डोनाल्ड ट्रंप और बेंजामिन नेतन्याहू (तस्वीर क्रेडिट@Rohitjain2799)

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा पट्टी पर ‘अमेरिकी अधिकार’ का प्रस्ताव रखा

वाशिंगटन,5 फरवरी (युआईटीवी)- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दशकों पुराने पश्चिम एशिया संकट को हल करने के लिए एक नई योजना का प्रस्ताव रखा है,जिसे उन्होंने गाजा पट्टी और फिलिस्तीनियों की स्थिति को लेकर तैयार किया है। इस प्रस्ताव में गाजा पट्टी पर अमेरिकी नियंत्रण की बात की गई है और साथ ही वहाँ रहने वाले या विस्थापित फिलिस्तीनियों को पड़ोसी देशों मिस्र और जॉर्डन में शरण लेने के लिए भेजने की योजना है। इसके अलावा,ट्रंप ने फिलिस्तीनियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) को हो रही फंडिंग में कटौती करने के आदेश पर भी हस्ताक्षर किए हैं। यह कदम उन्होंने फिलिस्तीनियों के लिए राहत एजेंसी की भूमिका पर सवाल उठाने के बाद उठाया है,क्योंकि उन पर यह आरोप था कि वह हमास को धन मुहैया कराती थी।

ट्रंप ने कहा कि यह निर्णय उनके लिए आसान नहीं था,लेकिन उन्होंने इसे क्षेत्र में स्थिरता और शांति के लिए जरूरी कदम माना। उनका मानना था कि गाजा पट्टी,जो दशकों से हिंसा और विनाश का प्रतीक बनी हुई है,अब इस समस्या का समाधान चाहता है। ट्रंप ने इसे “एक बदकिस्मत जगह” कहा और यह भी कहा कि वहाँ रहने वाले 18 लाख फिलिस्तीनियों के लिए इसे एक सकारात्मक बदलाव की दिशा में कदम माना जाएगा। उनके अनुसार,गाजा पट्टी पर अमेरिकी कब्जे के बाद,उस क्षेत्र को एक नई दिशा में लाया जा सकेगा, जहाँ रोजगार,आवास और आर्थिक विकास को प्राथमिकता दी जाएगी।

राष्ट्रपति ट्रंप ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में इस योजना का जिक्र किया और कहा कि गाजा पट्टी में कई वर्षों से चल रहे संघर्ष का अंत करने के लिए कुछ नया और प्रभावी कदम उठाया जाना चाहिए। उनका मानना था कि यदि हम पुराने तरीकों से ही काम करेंगे,तो हम वही परिणाम प्राप्त करेंगे जो पिछले 100 वर्षों से हो रहे हैं,यानी संघर्ष और हिंसा का निरंतर दौर। ट्रंप ने यह भी कहा कि उनका प्रशासन अमेरिकी सैन्य शक्ति और प्रभाव को बढ़ाने में सफल हुआ है और उन्होंने इजरायल को 1 बिलियन डॉलर से अधिक की सैन्य सहायता मुहैया कराई,जिससे अमेरिकी-इजरायली संबंधों को मजबूत किया।

ट्रंप का कहना था कि गाजा पट्टी पर कब्जा कर अमेरिका उसके विकास में सहायक होगा, जहां वह वहां के खतरनाक बमों और अन्य हथियारों को नष्ट करने की जिम्मेदारी लेगा। इसके अलावा, अमेरिका क्षेत्र में आर्थिक विकास की योजना तैयार करेगा, जिससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और आवास के अवसर बढ़ेंगे। ट्रंप ने इस कदम को एक नई शुरुआत बताया, जो इस संघर्ष को समाप्त करने में मदद करेगा।

उन्होंने कहा कि यह योजना वास्तविक काम करने की दिशा में है,न कि केवल पुराने तरीकों को अपनाने का एक प्रयास। उनका उद्देश्य एक ऐसा समाधान ढूँढना था जो न केवल फिलिस्तीनियों के लिए बल्कि पूरे पश्चिम एशिया क्षेत्र के लिए स्थिरता और शांति ला सके। उन्होंने उम्मीद जताई कि उनका प्रशासन इस योजना के माध्यम से क्षेत्र में एक स्थायी और न्यायपूर्ण शांति स्थापित करने में सफल होगा,जो रक्तपात और हिंसा को समाप्त कर सके।

ट्रंप ने यह भी कहा कि उनका प्रशासन इजरायल और उसके सहयोगियों के साथ मिलकर क्षेत्रीय समस्याओं का हल निकालने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से खुद को अलग कर लिया है,क्योंकि उन्हें यह मान्यता प्राप्त थी कि परिषद ने इजरायल और यहूदी समुदाय के खिलाफ पक्षपात का रुख अपनाया था। इसके अलावा,ट्रंप ने यूएनआरडब्ल्यूए से संबंध तोड़ने का निर्णय लिया,क्योंकि उस पर आरोप था कि वह हमास जैसे आतंकवादी समूहों को वित्तीय सहायता पहुंचाती थी।

ट्रंप ने ईरान को भी निशाना बनाया और कहा कि उनकी योजना के तहत ईरान के तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाएँगे,जिससे ईरान पर अधिकतम आर्थिक दबाव डाला जाएगा। उनका यह भी मानना था कि ईरान परमाणु हथियार प्राप्त करने के काफी करीब पहुँच चुका है और इसलिए उसे रोकने के लिए कड़ी सजा जरूरी है। ट्रंप का यह बयान ईरान के साथ जारी तनाव को और भी बढ़ा सकता है,क्योंकि ईरान ने इस तरह के प्रतिबंधों का विरोध किया है।

ट्रंप का प्रस्ताव एक जटिल और विवादास्पद योजना है, जो फिलिस्तीनी मुद्दे, गाजा पट्टी, इजरायल और ईरान के साथ अमेरिकी विदेश नीति को लेकर कई सवाल उठाता है। हालाँकि,उनका यह कहना है कि यह योजना क्षेत्र में शांति और स्थिरता लाने के लिए है, परंतु इसे लेकर दुनिया भर में विभिन्न प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं। कई लोग इसे एक नए युग की शुरुआत मानते हैं,जबकि कुछ इसे पुराने दृष्टिकोण से अधिक जटिल और विवादास्पद मानते हैं।

यह योजना न केवल फिलिस्तीनियों के लिए,बल्कि पूरी अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है,क्योंकि इससे कई देशों के बीच संबंधों में बदलाव हो सकता है और पूरे मध्यपूर्व के भविष्य पर इसका प्रभाव पड़ सकता है। अब यह देखना होगा कि ट्रंप का यह कदम कितना सफल होता है और यह क्षेत्र में स्थिरता लाने में कितनी मददगार साबित होता है।