बेंगलुरू, 21 जुलाई (युआईटीवी/आईएएनएस)- कर्नाटक सरकार ने इस साल ऐतिहासिक शहर मैसूर में राज्य के प्रसिद्ध उत्सव दशहरा को ‘नाडा हब्बा’ (भूमि का त्योहार) के रूप में भी मनाने का फैसला किया है। पिछले दो वर्षों में कोविड-19 महामारी के कारण इसे ठीक से नहीं मनाया गया।
राज्य सरकार ने इस वर्ष दशहरा उत्सव को भव्य बनाने का फैसला किया है। यह त्योहार वैश्विक पर्यटकों और देश भर के लोगों को आकर्षित करता है।
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि राज्य सरकार ने ‘मैसुरु दशहरा’ ब्रांड को एक प्रमुख वैश्विक कार्यक्रम में तब्दील करने के लिए प्रचार अभियान शुरू करने का फैसला किया है।
सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के आयुक्त को मुंबई, दिल्ली और चेन्नई हवाई अड्डों पर प्रचार अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है।
नवरात्रि दशहरा में नंदी ध्वज पूजा, पुष्पार्चने और अन्य पारंपरिक अनुष्ठान 5 अक्टूबर, विजयादशमी को किए जाएंगे। ‘गज पाया’, दशहरा हाथियों की उनके निवास स्थान पर वापसी 7 और 8 अक्टूबर को होगी।
मैसूर टूरिज्म सर्किट पर सरकार का आदेश एक सप्ताह के भीतर जारी कर दिया जाएगा। पर्यटन विभाग द्वारा पर्यटन प्रोत्साहन कार्यक्रम तैयार किए जाएंगे।
यात्रा, आवास और अन्य पहलुओं को कवर करने वाले सभी समावेशी सिंगल टिकट पैकेज पेश किए जाएंगे। इसके लिए एक विशेष वेबसाइट भी विकसित की जा रही है।
सरकार की एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, यह मैसूर दशहरा की पहल का पूरक होगा।
सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि मैसूर दशहरा ‘प्रतीक’ को सभी सरकारी विज्ञापनों, अधिसूचनाओं और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित किया जाना चाहिए।
इस राजकीय उत्सव से जुड़े कई पारंपरिक अनुष्ठानों और प्रथाओं जैसे ‘गज पायना’ को पुनर्जीवित किया जाएगा। सीएम बोम्मई ने कहा कि, इससे ग्रामीण जनता की अधिक भागीदारी होगी।
इस वर्ष महोत्सव से पहले दशहरा प्रदर्शनी का उद्घाटन करने का निर्णय लिया गया है। श्रीरंगपटना और चामराजनगर में दशहरा समारोह के लिए प्रत्येक को 1 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया है।