न्यूयॉर्क,18 नवंबर (युआईटीवी)- मैनहैटन के अभियोजक एल्विन ब्रैग ने भारत को 1,440 प्राचीन कलाकृतियाँ लौटाई हैं, जिनमें मंदिरों से चुराई गई ऐतिहासिक मूर्तियाँ शामिल हैं। ये सभी वस्तुएँ तस्करी के माध्यम से अमेरिका पहुँचाई गई थीं। भारतीय वाणिज्य दूतावास में आयोजित एक विशेष समारोह में इन्हें भारत के कॉन्सुल मनीष कुल्हारी को सौंपा गया। इस पहल को अमेरिका के होमलैंड सिक्योरिटी इन्वेस्टिगेशन (एचएसआई) समूह ने संचालित किया,जिसकी प्रमुख एलेक्जेंड्रा डीआर्मास ने इसे प्रस्तुत किया।
अभियोजक एल्विन ब्रैग ने कहा कि उनकी टीम भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को निशाना बनाने वाले तस्करी नेटवर्क की जाँच जारी रखेगी। इन कलाकृतियों की बरामदगी कुख्यात तस्करों,जैसे-सुभाष कपूर और नैन्सी वीनर के मामलों की जाँच के दौरान की गई। कपूर,जिसे भारत में दोषी करार दिया जा चुका है,पर अमेरिका में भी वारंट जारी है और उसे प्रत्यर्पित करने की प्रक्रिया चल रही है।
चोरी और बरामदगी की प्रमुख घटनाएँ :
नर्तकी की मूर्ति:1980 के दशक में यह मूर्ति मध्य प्रदेश के एक मंदिर से चुराई गई थी। इसे तस्करों ने दो हिस्सों में काटकर पहले लंदन और फिर न्यूयॉर्क पहुँचाया।
तनेसर की देवी: यह प्राचीन मूर्ति राजस्थान के तनेसर-महादेव गाँव से 1960 के दशक में चोरी की गई थी। न्यूयॉर्क की एक आर्ट गैलरी के माध्यम से यह दो संग्रहकर्ताओं के हाथों में पहुँची और 2022 में मैनहैटन की प्राचीन वस्तु तस्करी इकाई (एटीयू) ने इसे जब्त किया।
इन मूर्तियों और अन्य प्राचीन वस्तुओं की कुल कीमत लगभग 10 मिलियन डॉलर आंकी गई है। कुछ प्राचीन मूर्तियों का प्रदर्शन संग्रहालयों में किया गया,जिसे मैनहैटन अभियोजक की प्राचीन वस्तु तस्करी इकाई (एटीयू) द्वारा जब्त किया गया। कपूर के खिलाफ अमेरिका में गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है और उसे भारत से प्रत्यर्पित करने की प्रक्रिया जारी है।
भारत-अमेरिका सांस्कृतिक सहयोग
यह पहल अमेरिका द्वारा भारत को उसकी सांस्कृतिक धरोहर लौटाने के प्रयासों की एक और कड़ी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाशिंगटन यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को इन कलाकृतियों को लौटाने के लिए धन्यवाद दिया। पीएम मोदी ने इसे केवल कला का हिस्सा नहीं,बल्कि भारतीय संस्कृति,धर्म और विरासत का प्रतीक बताया।
2022 में भी,एल्विन ब्रैग ने भारत को 307 प्राचीन कलाकृतियाँ सौंपी थीं,जिनकी कीमत 40 लाख डॉलर से अधिक थी। उस समय ब्रैग ने सुभाष कपूर को “दुनिया के सबसे बड़े प्राचीन वस्तु तस्करों में से एक” बताया था। न्यूयॉर्क में कपूर एक आर्ट गैलरी चलाता था और वह साल 2011 में जर्मनी में गिरफ्तार हुआ था। इसके बाद उसे भारत लाया गया,जहाँ तमिलनाडु के कुंभकोणम में एक अदालत ने उसे 10 साल की जेल की सजा सुनाई।
भारत को उसकी सांस्कृतिक धरोहर लौटाना न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि यह दो देशों के बीच सांस्कृतिक और कूटनीतिक संबंधों को भी मजबूत करता है। ये कलाकृतियाँ भारतीय धर्म,इतिहास और संस्कृति का अमूल्य हिस्सा हैं। इन्हें वापस पाकर भारत ने अपनी सांस्कृतिक धरोहर को पुनः प्राप्त किया है,जो भावनात्मक और ऐतिहासिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है।