नई दिल्ली, 27 सितम्बर (युआईटीवी/आईएएनएस)| केरल उच्च न्यायालय ने सोमवार को ऑनलाइन रमी पर प्रतिबंध लगाने वाली केरल सरकार की अधिसूचना को रद्द कर दिया। इससे पहले मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार के ऑनलाइन कौशल खेलों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के आदेश को खारिज कर दिया था। फरवरी, 2021 में केरल सरकार ने केरल गेमिंग एक्ट के तहत जारी एक अधिसूचना के माध्यम से ऑनलाइन रूमी पर रोक लगा दी थी। इस संशोधन को चुनौती देते हुए कई गेमिंग कंपनियों द्वारा एक याचिका दायर की गई थी। केरल उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति टीआर रवि द्वारा आज सुनाए गए फैसले में कहा गया है कि अधिसूचना मनमाना और व्यापार और वाणिज्य के अधिकार और भारतीय संविधान के तहत गारंटीकृत समानता के अधिकार का उल्लंघन है।
मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले में, अदालत ने कहा कि रमी और पोकर कौशल के खेल हैं। अदालत ने यह भी कहा कि स्क्रैबल और शतरंज जैसे खेलों के लिए वर्चुअल और ऑनलाइन प्रारूपों में कोई अंतर नहीं है। इसलिए यह मान लेना गलत है कि ऑनलाइन खेला जाने वाला खेल अपने कौशल के तत्व को खो देता है।
लगातार दो उच्च न्यायालय के फैसलों ने कर्नाटक विधेयक को जांच के दायरे में ला दिया। कौशल के ऑनलाइन खेल पर प्रतिबंध लगाने वाले कर्नाटक विधेयक का कई उद्योग और व्यापार निकायों ने व्यापक विरोध किया था। शक्तिशाली व्यापार संगठन कैट ने कहा कि “यह विधेयक संपन्न भारतीय गेमिंग स्टार्टअप क्षेत्र के लिए खतरा है और यह अवैध ऑफशोर जुआ और सट्टेबाजी ऐप्स को प्रोत्साहित करेगा जो ऑनलाइन ग्रे मार्केट में काम करते हैं।”
इंटरनेट उद्योग की प्रमुख संस्था आईएएमएआई ने कहा कि “यह विधेयक देश के स्टार्टअप हब के रूप में कर्नाटक की स्थिति को नुकसान पहुंचा सकता है और इससे नौकरी और राजस्व का नुकसान हो सकता है। फेडरेशन ऑफ इंडियन फैंटेसी स्पोर्ट्स (एफआईएफएस) ने कहा कि यह विधेयक गुमराह करने वाला प्रतीत होता है क्योंकि यह वैध व्यवसायों को अवैध ऑनलाइन जुआ, सट्टेबाजी और दांव लगाने वाले प्लेटफार्मों के समान मानकर दंडित करता है। ऑल-इंडिया गेमिंग फेडरेशन (एआईजीएफ) ने कहा कि विधेयक अत्यधिक प्रतिगामी है और स्टार्टअप और टेक हब के रूप में कर्नाटक की प्रतिष्ठा के लिए एक बड़ा झटका होगा।”
कर्नाटक विधान परिषद में इस विधेयक की तीखी आलोचना की गई, जहां सदस्यों ने कहा कि “विधेयक कौशल के खेल (गेम ऑफ स्किल)और मौके के खेल(गेम ऑफ चांस) के बीच अंतर नहीं करता है।” कर्नाटक के पूर्व आईटी मंत्री प्रियांक खड़गे ने ट्वीट किया कि “इस विधेयक पर सरकार द्वारा विचार नहीं किया गया है और राज्य ने हाल ही में तमिलनाडु सरकार के पुलिस और गेमिंग संशोधन को रद्द करने वाले फैसले को देखने की जहमत नहीं उठाई है, जो एक ही लाइन पर है।”
इस विधेयक की भारत और कर्नाटक में गेमिंग और एस्पोर्ट्स समुदाय से भी तीखी निंदा की है, जिन्होंने कहा गया है कि यह विधेयक देश के नवोदित गेमिंग समुदाय को बहुत प्रभावित करेगा।