सुखबीर सिंह बादल (तस्वीर क्रेडिट@RatishShivam)

स्वर्ण मंदिर के बाहर दरबान बनकर सजा काट रहे सुखबीर सिंह बादल पर हुआ जानलेवा हमला,हमलावर हिरासत में

चंडीगढ़,4 दिसंबर (युआईटीवी)- अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में धार्मिक सजा के तहत सेवा देने के दौरान शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल पर बुधवार को जानलेवा हमला हुआ। हालाँकि,सुखबीर सिंह बादल इस हमले में बाल-बाल बच गए। हमलावर ने सुखबीर सिंह बादल पर गोली चलाने की कोशिश की,लेकिन गोली मिसफायर हो गई और इस घटना में किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ। हमलावर को मौके पर ही पकड़ लिया गया और पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया।

सुखबीर सिंह बादल स्वर्ण मंदिर के बाहर दरबान के रूप में सेवा कर रहे थे,जो कि उनकी बेअदबी के मामले में श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा दी गई धार्मिक सजा का हिस्सा था। उसी दौरान एक व्यक्ति ने पिस्तौल से हमला किया। हमलावर ने बड़ी चालाकी से अपनी जेब से बंदूक निकाली और सुखबीर सिंह बादल पर तान दी, लेकिन उस समय वहाँ खड़े सेवादारों में से एक व्यक्ति हमलावर के पास पहुँचा और उसे रोकने की कोशिश की। इसी दौरान गोली चल गई। गनीमत यह रही कि गोली मिसफायर हो गई और दीवार में जा लगी,जिससे किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ। इसके बाद हमलावर को पकड़ लिया गया।

आरोपी की पहचान नारायण सिंह चौड़ा के रूप में हुई है,जो कथित तौर पर खालिस्तानी गतिविधियों से जुड़ा हुआ था। पुलिस ने बताया कि आरोपी पहले भी कई हिंसक गतिविधियों में शामिल रहा है और फिलहाल उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। पुलिस इस हमले के मकसद का पता लगाने में जुटी हुई है। हमलावर के खिलाफ कई गंभीर आरोप पहले से ही हैं और पुलिस ने मामले की जाँच तेज कर दी है।

यह हमला उस समय हुआ,जब सुखबीर सिंह बादल अपने साथियों सुखदेव सिंह ढींडसा,बिक्रमजीत मजीठिया और अन्य नेताओं के साथ श्री दरबार साहिब पहुँचे थे। उन्होंने सेवादार की वेशभूषा में गेट पर अपनी सेवा दी थी। इस धार्मिक सजा का आदेश श्री अकाल तख्त साहिब ने 2007 से 2017 के बीच अकाली दल की सरकार द्वारा किए गए ‘गुनाहों’ के लिए दिया था। सुखबीर सिंह बादल समेत 17 लोगों को 10 दिन तक 5 गुरुद्वारों में सेवा करने की सजा सुनाई गई थी,जिसमें हर दिन 2 घंटे सेवा करनी थी।

इस हमले के बाद सियासी बवाल मच गया है। अकाली दल ने इस हमले को लेकर मुख्यमंत्री से इस्तीफे की माँग की है। अकाली दल नेता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए,क्योंकि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति गंभीर हो गई है। उन्होंने यह भी कहा कि इस घटना की न्यायिक जाँच होनी चाहिए और इसके पीछे की साजिश का पर्दाफाश किया जाना चाहिए।

वहीं, पुलिस ने दावा किया कि सुखबीर सिंह बादल की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। सुरक्षा में तैनात दो एसपी,दो डीएसपी और 175 सादी वर्दी में पुलिसकर्मी मौजूद थे। इसके बावजूद,इस हमले को अंजाम दिया गया,जिससे सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं। पुलिस ने इस हमले की विस्तृत जाँच शुरू कर दी है और आरोपी के इरादों का पता लगाने के प्रयास जारी हैं।

यह हमला केवल एक व्यक्तिगत हमले तक सीमित नहीं था,बल्कि यह सिख समुदाय और पंजाब की राजनीति में भी हलचल पैदा कर गया है। सुखबीर सिंह बादल पर हमले के बाद से ही इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। अकाली दल ने इसे सिर्फ एक हमला नहीं,बल्कि एक साजिश बताया है और इसके पीछे के कारणों की जाँच की माँग की है।

इस घटनाक्रम ने राज्य की सुरक्षा व्यवस्था और राजनीतिक परिदृश्य को फिर से एक बार सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है और यह देखना बाकी है कि इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाते हैं।