चेन्नई, 30 सितंबर (युआईटीवी/आईएएनएस)| भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास कोई निश्चित डॉलर या रुपये की विनिमय दर नहीं है और इसके बाजार हस्तक्षेप अत्यधिक अस्थिरता को रोकने के लिए हैं। गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को यह जानकारी दी है। उन्होंने यह भी कहा कि इस बात का हमेशा ध्यान रखा जाता है कि विदेशी मुद्रा भंडार पर्याप्त मात्रा में रहे, जबकि आरबीआई विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करता है।
दास ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति वक्तव्य की घोषणा करते हुए कहा कि चालू वित्त वर्ष (28 सितंबर तक) के दौरान प्रमुख मुद्राओं के बाजार के मुकाबले अमेरिकी डॉलर में 14.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
इससे विश्व स्तर पर मुद्रा बाजारों में उथल-पुथल मची हुई है।
दास ने कहा कि अन्य देशों की मुद्राओं की तुलना में भारतीय रुपये की गति व्यवस्थित रही है।
उन्होंने कहा कि इसी अवधि के दौरान अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में 7.4 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो कई उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं और एशियाई साथियों की तुलना में काफी बेहतर है।
दास ने कहा कि स्थिर विनिमय दर वित्तीय और समग्र वृहद आर्थिक स्थिरता और बाजार के भरोसे का प्रतीक है।
रुपये की विनिमय दर और हमारे विदेशी मुद्रा भंडार की पर्याप्तता पर अलग-अलग विचारों का हवाला देते हुए दास ने कहा कि रुपया एक स्वतंत्र रूप से तैरती मुद्रा है और इसकी विनिमय दर बाजार द्वारा निर्धारित होती है।
उन्होंने कहा, “दूसरा, आरबीआई के मन में कोई निश्चित विनिमय दर नहीं है। यह अत्यधिक अस्थिरता को रोकने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करता है। फिलहाल फोकस आर्थिक स्थिरता और बाजार के विश्वास को बनाए रखने पर है।”
उनके अनुसार, आरबीआई ने निवेशकों के विश्वास को बढ़ाने में मदद की, जैसा कि जुलाई से पूंजी प्रवाह की वापसी में परिलक्षित होता है।
विदेशी मुद्रा बाजार में आरबीआई के हस्तक्षेप मौजूदा और विकसित स्थिति के निरंतर मूल्यांकन पर आधारित हैं।