नई दिल्ली,19 दिसंबर (युआईटीवी)- भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने बुधवार को चीन के विदेश मंत्री वांग यी से एक महत्वपूर्ण मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति बनाए रखने,पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के वजह से पिछले चार वर्षों से तल्ख़ रहे द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने और विभिन्न अन्य मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद जताई जा रही है। डोभाल भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे थे और उन्होंने विशेष प्रतिनिधियों की 23वें दौर की वार्ता में हिस्सा लेने के लिए मंगलवार को ही चीन की यात्रा की। यह बैठक पाँच साल के अंतराल के बाद हो रही है,क्योंकि पिछली बैठक 2019 में दिल्ली में हुई थी।
चीन के समयानुसार सुबह 10 बजे यह वार्ता शुरू हुई। इस दौरान दोनों देशों के बीच 21 अक्टूबर को पूर्वी लद्दाख से सैनिकों की वापसी और गश्त को लेकर हुए समझौते के बाद द्विपक्षीय संबंधों को बहाल करने के लिए अन्य कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना थी। इस बैठक के बाद भारत और चीन के रिश्तों में सुधार की उम्मीद की जा रही है,खासकर सीमा पर तनाव कम करने की दिशा में।
इस वार्ता से पहले,चीन ने एक बयान जारी किया था जिसमें उसने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच 24 अक्टूबर को रूस के कजान में हुई बैठक के दौरान बनी आम सहमति के आधार पर प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने के लिए तैयार है। एक संवाददाता सम्मेलन में जब विशेष प्रतिनिधि वार्ता के बारे में पूछा गया,तो इस पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि चीन दोनों देशों के बीच मतभेदों को सुलझाने के लिए सकारात्मक रूप से तैयार है।
यह बैठक दोनों देशों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण थी,क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में सीमा पर तनाव के कारण दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ गया था। 2020 में पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में सैनिकों के बीच संघर्ष ने दोनों देशों के संबंधों को अत्यधिक प्रभावित किया था। इस संघर्ष के बाद से सीमा पर तनाव बना हुआ था और दोनों देशों के बीच सैन्य गतिरोध भी जारी था। ऐसे में इस वार्ता को दोनों देशों के मध्य के रिश्तों को सामान्य करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
यह विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता,जिसमें डोभाल और वांग यी शामिल हुए,भारत और चीन के बीच भविष्य में बेहतर संवाद और सहयोग की संभावना को खोल सकती है। दोनों देशों ने सीमा पर शांति बनाए रखने और मतभेदों को शांति पूर्वक सुलझाने का संकल्प लिया है। इस प्रकार,यह मुलाकात द्विपक्षीय संबंधों में एक नई दिशा और सुधार की ओर बढ़ने का संकेत हो सकती है।