प्रदर्शनकारियों ने शेख मुजीब के घर में चलाया बुलडोजर (तस्वीर क्रेडिट@SandeepV91343)

बांग्लादेश की राजधानी ढाका में प्रदर्शनकारियों ने शेख मुजीब के घर में चलाया बुलडोजर

ढाका,7 फरवरी (युआईटीवी)- बांग्लादेश की राजधानी ढाका के धानमंडी 32 स्थित शेख मुजीबुर रहमान के तीन मंजिला मकान पर हजारों प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने बुलडोजर चला दिया गया,जिससे घर का अधिकांश हिस्सा ढह गया। यह घटना उस समय हुई,जब पिछले दिन गुस्साए छात्रों ने पहले इस घर में तोड़फोड़ की थी और बाद में उसे आग के हवाले कर दिया था। इस घटना ने बांग्लादेश की राजनीतिक और सामाजिक स्थितियों को एक बार फिर से उग्र बना दिया है,जो पिछले कुछ समय से विवादों में रही हैं।

शेख मुजीबुर रहमान को बांग्लादेश का संस्थापक माना जाता है। उन्होंने 1971 में पाकिस्तान से देश की आजादी का नेतृत्व किया और बांग्लादेश को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्थापित किया। हालाँकि,1975 में उन्हें उनके परिवार सहित मार दिया गया था। उनकी हत्या के बाद,बांग्लादेश में उनके परिवार की भूमिका और उनके द्वारा किए गए कार्यों को लेकर कई विवाद और हमले होते रहे हैं। पिछले साल अगस्त में जब शेख हसीना,जो शेख मुजीब की बेटी हैं,को उग्र छात्र आंदोलनों के कारण सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा,तब से शेख मुजीब के परिवार की विरासत पर लगातार हमले हो रहे हैं।

वर्तमान में जिस मकान में तोड़फोड़ की गई थी,उसे शेख मुजीबुर रहमान की बेटी शेख हसीना ने म्यूजियम में बदल दिया था,ताकि यह उनके पिता की विरासत और बांग्लादेश के संघर्ष के प्रतीक के रूप में बचा रहे। इस मकान को लेकर विवाद तब बढ़ा,जब छात्र आंदोलनकारियों ने इसे अपनी गुस्से की अभिव्यक्ति के रूप में निशाना बनाया।

ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, एक नीला बुलडोजर गुरुवार सुबह तकरीबन 8 बजे इस मकान को लगातार गिरा रहा था। इस दौरान घटनास्थल पर किसी भी प्रकार के कानून प्रवर्तन या प्रशासनिक कर्मी का मौजूद न होना एक और गंभीर सवाल खड़ा करता है। मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि जब तक पूरी इमारत जमींदोज नहीं हो जाती,तब तक तोड़फोड़ जारी रहेगी। रिपोर्ट के मुताबिक,शेख मुजीबुर रहमान के घर पर लूटपाट भी हुई थी। लोग मलबे से दरवाजे,खिड़कियाँ,ईंटें, लोहे की छड़ें और पाइप निकाल रहे थे।

यह घटनाक्रम एक गंभीर राजनीतिक और सामाजिक संकट की ओर इशारा करता है। बुधवार शाम को गुस्साए छात्र घर के सामने इकट्ठा होने लगे और रात करीब 8 बजे परिसर में दाखिल हुए। जैसे-जैसे रात बढ़ी, भीड़ बढ़ती गई और इस दौरान घर में तोड़फोड़ के बाद आग लगा दी गई। बाद में उसी रात बुलडोजर लाकर घर को पूरी तरह से ढहाने का काम शुरू किया गया।

इस हिंसा की शुरुआत उस भाषण से हुई,जिसे शेख हसीना ने भारत में निर्वासन के दौरान अपने समर्थकों को देने का प्रयास किया था। शेख हसीना को पिछले साल अपने 15 साल के शासन के दौरान हुए छात्र नेतृत्व वाले घातक विद्रोह के कारण भारत में निर्वासन में जाना पड़ा था। उन्होंने आलोचकों के खिलाफ सत्ता के दुरुपयोग और विपक्ष को दबाने का आरोप लगाया था।

छात्रों का गुस्सा खासतौर पर शेख हसीना की उस घोषणा के बाद फूटा,जिसमें उन्होंने कहा था कि वह ‘छात्र लीग’ संगठन के सदस्यों के साथ एक वर्चुअल सत्र में शामिल होंगी। यह छात्र लीग हसीना की आवामी लीग पार्टी की स्टूडेंट विंग है,जो पहले बांग्लादेश में प्रमुख छात्र संगठन के रूप में कार्य करती थी। इस संगठन को 23 अक्टूबर 2024 को प्रतिबंधित कर दिया गया था और इसी कारण छात्रों में नाराजगी बढ़ी थी। इस नाराजगी के बाद छात्रों ने शेख हसीना की विरासत और उनके परिवार के प्रतीकों पर हमले किए,जिनमें शेख मुजीबुर रहमान का घर भी शामिल था।

यह घटना बांग्लादेश में शेख हसीना और उनके समर्थकों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। शेख मुजीबुर रहमान के घर पर हमले और हिंसा से देश में सामाजिक और राजनीतिक तनाव बढ़ सकता है। शेख हसीना की सत्ता की स्थिरता पर भी अब सवाल उठने लगे हैं और यह देखना होगा कि बांग्लादेश सरकार इस स्थिति को कैसे संभालती है।

इस घटना ने बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति को और भी जटिल बना दिया है और यह स्पष्ट करता है कि देश में सत्ता और विरोध के बीच संघर्ष अभी भी जारी है। यह संघर्ष केवल राजनीतिक नहीं,बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर भी गहरे असर छोड़ सकता है।