वाशिंगटन, 5 मार्च (युआईटीवी)- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 5 फरवरी 2025 को कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए एक बार फिर से रेसिप्रोकल टैरिफ (प्रत्यावर्तक शुल्क) की बात की। ट्रंप ने अपने भाषण में कई अहम घोषणाएँ कीं, जिनका उद्देश्य अमेरिका की अर्थव्यवस्था को फिर से मजबूती प्रदान करना था। ट्रंप ने कहा कि अब से अमेरिका उन देशों पर वही शुल्क लगाएगा,जो देश अमेरिका पर उच्च टैरिफ लगाते हैं। इस नई नीति के तहत, अमेरिका उन देशों से उतना ही शुल्क वसूल करेगा,जितना वे अमेरिका से लेते हैं। उन्होंने इसे अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए एक आवश्यक कदम बताया,जो अमेरिका को “निष्पक्ष और संतुलित” बनाने के लिए उठाया जा रहा है।
ट्रंप ने विशेष रूप से उन देशों का नाम लिया,जो अमेरिका पर उच्च टैरिफ लगाते हैं, जैसे कि कनाडा,मेक्सिको,भारत और दक्षिण कोरिया। उनका कहना था कि इन देशों ने दशकों से अमेरिका पर अधिक शुल्क लगाए हैं और अब वक्त आ गया है,जब अमेरिका इन देशों के खिलाफ कदम उठाए। उन्होंने घोषणा की कि 2 अप्रैल से इन देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लागू किए जाएँगे। इसका मतलब यह होगा कि अगर कोई देश अमेरिका पर टैरिफ लगाता है,तो अमेरिका भी उस देश पर उतना ही टैरिफ लगाएगा।
ट्रंप ने इस कदम को अमेरिकी किसानों,निर्माताओं और श्रमिकों की सुरक्षा के लिए जरूरी बताया,जो लंबे समय से असंतुलित व्यापार नीतियों का शिकार हो रहे थे। उन्होंने कहा, “भारत हमसे 100 प्रतिशत टैरिफ वसूलता है और यह अमेरिका के लिए उचित नहीं है। यह कभी नहीं था।” ट्रंप का कहना था कि यह कदम अमेरिकी व्यापार को मजबूत बनाने और विदेशों से आने वाली वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रण में लाने के लिए उठाया जा रहा है। उनका उद्देश्य अमेरिकी अर्थव्यवस्था को “अमीर और महान” बनाना था,जो पहले से ही दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है,लेकिन अब तक की सबसे असंतुलित व्यापार नीतियों के कारण परेशान है।
ट्रंप ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका यह कदम यूरोपीय संघ,चीन,ब्राजील,भारत और अन्य देशों के खिलाफ उठाया जा रहा है,जो दशकों से अमेरिका पर अधिक शुल्क लगाते आ रहे हैं। उन्होंने उदाहरण के तौर पर यूरोपीय संघ और चीन का उल्लेख किया,जो अमेरिका पर उच्च शुल्क लगाते हैं,जबकि अमेरिका इन देशों से अपेक्षाकृत कम शुल्क वसूलता है। उन्होंने कहा कि यह असंतुलन अब खत्म किया जाएगा। ट्रंप ने आगे कहा, “हमने अब तक इसे नजरअंदाज किया है,लेकिन अब हम कदम उठा रहे हैं।”
इसके अलावा, ट्रंप ने डेमोक्रेट्स पर भी हमला बोला,जिन्होंने उनकी टिप्पणियों की सराहना करने से इनकार किया था। ट्रंप ने कहा कि यह बहुत दुखद है कि डेमोक्रेट्स उनके नेतृत्व में किए गए सकारात्मक बदलावों और घोषणाओं की सराहना करने के बजाय उनकी आलोचना कर रहे हैं। उन्होंने इसे “बहुत दुखद” और “निराशाजनक” बताया। ट्रंप ने कहा, “मैं यहाँ कुछ भी अच्छा नहीं कह सकता,जो उन्हें खुश कर सके। चाहे हम कुछ भी करें,ये लोग ताली नहीं बजाएँगे और न ही खड़े होंगे।”
राष्ट्रपति ट्रंप ने यह भी कहा कि यदि वे एक बड़ी बीमारी का इलाज खोज लें,जो पूरी दुनिया को खत्म कर दे या दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को फिर से ऊपर उठाने में सफलता प्राप्त कर लें,तो डेमोक्रेट्स उनके इस कार्य को भी सराहेंगे नहीं। उन्होंने कहा, “चाहे हम क्या करें,ये लोग नहीं बदलेंगे। वे कभी भी हमारी सफलता की सराहना नहीं करेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि वह पाँच बार कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित कर चुके हैं और यह स्थिति बदलने की आवश्यकता है। ट्रंप ने इसे “बहुत दुखद” बताया,क्योंकि उनके दृष्टिकोण से,यह वह समय है,जब देश को एकजुट होकर अपने हितों की रक्षा करनी चाहिए थी,न कि राजनीतिक विभाजन की ओर बढ़ना चाहिए था।
ट्रंप ने अपनी बातें खत्म करते हुए कहा कि उनका उद्देश्य हमेशा अमेरिका के लोगों के हित में काम करना रहा है। उनका यह विश्वास था कि रेसिप्रोकल टैरिफ न केवल अमेरिकी व्यापार को सुरक्षित करेगा,बल्कि यह देश की आंतरिक अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बनाएगा। उनके अनुसार,जब अन्य देशों ने अमेरिका पर उच्च टैरिफ लगाए हैं,तो अब अमेरिका भी उन देशों से उतना ही शुल्क वसूल करेगा,ताकि व्यापारिक असंतुलन को दूर किया जा सके और अमेरिका को एक बार फिर अपनी वैश्विक स्थिति में मजबूती मिल सके।
यह घोषणा ट्रंप के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था,क्योंकि इससे स्पष्ट हो गया कि वे अमेरिका के व्यापारिक हितों को पहले रखने के पक्षधर हैं। ट्रंप का यह रुख अमेरिका के व्यापारिक अनुबंधों और संबंधों में एक बड़ा बदलाव लाने का इरादा दिखाता है,जिसमें वह देशों से व्यापारिक असंतुलन को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। इस नीति को लेकर अमेरिकी व्यापार जगत और विदेश नीति पर लंबी चर्चा होने की संभावना है,लेकिन यह भी स्पष्ट है कि ट्रंप का लक्ष्य अमेरिकी अर्थव्यवस्था को फिर से “अमीर और महान” बनाना है।