दिल्ली विधानसभा को फेसबुक आरोपी को बुलाने का अधिकार नहीं : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, 8 जुलाई (युआईटीवी/आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली विधानसभा 2020 के दिल्ली दंगों में कथित भूमिका के संबंध में फेसबुक और उसके अधिकारियों से जानकारी मांग सकती है, लेकिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को इस पर जवाब देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। कानून-व्यवस्था से संबंधित मुद्दे और अन्य विषय केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने जोर देकर कहा कि फेसबुक के अधिकारी उन सवालों का जवाब नहीं देना चुन सकते हैं, जो दिल्ली विधानसभा की विधायी शक्तियों के दायरे से बाहर है।

शीर्ष अदालत ने 2020 के दिल्ली दंगों की जांच के लिए समिति गठित करने की दिल्ली विधानसभा की शक्तियों को बरकरार रखा, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया कि समिति अभियोजन एजेंसी की तरह काम नहीं कर सकती।

पीठ ने कहा कि दिल्ली विधानसभा का कानून-व्यवस्था की स्थिति पर कोई अधिकार नहीं है और पुलिस व शांति-सद्भाव समिति दंगों के संबंध में आपराधिक मामलों और सबूतों की प्रकृति की जांच नहीं कर सकती।

शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि अगर फेसबुक अधिकारी समिति के सामने पेश होने का फैसला करता है, तो उस अधिकारी को सवालों के जवाब देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता और समिति इस कार्रवाई के लिए अधिकारी के खिलाफ सदन के विशेषाधिकार हनन में आगे नहीं बढ़ सकती।

शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि यह कहना दिल्ली विधानसभा के विधायी जनादेश के भीतर नहीं है कि फेसबुक को एक आरोपी के रूप में नामित किया जाना चाहिए और दिल्ली दंगों में मुकदमा चलाया जाना चाहिए।

दिल्ली सरकार की शांति और सद्भाव समिति ने फेसबुक इंडिया के उपाध्यक्ष और एमडी अजीत मोहन को फरवरी 2020, दिल्ली दंगों के दौरान घृणित सामग्री के प्रसार के लिए फेसबुक के दुरुपयोग पर एक विशेषज्ञ गवाह के रूप में तलब किया था।

समिति ने मोहन को दो मौकों पर कथित तौर पर यह कहते हुए सम्मन जारी किया था कि उनकी गैर-मौजूदगी को विशेषाधिकार का हनन माना जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *