चेन्नई, 17 जनवरी (युआईटीवी/आईएएनएस)- तमिलनाडु के धर्मपुरी जिले में आदिवासी आबादी में कोविड वैक्सीन का डर होने के कारण यहां टीकाकरण अभियान प्रभावित हुआ है। जिला स्वास्थ्य प्रशासन के सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि आदिवासी आबादी में टीकाकरण की कमी का कारण जागरूकता की कमी नहीं, बल्कि टीके को लेकर हिचक है। जिले में लगभग 60 प्रतिशत आदिवासी आबादी को अभी तक वैक्सीन की पहली डोज नहीं लगी है और स्वास्थ्य विभाग जिले की आदिवासी कॉलोनियों में जागरूकता कार्यक्रम शुरू करने का प्रयास कर रहा है।
के.आर. सामाजिक कार्यकर्ता और धर्मपुरी के वाम प्रगतिशील आंदोलन के नेता राजशेखरन ने आईएएनएस को बताया, “सरकारी स्वास्थ्य विभाग ने जिले में हर हफ्ते लगभग 455 टीकाकरण शिविर आयोजित किए हैं। हालांकि, टीके की पहली डोज से 60 प्रतिशत आदिवासी आबादी वंचित है, जो एक गंभीर मामला है और स्वास्थ्य विभाग का ध्यान अब इस आबादी के बीच होना चाहिए और जल्द से जल्द उनके बीच टीकाकरण पूरा करना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि धर्मपुरी के जिला कलेक्टर ने पहले ही आदिवासी नेताओं और बैठक बुलाई है ताकि उनमें जागरूकता पैदा की जा सके और उनकी टीका को लेकर हो रहीं समस्याओं को दूर किया जा सके।
जिले के वाथलमलाई और सिथेरी आदिवासी कॉलोनियों में, 445 टीकाकरण शिविरों और 100 मोबाइल वैक्सीन क्लीनिकों की स्थापना के बाद केवल 30 प्रतिशत आबादी ने अपना टीकाकरण कराया है।
स्वास्थ्य और समाज कल्याण विभाग के साथ जिला प्रशासन वथलमलाई, सिथेरी, अलकट्टू और एरियूर के आदिवासी बस्तियों के घर-घर जाकर सर्वेक्षण करने की योजना बना रहा है ताकि टीकाकरण करने वाले आदिवासी लोगों की सही संख्या के बारे में प्रत्यक्ष जानकारी मिल सके। टीका की समस्याओं को दूर करने को आस-पास की कॉलोनियों के शिक्षित युवाओं को आदिवासी नेताओं से बात करने के लिए जोड़ा जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे कम से कम वैक्सीन की पहली खुराक जल्द से जल्द ले लें।
जिला स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने आईएएनएस को बताया, “इस जिले की आदिवासी आबादी के बीच स्थिति गंभीर है क्योंकि 60 प्रतिशत से अधिक आबादी ने अभी तक टीका नहीं लिया है और राज्य में कोविड-19 का कहर चरम पर है। हमें आदिवासियों के बीच वैक्सीन अभियान में तेजी लानी है और कम से कम पहली डोज के साथ पूरी आबादी को कम समय में टीका लगाने के लिए कार्रवाई तेज करनी है।”