Madrasas giving admission to Muslim children should be investigated, NCPCR seeks report from chief secretaries of states.

गैर-मुस्लिम बच्चों को प्रवेश देने वाले मदरसों की होगी जांच

नई दिल्ली, 9 दिसंबर (युआईटीवी/आईएएनएस)| राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को एक पत्र लिखकर ऐसे सभी सरकारी वित्त पोषित/मान्यता प्राप्त मदरसों की विस्तृत जांच करने को कहा है, जो गैर मुस्लिम बच्चों को प्रवेश दे रहे हैं। यही नहीं, आयोग ने सभी अनमैप्ड मदरसों की मैपिंग की भी सिफारिश की है। दरअसल आयोग को शिकायत मिली कि कुछ मदरसों में गैर-मुस्लिम बच्चों को बिना उनके परिजनों की इजाजत के धार्मिक शिक्षा दी जा रही है।

आयोग ने पत्र में कहा है कि वर्तमान में, देश भर में विभिन्न राज्यों में कई बच्चे मदरसों जैसे संस्थानों में दाखिला ले रहे हैं। आयोग द्वारा यह पता चला है कि मदरसे तीन प्रकार के होते हैं- मान्यता प्राप्त मदरसे, अमान्यता प्राप्त मदरसे और अनमैप्ड मदरसे। ये मदरसे मुख्य रूप से बच्चों को धार्मिक शिक्षा प्रदान करने के लिए जिम्मेदार हैं। जो मदरसे सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं या सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हैं, वे बच्चों को धार्मिक और कुछ हद तक औपचारिक शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।

पत्र में आगे कहा गया है कि, आयोग द्वारा विभिन्न स्रोतों से प्राप्त शिकायतों के अवलोकन पर यह नोट किया गया है कि गैर-मुस्लिम समुदाय के बच्चे सरकारी वित्तपोषित/मान्यता प्राप्त मदरसों में पढ़ रहे हैं। इसके अलावा, आयोग द्वारा यह भी पता चला है कि कुछ राज्य सरकारें उन्हें छात्रवृत्ति भी प्रदान कर रही हैं। यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 28(3) का स्पष्ट उल्लंघन है, जो शैक्षणिक संस्थानों को माता-पिता की सहमति के बिना बच्चों को किसी भी धार्मिक शिक्षा में भाग लेने के लिए बाध्य करने से रोकता है।

आयोग ने सभी मुख्य सचिवों को कहा है कि, “आपके राज्य क्षेत्र में गैर-मुस्लिम बच्चों को प्रवेश देने वाले सभी सरकारी वित्तपोषित/मान्यता प्राप्त मदरसों की विस्तृत जांच की जाए। वहीं जांच में ऐसे मदरसों में जाने वाले बच्चों का भौतिक सत्यापन शामिल होना चाहिए। आयोग ने ये भी कहा कि जांच के बाद ऐसे सभी बच्चों को औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्कूलों में प्रवेश दिलाएं।”

आयोग ने अंत मे सभी अनमैप्ड मदरसों की मैपिंग करने को भी कहा है। वहीं मुख्य सचिवों को एक महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया गया है।

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