नई दिल्ली,21 मार्च (युआईटीवी)- इंडसइंड बैंक ने हाल ही में अपने डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में हुई विसंगतियों की जाँच के लिए एक स्वतंत्र पेशेवर फर्म को नियुक्त किया है। यह कदम तब उठाया गया,जब बैंक ने पाया कि उसके डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में कुछ अकाउंटिंग विसंगतियाँ हो सकती हैं,जिनका असर दिसंबर 2024 तक बैंक के नेटवर्थ पर करीब 2.35 प्रतिशत हो सकता है। इस जाँच का उद्देश्य उन विसंगतियों के कारणों की पहचान करना और यह सुनिश्चित करना है कि बैंक के द्वारा अपनाए गए अकाउंटिंग मानकों का पालन किया जा रहा है या नहीं।
बैंक ने पहले ही स्टॉक एक्सचेंजों को सूचित किया था कि उसने अपनी अकाउंटिंग प्रक्रिया में कुछ विसंगतियों को पहचाना है। इसके बाद,एक स्वतंत्र पेशेवर फर्म को नियुक्त करने का निर्णय लिया गया है,ताकि वह इन विसंगतियों के मूल कारणों की जाँच कर सके और यह सुनिश्चित कर सके कि डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स के अकाउंटिंग ट्रीटमेंट के बारे में कोई गलतफहमी या चूक न हो। फर्म इस मामले में विस्तृत जाँच करेगी,जिसमें यह आकलन किया जाएगा कि अकाउंटिंग स्टैंडर्ड्स का पालन सही तरीके से हो रहा है या नहीं और इन विसंगतियों के बैंक के वित्तीय स्टेटमेंट पर क्या प्रभाव पड़ सकते हैं।
बैंक ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस समीक्षा के परिणामस्वरूप, जब जाँच पूरी हो जाएगी,तो बैंक स्वयं ही अपनी फाइनेंशियल स्टेटमेंट पर होने वाले किसी भी प्रभाव के बारे में जानकारी प्रदान करेगा। इसके अलावा,बैंक ने यह भी बताया कि 10 मार्च 2025 को एक बाहरी एजेंसी द्वारा बैंक के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो के अकाउंट बैलेंस की जाँच की जा रही है। इस बाहरी एजेंसी का कार्य बैंक द्वारा पहचानी गई विसंगतियों की समीक्षा करना और उसके परिणामों का आकलन करना है।
इस जाँच के लिए नियुक्त की गई स्वतंत्र फर्म को न केवल विसंगतियों के मूल कारणों की पहचान करने का कार्य सौंपा गया है,बल्कि उसे यह भी सुनिश्चित करना है कि डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट के अकाउंटिंग ट्रीटमेंट के बारे में कोई गलतफहमी या चूक न हो। इसके अलावा,यदि कोई दोष पाया जाता है,तो उस पर जवाबदेही तय करने के उद्देश्य से फर्म जाँच करेगी और किसी भी चूक की पहचान करेगी। इस जाँच के परिणामस्वरूप,यदि जाँच के दौरान कोई गलतियाँ या चूकें पाई जाती हैं,तो बैंक को अपनी अकाउंटिंग प्रक्रिया में सुधार करने के लिए कदम उठाने का अवसर मिल सकता है।
बैंक के साथ-साथ भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। रिजर्व बैंक ने बैंक के वित्तीय स्थिरता को लेकर उठ रही अटकलों पर स्पष्ट करते हुए कहा है कि इंडसइंड बैंक पूरी तरह से पूँजीकृत है और जमाकर्ताओं के लिए कोई चिंता की बात नहीं है। आरबीआई ने यह पुष्टि की है कि बैंक की वित्तीय स्थिति स्थिर है और वह इस पर लगातार निगरानी रख रहा है। केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा कि इंडसइंड बैंक ने 31 दिसंबर, 2024 को समाप्त तिमाही के लिए 16.46 प्रतिशत का कैपिटल एडवकेसी रेशो (सीएआर) और 70.20 प्रतिशत का प्रोविजन कवरेज रेशो (पीएआर) दर्ज किया है,जो बैंक की वित्तीय स्थिति की मजबूती को दर्शाता है।
इसके अलावा,आरबीआई ने यह भी बताया कि इंडसइंड बैंक ने 9 मार्च 2025 तक 113 प्रतिशत का लिक्विडिटी कवरेज रेशो (एलसीआर) बनाए रखा है,जो नियामक आवश्यकता 100 प्रतिशत से काफी ऊपर है। यह संकेत देता है कि बैंक के पास पर्याप्त तरलता है और उसे अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा करने में कोई समस्या नहीं होगी।
आरबीआई ने यह भी कहा कि वह वित्तीय अनिश्चितताओं के दौरान जमाकर्ताओं की सुरक्षा में अपने मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड को लेकर आश्वस्त है। इससे यह स्पष्ट होता है कि आरबीआई भारतीय बैंकिंग प्रणाली में स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिए कड़ी निगरानी रखता है।
इंडसइंड बैंक के द्वारा उठाए गए कदम और आरबीआई की कार्रवाई यह दर्शाती है कि बैंक और नियामक दोनों ही इस स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। यह घटना बैंकिंग सेक्टर में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व की महत्वता को भी उजागर करती है और यह संकेत देती है कि किसी भी विसंगति या समस्या का समाधान किया जाएगा,ताकि बैंक की वित्तीय स्थिति पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।