मेलबर्न,23 जनवरी (युआईटीवी)- ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के महान खिलाड़ी और पूर्व कप्तान माइकल क्लार्क को हाल ही में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया है। यह सम्मान उन्हें 64वें खिलाड़ी के रूप में प्राप्त हुआ। इस खबर की घोषणा गुरुवार को क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने की और बुधवार को सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर एक समारोह आयोजित कर उन्हें इस सम्मान से नवाजा गया। माइकल क्लार्क के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है,क्योंकि उनके क्रिकेट करियर ने ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट को कई ऐतिहासिक पल दिए हैं।
माइकल क्लार्क के नाम टेस्ट क्रिकेट में 8600 से अधिक रन हैं,जिनमें 28 शतक शामिल हैं। उन्होंने सिडनी क्रिकेट ग्राउंड (एससीजी) पर भारत के खिलाफ टेस्ट मैच में एक ऐतिहासिक तिहरा शतक (329 रन) भी बनाया था,जो अब तक किसी अन्य क्रिकेटर ने एससीजी पर नहीं किया है। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने ट्विटर पर एक पोस्ट में कहा, “ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट हॉल ऑफ फेम में शामिल होने पर पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान माइकल क्लार्क को बधाई।”
क्लार्क ने अपने 12 साल के करियर में ऑस्ट्रेलिया के लिए टेस्ट और वनडे क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 49.10 की औसत से 8643 रन और वनडे क्रिकेट में 44.58 की औसत से 7981 रन बनाए। उनके करियर के सबसे यादगार क्षणों में से एक था भारत के खिलाफ सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर 329 रन की ऐतिहासिक पारी,जो क्रिकेट इतिहास में एक मील का पत्थर मानी जाती है। इसके अलावा, उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ 35 टेस्ट मैच खेले और भारत के खिलाफ 22 टेस्ट मैच और दोनों टीमों के खिलाफ उनका औसत 56 से अधिक रहा।
क्लार्क के नेतृत्व में ऑस्ट्रेलिया ने 2013-2014 एशेज सीरीज में इंग्लैंड को 5-0 से हराया और 2015 में ऑस्ट्रेलिया में हुए वनडे विश्व कप में भी अपनी टीम को जीत दिलाई। यह उनके करियर की कुछ सबसे बड़ी उपलब्धियाँ रही हैं,जो उन्हें क्रिकेट जगत में अमर बना देती हैं।
सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर आयोजित समारोह में क्लार्क ने कहा, “बचपन में इतने सारे शानदार खिलाड़ियों,आदर्शों और उनके कार्यों को देखना,उन्हें अपना आदर्श मानना और फिर उन्हें हॉल ऑफ फेम में शामिल होते देखना मेरे लिए सम्मान की बात है।” इस समारोह के दौरान,क्लार्क ने अपने करियर के उन पलों को याद किया,जो उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण थे और उन्होंने अपने खेल को देश और टीम के लिए समर्पित किया।
क्लार्क की कप्तानी में एक और बहुत ही भावुक क्षण तब आया जब 2014 में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट को एक बड़े सदमे का सामना करना पड़ा। युवा सलामी बल्लेबाज फिल ह्यूज की घरेलू क्रिकेट मैच के दौरान गर्दन पर बाउंसर लगने से मृत्यु हो गई थी। ह्यूज और क्लार्क अच्छे दोस्त थे और दोनों न्यू साउथ वेल्स की टीम के लिए खेलते थे। ह्यूज की मृत्यु के बाद,क्लार्क ने टीम को एकजुट किया और उनके नेतृत्व में ऑस्ट्रेलिया ने खेल की उच्चतम नैतिकता को बनाए रखा।
क्लार्क ने ह्यूज के अंतिम संस्कार में हिस्सा लिया और जब वह पार्थिव शरीर को ले जा रहे थे तो वह भावुक हो गए थे। इसके कुछ दिन बाद,क्लार्क ने भारत के खिलाफ सीरीज के पहले टेस्ट मैच में अपना 28वां टेस्ट शतक बनाया और इसे अपने “छोटे भाई” फिल ह्यूज को समर्पित किया। इस घटना ने क्लार्क को एक प्रेरणादायक नेता के रूप में स्थापित किया और उन्हें क्रिकेट जगत में और भी सम्मानित किया।
2015 में इंग्लैंड के खिलाफ एशेज सीरीज के बाद माइकल क्लार्क ने क्रिकेट से संन्यास ले लिया। संन्यास लेने के बाद,उन्होंने कहा था, “संन्यास आपके लिए बहुत कुछ करता है। अब जब मैं क्रिकेट देखता हूँ, तो मैं कुछ हिस्सों को मिस करता हूँ। जब आप उच्चतम स्तर पर खेलते हैं,तो लोग आपके अंतर्राष्ट्रीय करियर के बारे में बात करते हैं,लेकिन मेरे लिए यह 6 साल की उम्र में शुरू हुआ था। मैं 34 साल की उम्र में सेवानिवृत्त हो गया,इसलिए यह मेरा जीवन था। क्रिकेट अब भी मेरे जीवन का हिस्सा है।”
क्लार्क ने क्रिकेट के बारे में और अपनी यादों के बारे में एससीजी में कहा, “आप मैदान पर उतरते हैं,100 बनाते हैं,फिर बल्ला उठाते हैं,फिर फील्डिंग करने जाते हैं और फिर अगले ही ओवर में स्लिप में कैच छोड़ देते हैं। यह जीवन के जैसे ही होता है,बहुत सारी घटनाएँ होती हैं,लेकिन क्रिकेट में आपकी सफलता और असफलता दोनों ही पल भर में बदल सकती हैं।”
माइकल क्लार्क का योगदान ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट में अविस्मरणीय रहेगा। उनके नेतृत्व और खेल के प्रति समर्पण ने उन्हें न केवल एक महान क्रिकेटर बल्कि एक प्रेरणादायक कप्तान भी बना दिया। आज,जब वह हॉल ऑफ फेम में शामिल हुए हैं, तो यह सिर्फ उनके खेल की सराहना नहीं है,बल्कि उनके योगदान और टीम के प्रति उनके निष्ठा की भी तारीफ है।