वाशिंगटन,15 फरवरी (युआईटीवी)- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अप्रैल की शुरुआत में आयातित कारों पर टैरिफ लगाने की घोषणा की संभावना है। इससे दक्षिण कोरियाई ऑटोमोटिव उद्योग को एक बड़ा झटका लग सकता है। यह निर्णय अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करने,घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और कई अन्य नीतिगत लक्ष्यों को पूरा करने के लिए लिया जा सकता है। राष्ट्रपति ट्रंप ने 2 अप्रैल को इस घोषणा के होने की संभावना जताई है,लेकिन इस पर विस्तृत जानकारी अभी तक नहीं दी गई है कि टैरिफ उसी दिन लागू होंगे या नहीं।
ट्रंप की व्यापार नीति में आयात पर टैरिफ लगाने को एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में देखा जाता है,जिससे वे अमेरिका के व्यापार घाटे को नियंत्रित करने और घरेलू उद्योग को प्रोत्साहित करने का प्रयास कर रहे हैं। इसके अलावा,उनका यह कदम अनधिकृत प्रवासियों की संख्या में कमी लाने और मादक पदार्थों के प्रवाह को रोकने के उद्देश्य से भी लिया जा रहा है।
दक्षिण कोरिया,जो एशिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है,इस कदम से खासा प्रभावित हो सकता है। योनहाप समाचार एजेंसी के मुताबिक,पिछले साल दक्षिण कोरिया का व्यापार अधिशेष अमेरिका के साथ 55.7 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया था। यह संख्या इस बात का संकेत देती है कि दक्षिण कोरिया और अमेरिका के बीच व्यापार संबंध काफी मजबूत हैं और अब ट्रंप के द्वारा लगाए जाने वाले टैरिफ से इस पर असर पड़ने की संभावना है।
रिपोर्ट के अनुसार,ट्रंप ने अपने सहयोगियों से पूछा था, “क्या हम 2 अप्रैल को इसे लागू करने जा रहे हैं?” जिसके जवाब में उनके सहयोगी ने कहा, “यह सही है।” हालाँकि,उन्होंने इस बारे में ज्यादा विस्तार से नहीं बताया कि क्या टैरिफ उसी दिन प्रभावी होंगे या इसकी घोषणा केवल उसी दिन की जाएगी।
दक्षिण कोरिया के लिए अमेरिका एक प्रमुख कार निर्यात बाजार है। पिछले साल, दक्षिण कोरिया के कुल कार निर्यात का लगभग 49.1 प्रतिशत,यानी 34.7 बिलियन डॉलर,अमेरिका को निर्यात किया गया था। यह दर्शाता है कि दक्षिण कोरिया की ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए अमेरिका कितना महत्वपूर्ण है। 2016 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) होने के बाद,दक्षिण कोरियाई कारों पर कोई अमेरिकी टैरिफ नहीं लगाया गया था,लेकिन अब अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद,दक्षिण कोरियाई ऑटोमोटिव उद्योग में चिंताएँ बढ़ गई हैं।
अमेरिकी प्रशासन द्वारा आयातित वस्तुओं पर ‘रेसिप्रोकल’ (पारस्परिक) टैरिफ लगाने की भी योजना बनाई जा रही है,यानी अगर किसी देश ने अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ लगाए हैं,तो अमेरिका भी उस देश के उत्पादों पर टैरिफ लगाएगा। इसके तहत 12 मार्च से स्टील और एल्युमीनियम आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की योजना पहले ही घोषित की जा चुकी है। इसके अलावा,चिप्स और फार्मास्यूटिकल्स (औषधियों) पर नए टैरिफ लगाने पर विचार किया जा रहा है।
ट्रंप के टैरिफ प्रस्तावों पर दक्षिण कोरियाई अधिकारी बारीकी से नजर रखे हुए हैं, क्योंकि उन्हें चिंता है कि हाल ही में दक्षिण कोरिया में राष्ट्रपति यून सुक योल के द्वारा मार्शल लॉ लगाने के प्रयासों के कारण सियोल में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ी है। इससे वाशिंगटन के साथ पॉलिसी समन्वय में देरी हो सकती है। इसके चलते दक्षिण कोरियाई अधिकारियों को चिंता है कि वे इस संकट का सामना ठीक से नहीं कर पाएँगे।
दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री चो ताए-युल ने कहा है कि वह जर्मनी के म्यूनिख में आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा मंच के दौरान अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करने की योजना बना रहे हैं। यह वार्ता इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका के साथ दक्षिण कोरिया के व्यापार संबंधों का असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।
ट्रंप ने पहले ही अमेरिका में आने वाले सभी चीनी सामानों पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया था और इसके बाद उन्होंने कनाडा और मैक्सिको पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने को अस्थायी रूप से रोक दिया है। इसके पीछे यह कारण था कि दोनों देशों ने अमेरिका के साथ अपनी सीमाओं पर मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए सहमति जताई थी।
इन तमाम घटनाक्रमों से यह स्पष्ट होता है कि ट्रंप का व्यापारिक दृष्टिकोण और उनकी टैरिफ नीति वैश्विक व्यापार पर व्यापक असर डाल सकती है। यह नीति न केवल दक्षिण कोरिया बल्कि कई अन्य देशों के लिए भी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है। ऐसे में यह देखा जाना दिलचस्प होगा कि अमेरिका की यह रणनीति अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और रिश्तों पर कैसे प्रभाव डालती है और विशेष रूप से दक्षिण कोरिया के ऑटोमोटिव उद्योग पर इसके प्रभाव क्या होंगे।
ट्रंप का यह कदम न केवल वैश्विक व्यापार युद्ध को और तेज कर सकता है,बल्कि इससे व्यापारिक साझेदारों के बीच तनाव भी बढ़ सकता है। यही कारण है कि दक्षिण कोरियाई अधिकारियों द्वारा इस कदम पर गहरी नजर रखी जा रही है,ताकि वे उचित समय पर अपने रणनीतिक निर्णय ले सकें।