वॉशिंगटन,24 मार्च (युआईटीवी)- डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों ने यमन के हूती समूह के खिलाफ सैन्य हमलों की योजना पर एक व्यावसायिक मैसेजिंग सेवा पर विस्तृत चर्चा की। कई समाचार रिपोर्टों के अनुसार, अधिकारियों ने इस चर्चा को स्वीकार भी किया है,जो कई दिनों तक चली और इसमें हमलों की पूरी जानकारी,उपयोग किए जाने वाले हथियारों और हमलों के समय के बारे में बात की गई। गलती से इस ग्रुप में द अटलांटिक मैगजीन के संपादक जेफरी गोल्डबर्ग को भी जोड़ दिया गया,जो बाद में इस घटनाक्रम पर रिपोर्ट करने के लिए चर्चा का हिस्सा बने।
इस चर्चा में,अधिकारियों ने सिग्नल नामक एक सुरक्षित मैसेजिंग सेवा का उपयोग किया था,जिसे उच्च स्तर पर गोपनीय बातचीत के लिए जाना जाता है। इस चर्चा में उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस,रक्षा सचिव पीट हेगसेथ,राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज,सीआईए निदेशक जॉन रेडक्लिफ और राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड शामिल थे। एक व्यक्ति जिसे एमएआर कहा गया,वह संभवत: विदेश सचिव मार्को रुबियो थे,लेकिन यह पूरी तरह से पुष्टि नहीं हो पाई।
जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से इस चर्चा के बारे में पूछा गया,तो उन्होंने कहा, “मुझे इसके बारे में कुछ नहीं पता। मैं अटलांटिक का बहुत बड़ा प्रशंसक नहीं हूँ।” हालाँकि,राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता ब्रायन ह्यूजेस ने द अटलांटिक द्वारा प्रकाशित चर्चाओं की प्रामाणिकता की पुष्टि की। उन्होंने कहा, “जो मैसेज थ्रेड की खबर सामने आई है,वह सच लगती है। हम यह देख रहे हैं कि गलती से कोई नंबर उसमें कैसे जुड़ गया।”
ह्यूजेस ने आगे कहा, “यह थ्रेड दिखाता है कि बड़े अधिकारियों के बीच नीति पर गहरी और सोची-समझी समन्वय था। हूती ऑपरेशन की लगातार सफलता इस बात को साबित करती है कि हमारे सैनिकों या राष्ट्रीय सुरक्षा को कोई खतरा नहीं था।”
हूती विद्रोहियों के खिलाफ ट्रंप प्रशासन द्वारा पहला अमेरिकी हमला 15 मार्च 2023 को शुरू हुआ था,जब हूती विद्रोहियों ने गाजा की नाकाबंदी को लेकर इजरायल के खिलाफ हमले फिर से शुरू करने की धमकी दी थी। ये हमले सप्ताहांत में और भी बढ़ गए और सोमवार तक जारी रहे।
हूती समूह के द्वारा किए गए हमलों की जड़ 2023 के नवंबर माह से जुड़ी हुई है,जब हूती विद्रोहियों ने पश्चिम एशिया के जलक्षेत्रों—लाल सागर,अदन की खाड़ी,बाब अल-मंदेब जलडमरूमध्य और अरब सागर में लगभग 100 व्यापारिक जहाजों को निशाना बनाया। यह हमले तब शुरू हुए थे,जब इजरायल ने 7 अक्टूबर 2023 को हुए हमास के आतंकी हमलों का जवाब दिया था।
इन हमलों ने अंतर्राष्ट्रीय जलक्षेत्र में एक नए तरह की असुरक्षा पैदा कर दी थी,जिससे समुद्री व्यापार के लिए खतरे की घंटी बज गई। हूती समूह की ओर से किए गए ये हमले न केवल इजरायल की नाकाबंदी को चुनौती देने का प्रयास थे,बल्कि यह भी दिखाता था कि हूती विद्रोहियों की शक्ति अब सिर्फ यमन तक सीमित नहीं थी,बल्कि उन्होंने पूरे पश्चिमी एशिया के जलमार्गों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी।
ट्रंप प्रशासन की प्रतिक्रिया में,अमेरिकी सेना ने हूती समूह के खिलाफ सैन्य कार्रवाई शुरू की थी,जो लगातार कुछ दिनों तक जारी रही। यह हमला अमेरिका की तरफ से पहली बार हूती समूह के खिलाफ इतनी बड़ी सैन्य कार्रवाई थी और इसका उद्देश्य हूती विद्रोहियों द्वारा समुद्री मार्गों पर किए गए हमलों का जवाब देना था।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के अधिकारियों ने हूती विद्रोहियों की गतिविधियों और उनके द्वारा किए गए हमलों को गंभीरता से लिया और सैन्य योजनाओं पर विचार किया। इन चर्चाओं में अधिकारियों ने यह सुनिश्चित किया कि अमेरिका की कार्रवाई से क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरा नहीं होगा और यह कार्रवाई प्रभावी रहेगी।
विशेष रूप से,अमेरिकी सैन्य कार्रवाई का उद्देश्य हूती विद्रोहियों के हमलों के जवाब में उनके सैन्य ठिकानों को नष्ट करना था,ताकि वे समुद्री व्यापार को निशाना न बना सकें और क्षेत्रीय शांति को प्रभावित न कर सकें।
इस बीच,हूती विद्रोहियों के खिलाफ अमेरिकी हमलों के जवाब में यमन और अन्य देशों से राजनीतिक और सैन्य प्रतिक्रियाएँ आईं,जो इसे एक क्षेत्रीय संघर्ष में बदलने का खतरा दिखाती हैं। इसके अलावा,इस पूरे घटनाक्रम ने यह भी सवाल उठाया कि क्या अमेरिका और क्षेत्रीय शक्ति यमन की हिंसा को खत्म करने के लिए एक दीर्घकालिक रणनीति बना रहे हैं या यह केवल अस्थायी सैन्य हमलों तक सीमित रहेगा।
अमेरिकी अधिकारियों ने यह स्पष्ट किया कि हूती विद्रोहियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के पीछे का मुख्य उद्देश्य अमेरिकी नागरिकों,मित्र देशों और व्यापारिक जहाजों की सुरक्षा सुनिश्चित करना था। हालाँकि,यह भी ध्यान में रखना होगा कि इस संघर्ष का क्षेत्रीय प्रभाव और अन्य देशों की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा,इस पर विचार किया जा रहा है।
इस घटना ने यह भी साबित किया कि युद्ध की नई किस्में और विवादों के समाधान के तरीके अब डिजिटल रूप से भी पूरी तरह से जुड़े हुए हैं,जैसे कि सुरक्षित मैसेजिंग सेवाओं का उपयोग,जो अब वैश्विक सुरक्षा में अहम भूमिका निभा रही हैं।
इस प्रकार,यह सैन्य योजना और उसकी चर्चाएँ न केवल यमन में बढ़ते संघर्ष को लेकर हैं,बल्कि इसने यह भी साबित किया कि वैश्विक सुरक्षा के परिप्रेक्ष्य में घटनाएँ अब और भी जटिल हो चुकी हैं,जिनका समाधान केवल सैन्य शक्ति से नहीं,बल्कि राजनयिक संवाद से भी जुड़ा हुआ है।