशा में बढ़ाया गया एक और कदम है।”

यह मुलाकात भारत और बोलीविया के बीच बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के प्रयासों का हिस्सा थी। बोलीविया के साथ भारत का सहयोग विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ रहा है और दोनों देशों के मध्य कूटनीतिक और व्यापारिक संबंधों को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने का प्रयास किया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि बोलीविया की विदेश मंत्री सेलिंडा सोसा लुंडा हाल ही में दिल्ली में आयोजित ‘रायसीना डायलॉग’ के 10वें संस्करण में भाग लेने के लिए आई थीं। इस सम्मेलन में हंगरी के विदेश मंत्री पीटर सिज्जार्टो,नॉर्वे के विदेश मंत्री एस्पेन बार्थ ईडे, और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी जैसे अन्य अंतर्राष्ट्रीय नेता भी शामिल हुए थे।


रायसीना डायलॉग 2025 विदेश मंत्रालय और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा 17-19 मार्च तक दिल्ली में आयोजित किया गया था। यह सम्मेलन वैश्विक समुदाय के सामने आने वाली सबसे बड़ी चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए एक प्रमुख मंच बन चुका है। इसमें भू-राजनीति और भू-अर्थशास्त्र के मुद्दों पर केंद्रित चर्चाएँ होती हैं और यह वैश्विक नीति निर्धारण में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

विदेश मंत्री जयशंकर ने इस अवसर पर अन्य देशों के विदेश मंत्रियों से भी मुलाकात की। उन्होंने नेपाल, थाईलैंड,मालदीव,लातविया और लग्ज़मबर्ग के विदेश मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें की। इन बैठकों में विभिन्न मुद्दों पर गहरी चर्चा हुई। उदाहरण के लिए,लग्ज़मबर्ग के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री जेवियर बेटेल के साथ उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुधार,यूक्रेन संकट और भारत-यूरोपीय संघ साझेदारी पर विचार-विमर्श किया।

इसी तरह, फिलीपींस के विदेश मंत्री एनरिके ए. मानालो से कनेक्टिविटी,समुद्री सहयोग,बुनियादी ढाँचे और आसियान साझेदारी पर विस्तार से चर्चा की गई। यह बैठकें भारत के वैश्विक कूटनीतिक प्रयासों का हिस्सा हैं, जहाँ विदेश मंत्री जयशंकर विभिन्न देशों के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर वार्ता कर रहे हैं। इसके अलावा,मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला खलील से मुलाकात में भारत-मालदीव द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति की समीक्षा की गई।

इन बैठकों और चर्चाओं से यह स्पष्ट होता है कि भारत अपनी कूटनीतिक ताकत को और बढ़ा रहा है और वैश्विक स्तर पर अपने संबंधों को सुदृढ़ करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। यह विदेश नीति के संदर्भ में भारत के बढ़ते प्रभाव का संकेत है, जो विशेष रूप से दक्षिण एशिया, यूरोप और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

जयशंकर की इन मुलाकातों के माध्यम से भारत ने न केवल अपनी कूटनीतिक पहुँच को बढ़ाया है,बल्कि अपने वैश्विक सहयोगी देशों के साथ साझा चिंताओं और अवसरों पर विचार-विमर्श भी किया है। यह भारत की विदेश नीति के दृष्टिकोण को स्पष्ट करता है,जिसमें क्षेत्रीय और वैश्विक दोनों स्तरों पर सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया है।