कोल इंडिया लिमिटेड

‘कोल इंडिया लिमिटेड’ ने बीएसई,एनएसई से जुर्माना माफ करने का अनुरोध किया

नई दिल्ली,19 मार्च (युआईटीवी)- राष्ट्रीय खनन दिग्गज कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) से कंपनी पर लगाए गए जुर्माने को माफ करने का अनुरोध किया है। यह जुर्माना सीआईएल पर इस वजह से लगाया गया है,क्योंकि कंपनी ने अपने बोर्ड में एक महिला सहित स्वतंत्र निदेशकों की अपेक्षित संख्या की नियुक्ति के लिए सेबी के मानदंडों का पालन नहीं किया है।

बीएसई और एनएसई ने कोल इंडिया लिमिटेड पर 31 दिसंबर 2024 को समाप्त तिमाही के लिए सेबी (सूचीबद्धता दायित्व और प्रकटीकरण आवश्यकताएं) विनियम, 2015 (सेबी एलओडीआर) के प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए 9.7 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। हालाँकि,कोल इंडिया ने इस जुर्माने को लेकर यह स्पष्ट किया है कि यह गैर-अनुपालन कंपनी की लापरवाही या चूक के कारण नहीं हुआ है,बल्कि यह सीआईएल के प्रबंधन के नियंत्रण से बाहर था।

कोल इंडिया ने अपने बयान में कहा कि कंपनी ने सेबी के विनियमों के अनुपालन के लिए निरंतर प्रयास किए थे,लेकिन इसे पूरा करने में देरी हुई। कंपनी ने यह भी कहा कि यह एक सरकारी कंपनी है और कोयला मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में काम करती है। सीआईएल के अनुसार,बोर्ड में सभी सदस्यों की नियुक्ति के लिए निर्णय कोयला मंत्रालय के तहत किया जाता है,न कि सीआईएल के प्रबंधन के अधिकार क्षेत्र में।

कोल इंडिया लिमिटेड ने कहा कि उसने कोयला मंत्रालय के साथ इस मुद्दे का नियमित रूप से फॉलो-अप किया है और बोर्ड में एक महिला स्वतंत्र निदेशक समेत आवश्यक संख्या में स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति की कोशिश की जा रही है।

18 मार्च को सीआईएल ने एक विनियामक फाइलिंग की,जिसमें खुलासा किया गया कि एनएसई और बीएसई से 17 मार्च, 2025 को उसे नोटिस प्राप्त हुआ था,जिसमें सेबी एलओडीआर के विनियम 17(1), 18(1), 19(1 और 2), और 21(2) के उल्लंघन का हवाला दिया गया था। इसके परिणामस्वरूप,दोनों स्टॉक एक्सचेंजों ने कंपनी पर 9,69,960 रुपये का जुर्माना लगाया।

कोल इंडिया ने बताया कि उसने बीएसई और एनएसई से इस जुर्माने को माफ करने का अनुरोध किया था। कंपनी ने यह भी उल्लेख किया कि पहले जब उसने इस तरह के अनुरोध किए थे,तो एक्सचेंजों ने सकारात्मक रूप से विचार किया था और जुर्माना माफ कर दिया था।

सीआईएल की इस समस्या के पीछे मुख्य कारण यह है कि कंपनी के प्रबंधन के पास बोर्ड में निदेशकों की नियुक्ति का पूर्ण अधिकार नहीं है। सीआईएल एक सरकारी कंपनी है और इसके बोर्ड सदस्यों की नियुक्ति सीधे कोयला मंत्रालय द्वारा की जाती है। इस स्थिति में,सीआईएल के पास स्वतंत्र निदेशकों की संख्या को निर्धारित करने और उनकी नियुक्ति करने की पूरी स्वतंत्रता नहीं है,जो कि सेबी के नियमानुसार आवश्यक है।

कोल इंडिया लिमिटेड ने यह भी उल्लेख किया है कि कंपनी ने समय-समय पर कोयला मंत्रालय के साथ इस मामले पर चर्चा की और इस मुद्दे को हल करने के लिए प्रयास किए। हालाँकि,नियामक प्रक्रियाओं और प्रशासनिक मंजूरी के कारण प्रक्रिया में कुछ समय लगा,जिसके कारण सेबी के मानदंडों का पालन करने में देरी हुई।

सीआईएल के लिए यह मामला काफी महत्वपूर्ण है,क्योंकि यह उसकी सार्वजनिक छवि और नियामक अनुपालन के लिहाज से संवेदनशील है। कंपनी का यह अनुरोध, जो बीएसई और एनएसई से जुर्माना माफ करने के लिए किया गया है,एक महत्वपूर्ण कदम है,जो यह सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है कि कंपनी आगे से नियामक आवश्यकताओं का पालन करती रहे और ऐसे मामलों से बच सके।

समझा जा सकता है कि कोल इंडिया जैसे सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियाँ अक्सर सरकार के नियंत्रण में होती हैं और उनके निर्णयों में कुछ सीमा होती है,जो नियामक अनुपालन में समस्याएँ पैदा कर सकती हैं। ऐसे मामलों में,कंपनी की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह नियामक ढाँचे के तहत आवश्यक कदम उठाए और जरूरी सुधार करें।

आखिरकार,सीआईएल का यह कदम न केवल अपनी छवि को बेहतर बनाने के लिए है,बल्कि यह सरकार द्वारा नियंत्रित अन्य सरकारी कंपनियों के लिए भी एक उदाहरण स्थापित कर सकता है कि कैसे नियामक अनुपालन सुनिश्चित किया जाए, खासकर जब नियुक्ति संबंधी निर्णयों को सरकार द्वारा नियंत्रित किया जाता है।