भोपाल, 9 अक्टूबर (युआईटीवी/आईएएनएस)-| मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा के उपचुनाव को लेकर भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, तमाम बड़े नेताओं को मंडल सम्मेलनों में हिस्सा लेकर कार्यकर्ताओं में नया जोश भरने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
राज्य में 28 विधानसभा सीटों पर उप-चुनाव होने वाले हैं, यह उप-चुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए महत्वपूर्ण है और दोनों ही दल पूरा जोर लगाए हुए हैं। भाजपा ने इन चुनावों को जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर रखा रखा है और यही कारण है कि तमाम बड़े नेताओं को मैदानी इलाकों में भेजा जा रहा है।
इन दिनों ग्वालियर-चंबल इलाके में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पूर्व मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व सांसद प्रभात झा सहित राज्य सरकार के कई मंत्री डेरा डाले हुए हैं, तो वही केंद्रीय मंत्री फगन सिंह कुलस्ते, सांसद राकेश सिंह मंडल सम्मेलनों में हिस्सा ले रहे हैं, इसके अलावा मुख्यमंत्री चौहान जनसभाएं कर रहे हैं।
राज्य के सियासी गणित पर गौर करें तो पता चलता है कि विधानसभा में कुल सदस्य संख्या 230 है। इनमें से 28 स्थान रिक्त हैं। वर्तमान में भाजपा के पास 107 विधायक हैं, तो कांग्रेस के 88 विधायक हैं। इस तरह विधानसभा में पूर्ण बहुमत पाने के लिए भाजपा को 9 और कांग्रेस को 28 विधायकों की जरुरत है।
भाजपा सूत्रों का कहना है किस, “पार्टी हमेशा ही हर चुनाव को गंभीरता से लेती है और अपने पूरे दमखम से लड़ती है, इस बार के उप-चुनाव भी उसी तरह लड़े जा रहे हैं। केंद्रीय मंत्री से लेकर राज्य सरकार के मंत्री और सांसद व विधायकों के अलावा अन्य वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसी के तहत सभी नेता सक्रिय होकर अपनी जिम्मेदारी को निभाने में लगे हैं।”
राजनीति के जानकार अरविंद मिश्रा का कहना है कि विधानसभा के उप-चुनाव काफी अहम हैं, इस चुनाव में बड़ी हार पार्टी को सत्ता से बाहर भी कर सकती है, लिहाजा भाजपा किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहती, इसीलिए सभी बड़े नेताओं को कार्यकर्ता से सीधे संवाद करने के लिए मंडल सम्मेलनों में हिस्सा लेने भेजा जा रहा है। ऐसा कम ही देखने में आया है कि भाजपा के दिग्गज मंडल स्तरों पर गए हों।