अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (तस्वीर क्रेडिट@Pranjal58816902)

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा को लेकर बदले अपने सुर

गाजा,13 मार्च (युआईटीवी)- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी गाजा योजना को लेकर भारी आलोचनाओं का सामना कर रहे हैं। हालाँकि,बुधवार को उन्होंने अपने पहले के रुख से पलटते हुए कहा, किसी को कोई भी गाजा से बाहर नहीं निकाल रहा। ट्रंप की गाजा पट्टी को खाली करने और अमेरिकी नियंत्रण में लाकर इसे विकसित करने की योजना को लेकर व्यापक आलोचना हुई थी,हालाँकि इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसका समर्थन किया था।

राष्ट्रपति ट्रंप का बदला हुआ रुख बुधवार को कतर में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक के बाद सामने आया। इस बैठक में अरब देशों के विदेश मंत्रियों ने अमेरिका के मध्य-पूर्व दूत,स्टीव विटकॉफ के साथ मिलकर गाजा के पुनर्निर्माण पर चर्चा की। कतर के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में बताया गया कि कतर,मिस्र,जॉर्डन,संयुक्त अरब अमीरात (यूएई),सऊदी अरब,के विदेश मंत्रियों और फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन (पीएलओ) के महासचिव ने इस बैठक में भाग लिया। बैठक में गाजा पुनर्निर्माण योजना पर चर्चा की गई,जिसे 4 मार्च, 2025 को काहिरा में आयोजित अरब लीग शिखर सम्मेलन में मंजूरी दी गई थी। बैठक के दौरान,इन देशों के मंत्रियों ने अमेरिकी दूत के साथ इस योजना पर परामर्श और समन्वय बनाए रखने की सहमति जताई।

इसी सप्ताह, 57 सदस्यीय इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) ने सऊदी अरब में एक आपातकालीन बैठक में अरब लीग की प्रस्तावित गाजा योजना को औपचारिक रूप से अपनाया। यह पहल मिस्र ने शुरू की थी और इसका उद्देश्य फिलिस्तीनी प्राधिकरण के भावी प्रशासन के तहत गाजा पट्टी के पुनर्निर्माण का समर्थन करना था,जो ट्रंप के गाजा प्लान के विरोध में था। अरब देशों के नेताओं का मानना था कि गाजा में शांति और पुनर्निर्माण के लिए किसी दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता हैजो फिलिस्तीनियों की स्वतंत्रता और आजादी की आकांक्षाओं को पूरा कर सके।

कतर में गाजा में युद्धविराम पर वार्ता का एक नया दौर भी शुरू हुआ और स्टीव विटकॉफ को मध्यस्थता के लिए दोहा भेजा गया। कतर के विदेश मंत्रालय ने बताया कि गाजा और कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों में युद्धविराम बनाए रखने की अहमियत पर अरब मंत्रियों ने जोर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि एक वास्तविक शांति प्रक्रिया की आवश्यकता है,जो दो-राज्य समाधान के आधार पर हो,जिससे फिलिस्तीनी लोगों की स्वतंत्रता और आकांक्षाओं को पूरा किया जा सके।

इसके साथ ही, गाजा में हो रहे संघर्ष को लेकर नई संवाद प्रक्रियाओं की शुरुआत भी हुई। हमास के नेतृत्व के राजनीतिक सलाहकार ताहिर अल-नोनो ने कतर की राजधानी दोहा में वाशिंगटन के साथ सीधी बातचीत की पुष्टि की। इस बातचीत का मुख्य उद्देश्य गाजा में सशस्त्र समूह द्वारा पकड़े गए अमेरिकी-इजरायली नागरिक की रिहाई था। इसके अलावा,हमास और अमेरिका के बंधक वार्ताकार एडम बोहलर के बीच हुई बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि गाजा पर युद्ध समाप्त करने के लिए हमास और इजरायल के बीच चरणबद्ध युद्धविराम समझौते को कैसे लागू किया जाए।

यह बैठक वाशिंगटन की दशकों पुरानी नीति को तोड़ती है,जिसके तहत अमेरिका उन संगठनों के साथ बातचीत नहीं करता,जिन्हें वह ‘आतंकवादी संगठन’ मानता है। इस नई दिशा में हमास के प्रतिनिधिमंडल ने मिस्र के मध्यस्थों से भी मुलाकात की और इजरायल के साथ युद्धविराम के अगले चरण पर बातचीत करने की तत्परता जताई। इसके अलावा,इजरायल ने भी इस प्रक्रिया में भाग लेने के लिए दोहा में अपने वार्ताकार भेजे।

इससे पहले,गाजा युद्धविराम समझौते का पहला चरण 42 दिनों तक चला,जो इस महीने की शुरुआत में समाप्त हुआ। इजरायल ने इस पहले चरण को रमजान और पासओवर (यहूदी त्योहार) तक बढ़ाने के प्रस्ताव का समर्थन किया। ट्रंप प्रशासन ने स्टीव विटकॉफ के माध्यम से यह प्रस्ताव भेजा था और इजरायल ने इसे स्वीकार करते हुए गाजा में सभी वस्तुओं की आपूर्ति रोकने का निर्णय लिया।

हालाँकि,हमास ने इस प्रस्ताव पर आलोचना करते हुए कहा कि इजरायल का यह कदम गाजा युद्धविराम समझौते के दूसरे चरण के लिए वार्ता को टालने की कोशिश है। फिलिस्तीनी समूह के मुताबिक,इजरायल का यह कदम गाजा में शांति की बहाली के लिए प्रस्तावित वार्ता को प्रभावित कर सकता है और फिलिस्तीनियों के खिलाफ नए दबाव उत्पन्न कर सकता है।

इस बीच,अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और अरब देशों ने गाजा में शांति के लिए संयुक्त प्रयासों को और तेज करने की आवश्यकता पर बल दिया है। अरब देशों का मानना है कि केवल एक व्यापक और न्यायपूर्ण समाधान ही गाजा में स्थायी शांति ला सकता है। इस शांति प्रक्रिया में ट्रंप प्रशासन का रुख भी एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है और इस प्रक्रिया में उनकी भूमिका को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।

गाजा मुद्दे पर चल रही वार्ताओं और योजनाओं में अमेरिका की भूमिका अब और भी ज्यादा जटिल हो गई है। ट्रंप का नया रुख और अमेरिकी दूत स्टीव विटकॉफ की मध्यस्थता से यह संकेत मिलता है कि अमेरिका अब गाजा पर युद्धविराम के लिए एक दीर्घकालिक समाधान की दिशा में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा है।