होली

मथुरा से शुरू हो गया रंगों का त्योहार होली,14 मार्च को धूमधाम से मनाया जाएगा होली

नई दिल्ली,1 मार्च (युआईटीवी)- इस साल 14 मार्च को देशभर में रंगों का त्योहार होली धूमधाम से मनाया जाएगा,लेकिन ब्रज क्षेत्र के प्रसिद्ध स्थानों में होली की शुरुआत पहले ही हो चुकी है। राधा रानी का जन्मस्थान बरसाना की होली पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। महाशिवरात्रि के दिन से ही यहाँ होली की शुरुआत होती है और इस साल भी ऐसा ही हुआ है।

बरसाना में होली का माहौल बिल्कुल अनोखा होता है। यहाँ के गलियों में रंग और गुलाल से सजी दीवारें और ढोल-नगाड़ों की धुन पर झूमते हुए लोग इसे एक जश्न में तब्दील कर देते हैं। बरसाना की गलियों में होली का जो रोमांच है,वह सचमुच अविस्मरणीय होता है। यहाँ के स्थानीय लोग और पर्यटक दोनों ही इस उत्सव का आनंद ले रहे हैं। यह रंगों से भरा माहौल पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है और इस स्थान की होली को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।

ब्रज क्षेत्र में होली का पर्व एक महीने से अधिक समय तक चलता है। वसंत पंचमी के दिन से ही इस त्योहार की शुरुआत होती है,जो लगभग 40 दिनों तक चलता है। इस दौरान हर दिन होली से जुड़ी विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित होती हैं,जिससे यह पर्व और भी खास बन जाता है। इस साल 12 फरवरी को द्वारकाधीश मंदिर में होली का विशेष उत्सव मनाया जाएगा,जो इस पर्व की शुरुआत करेगा।

7 मार्च को नंदगांव में फाग आमंत्रण उत्सव होगा,जिसमें महिलाएँ अपनी सखियों को होली खेलने के लिए आमंत्रित करेंगी। उसी दिन,बरसाना के श्री राधारानी मंदिर में लड्डू मार होली का आयोजन किया जाएगा। इस उत्सव में भक्तगण भगवान श्री कृष्ण के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुए लड्डू फेंकते हैं। यह आयोजन हर साल बहुत धूमधाम से होता है और श्रद्धालुओं के बीच अत्यधिक लोकप्रिय है।

इसके बाद 8 मार्च को बरसाना में लट्ठमार होली का आयोजन होगा। इस परंपरा में नंदगांव के पुरुष और महिलाएँ हिस्सा लेते हैं। इसमें महिलाएँ लाठियों से पुरुषों पर वार करती हैं,जबकि पुरुष ढाल से अपनी रक्षा करते हैं। इसे कान्हा और राधा के प्रेम की अभिव्यक्ति माना जाता है और यह परंपरा बहुत पुरानी है। लट्ठमार होली ब्रज की होली का एक अहम हिस्सा है और इसे देखने के लिए भारी संख्या में पर्यटक यहाँ पहुँचते हैं।

10 मार्च को रंगभरी एकादशी के दिन बांके बिहारी मंदिर और श्री कृष्ण जन्मस्थान पर रंगों से होली खेली जाएगी। यह दिन ब्रज में विशेष महत्व रखता है,क्योंकि इस दिन भगवान श्री कृष्ण और राधा के मिलन की याद में होली खेली जाती है। गोकुल के रमणरेती में 11 मार्च को भी होली का आयोजन होगा। इस दिन वहाँ भक्तजन बड़े धूमधाम से होली खेलते हैं और मंदिरों में भक्ति गीतों के साथ रंगों की बौछार होती है।

13 मार्च को होलिका दहन होगा,जो होली की समाप्ति की ओर इशारा करता है। इसके बाद 14 मार्च को पूरे ब्रज में होली का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। यह दिन पूरे क्षेत्र में खुशी और उल्लास का प्रतीक होता है,जब हर गली और मोहल्ले में होली की धूम होती है। 15 मार्च को बलदेव में दाऊजी का हुरंगा होगा और फिर 22 मार्च को वृंदावन में रंगनाथ जी मंदिर में होली का विशेष उत्सव आयोजित किया जाएगा। यह उत्सव भी भक्तों के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र रहता है।

ब्रज की होली को लेकर एक खास बात यह है कि यह केवल एक त्योहार नहीं,बल्कि यहाँ की संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। यहाँ की होली न सिर्फ रंगों से भरी होती है,बल्कि इसमें भगवान श्री कृष्ण और राधा के प्रेम को भी व्यक्त किया जाता है। यह त्योहार पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है और यहाँ की होली को देखने के लिए हर साल लाखों लोग ब्रज आते हैं। खासकर बरसाना और मथुरा का माहौल इस समय बेहद रंगीन और जीवंत होता है। यहाँ के मंदिरों में भक्ति और उल्लास का संगम देखने को मिलता है।

भारत में होली का पर्व विभिन्न राज्यों में अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है,लेकिन ब्रज की होली अपनी अनोखी परंपराओं और धार्मिक महत्व के कारण विशिष्ट है। यह त्योहार न केवल रंगों और खुशियों का प्रतीक है,बल्कि यहाँ की पारंपरिक गतिविधियाँ और उत्सव भारतीय संस्कृति की अनमोल धरोहर को भी प्रदर्शित करते हैं। मथुरा और उसके आसपास के क्षेत्र,खासकर बरसाना,इस त्योहार के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं। यहाँ की होली की विशेषता यह है कि यह केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं है,बल्कि एक धार्मिक आस्था और प्रेम का प्रतीक भी है।

ब्रज की होली भारतीय संस्कृति की विविधता और समृद्धि का एक अद्भुत उदाहरण है। यहाँ का हर एक आयोजन और उत्सव दर्शाता है कि होली केवल रंगों का खेल नहीं,बल्कि एक धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभव है,जो सभी को एक साथ जोड़ता है।