वाशिंगटन,6 अप्रैल (युआईटीवी)- अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन एक बार फिर से पाकिस्तान पर दबाव डाल रहा है और अपनी शर्तें लागू करने की कोशिश कर रहा है। हाल ही में,पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ,आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर,मरियम नवाज,आईएसआई चीफ और विदेश सचिव अचानक सऊदी अरब के दौरे पर पहुँचे थे। इस दौरे के दौरान,अमेरिका और सऊदी अरब के अधिकारियों ने पाकिस्तानी नेतृत्व से मुलाकात की और उनके सामने पाँच महत्वपूर्ण शर्तें रखीं,जिनमें भारत,चीन,इजरायल,ईरान और आतंकवाद से जुड़े मुद्दे शामिल थे। अमेरिका ने पाकिस्तान से यह स्पष्ट किया कि यदि वह इन शर्तों को नहीं मानता है,तो जनरल असीम मुनीर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
अमेरिका ने पाकिस्तान से यह माँग की है कि वह इजरायल को मान्यता दे। रिपोर्ट के अनुसार,अमेरिका चाहता है कि पाकिस्तान गाजा में शांति व्यवस्था के लिए यदि कोई अंतर्राष्ट्रीय शांति रक्षक सेना तैनात होती है,तो पाकिस्तान अपनी सेना भेजे। सऊदी अरब,जो पहले से ही इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य करने की दिशा में कदम बढ़ा चुका है,पाकिस्तान से यह उम्मीद करता है कि वह भी इस दिशा में काम करेगा। सऊदी अरब और पाकिस्तान के सैन्य संबंध मजबूत हैं और पाकिस्तान ने पहले भी सऊदी अरब के साथ यमन में हूतियों के खिलाफ सैन्य अभियान में सहयोग किया है। इसलिए,अमेरिका और सऊदी अरब ने पाकिस्तान पर दबाव डाला है कि वह इजरायल के साथ रिश्ते सुधारने की दिशा में कदम उठाए।
अमेरिका और सऊदी अरब ने पाकिस्तान से कश्मीर में चल रहे आतंकवाद को तत्काल बंद करने का दबाव डाला है। अमेरिका ने पाकिस्तान को यह भी कहा कि उसे भारत के साथ अपने रिश्तों को सामान्य करना होगा और कश्मीर का मुद्दा हल करना होगा। अमेरिका का यह रुख पाकिस्तान से यह सुनिश्चित करना है कि वह भारत के खिलाफ आतंकवाद को प्रोत्साहित न करे और कश्मीर में शांति कायम करने के लिए कदम उठाए। इस तरह,पाकिस्तान को भारत के प्रति अपनी नीति में बदलाव लाने का सुझाव दिया गया है,ताकि दोनों देशों के मध्य के रिश्ते बेहतर हो सकें।
पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान और चीन के रिश्ते काफी मजबूत हुए हैं,खासकर चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के कारण। अमेरिका और सऊदी अरब ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि वह चीन के साथ अपनी करीबी संबंधों को न बढ़ाए। पाकिस्तान के बलूचिस्तान में सीपेक परियोजना में लगे चीनी इंजीनियरों और मजदूरों पर बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी द्वारा हमले के बाद,चीन ने पाकिस्तान को फटकार लगाई थी और अपनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए वहाँ सुरक्षा बल तैनात कर दिए थे। अमेरिका का मानना है कि पाकिस्तान को चीन से दूरी बनानी चाहिए, ताकि पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्ते बेहतर हो सकें और पाकिस्तान अपने क्षेत्रीय रणनीतिक लक्ष्यों को समझ सके।
पाकिस्तान और ईरान के रिश्ते कभी अच्छे तो कभी खट्टे रहे हैं। अमेरिका ने पाकिस्तान से कहा है कि यदि कभी ईरान में सत्ता परिवर्तन के लिए अभियान शुरू किया जाता है,तो पाकिस्तान को इस अभियान का समर्थन करना होगा और न्यूट्रल रहने का कोई विकल्प नहीं होगा। अमेरिका का यह दबाव सऊदी अरब और ईरान के बीच चल रहे तनाव को लेकर है। अमेरिका चाहता है कि पाकिस्तान सऊदी अरब और उसके अपने हितों का समर्थन करे,ताकि क्षेत्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।
अमेरिका ने पाकिस्तान से यह भी कहा है कि वह आतंकवाद के खिलाफ अमेरिकी अभियानों में सहयोग करे। पाकिस्तान से यह अपेक्षा की जा रही है कि वह आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करे और उन्हें अपनी सरजमीं से बाहर निकाले। पाकिस्तान से कहा गया है कि वह अमेरिकी सुरक्षा हितों को लेकर सक्रिय सहयोग प्रदान करे,ताकि दोनों देशों के बीच आतंकवाद के खिलाफ साझेदारी मजबूत हो सके।
अमेरिका ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी है कि यदि वह इन पाँच शर्तों को नहीं मानता है,तो वह जनरल असीम मुनीर के खिलाफ प्रतिबंध (बैन) लगा सकता है। अमेरिकी कांग्रेस में इस मुद्दे पर प्रस्ताव भी पेश किया गया है,जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के कथित मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर पाकिस्तान की सरकार और सेना प्रमुख जनरल मुनीर के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की माँग की गई है। यह प्रस्ताव पाकिस्तान के खिलाफ एक कड़ा कदम हो सकता है,जो अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्तों में और तनाव पैदा कर सकता है।
अमेरिका और सऊदी अरब की ओर से पाकिस्तान पर डाले गए इस दबाव से यह साफ होता है कि पाकिस्तान को अपनी विदेश नीति में कई अहम बदलाव करने होंगे, खासकर अपने क्षेत्रीय सहयोगियों और रणनीतिक भागीदारों के मामले में। पाकिस्तान को अमेरिका और सऊदी अरब की शर्तों को मानने या न मानने का फैसला करना होगा,जो उसकी विदेश नीति और आंतरिक रणनीति को प्रभावित करेगा। पाकिस्तान के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि उसे अपने पुराने रिश्तों को ध्यान में रखते हुए नए दबावों का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका द्वारा लगाए गए इन शर्तों से पाकिस्तान की रणनीति और भविष्य के फैसले प्रभावित हो सकते हैं।