नई दिल्ली,30 अप्रैल (युआईटीवी)- कोलकाता के बड़ा बाजार इलाके में स्थित मछुआ फल मंडी के पास ऋतुराज होटल में मंगलवार देर रात लगी भीषण आग ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। इस दर्दनाक हादसे में अब तक 14 से अधिक लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है,जबकि कई अन्य घायल हुए हैं। यह घटना न केवल एक प्रशासनिक विफलता की ओर इशारा करती है,बल्कि राज्य सरकार की लापरवाही पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई प्रमुख नेताओं ने घटना पर दुख जताया है और मृतकों व घायलों के लिए राहत राशि की घोषणा की है।
चश्मदीद चंचल गुप्ता के अनुसार,यह हादसा रात करीब 9 बजे हुआ। घटना स्थल ऋतुराज होटल के अंदर अचानक आग लग गई,जिससे पूरे होटल में तेजी से धुआँ फैल गया। लोगों को बाहर निकलने का मौका तक नहीं मिला। आग की भयावहता इतनी थी कि कुछ ही मिनटों में होटल का अधिकांश हिस्सा जलने लगा। दमकल विभाग को सूचना दी गई,लेकिन मौके पर पहुँचने में उन्हें करीब एक घंटा लग गया। आग पर काबू पाने में ढाई घंटे का समय लगा।
सुबह साढ़े चार बजे के आसपास होटल से शवों को बाहर निकाला गया। स्थानीय लोगों के अनुसार,मृतकों में महिलाएँ और बच्चे भी शामिल हैं। चश्मदीदों का कहना है कि अगर दमकल टीम समय पर पहुँचती, तो कई जानें बचाई जा सकती थीं।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) के माध्यम से इस त्रासदी पर शोक व्यक्त किया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में लिखा, “कोलकाता में आग लगने की दुर्घटना में लोगों की हुई मौत से दुखी हूँ। अपने प्रियजनों को खोने वालों के प्रति संवेदना। घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूँ।”
इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने राहत राशि की भी घोषणा की। उन्होंने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से प्रत्येक मृतक के परिजन को 2 लाख रुपए की अनुग्रह राशि और घायलों को 50 हजार रुपए की सहायता राशि प्रदान किए जाने की घोषणा की
यह संवेदना और आर्थिक सहायता पीड़ित परिवारों के लिए एक आवश्यक सहारा है, लेकिन जमीनी स्तर पर कार्रवाई और सुधार की आवश्यकता इससे कहीं अधिक है।
पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने भी घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया,लेकिन साथ ही राज्य सरकार की कड़ी आलोचना भी की। उन्होंने कहा, “यह केवल एक दुर्घटना नहीं है,बल्कि हत्या है। कोलकाता में बार-बार ऐसी घटनाएँ हो रही हैं। मुख्यमंत्री और फायर ब्रिगेड मंत्री को ध्यान देना चाहिए, लेकिन वे केवल जश्न मनाने में व्यस्त हैं।”
यह बयान राज्य सरकार पर सीधे आरोप लगाता है कि आगजनी जैसी घटनाओं की रोकथाम में प्रशासन विफल रहा है और जानबूझकर लापरवाही बरती जा रही है।
इस हादसे के बाद इलाके में मातम छाया हुआ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि होटल में अग्निशमन उपकरणों की भारी कमी थी। न ही कोई आपातकालीन निकास (इमरजेंसी एग्ज़िट) था और न ही कोई धुआँ निकालने का प्रबंध। इस वजह से लोग धुएँ में फँसकर बेहोश हो गए और दम घुटने से उनकी मौत हो गई।
स्थानीय दुकानदारों और व्यापारियों का कहना है कि बड़ा बाजार जैसे भीड़भाड़ वाले इलाके में सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जाता। कई इमारतें अवैध निर्माण के तहत बनी हुई हैं,जिनमें होटल और लॉज भी शामिल हैं।
कोलकाता का यह अग्निकांड एक गंभीर चेतावनी है। यह हादसा न केवल मानवीय त्रासदी है, बल्कि सिस्टम की कमजोरी का प्रतीक भी है। प्रशासन,नगर निगम और अग्निशमन विभाग को मिलकर अब ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। हर होटल और व्यावसायिक परिसर में फायर सेफ्टी ऑडिट अनिवार्य किया जाना चाहिए,इमरजेंसी रिस्पॉन्स टाइम में सुधार लाना आवश्यक है और आम जनता को फायर सेफ्टी ड्रिल्स के बारे में शिक्षित करना होगा।
जब तक व्यवस्था में बदलाव नहीं लाया जाता,तब तक ऐसे हादसे दोहराए जाते रहेंगे। इस त्रासदी ने कई परिवारों को उजाड़ दिया है और कोलकाता के नागरिकों को भय और दुख में डाल दिया है।