प्रवर्तन निदेशालय

ईडी ने एग्री गोल्ड समूह की 4,100 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की

नई दिल्ली, 24 दिसंबर (युआईटीवी/आईएएनएस)- प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को 6,3800 करोड़ रुपये के एग्री गोल्ड पोंजी घोटाले में बड़ी कार्रवाई करते हुए कंपनी की 4,109 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है। इससे पहले ईडी ने एग्री गोल्ड ग्रुप ऑफ कंपनीज के तीन प्रमोटर्स को गिरफ्तार किया था। ईडी ने पीएमएलए एक्ट के तहत मुख्य आरोपी कंपनी के तीन प्रोमोटर्स अवा वेंकट रामा राव, अवा वेंकट एस. नारायण राव और अवा हेमा सुंदर वर प्रसाद को गिरफ्तार किया है। उन्हें हैदराबाद की अदालत ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने के आरोप में यह गिरफ्तारी की है। ईडी के एक अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि एजेंसी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 (पीएमएलए) के तहत एग्री गोल्ड पोंजी धोखाधड़ी मामले में 4,109 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है।

जब्त की गई संपत्तियों में 2,809 भू-संपत्तियां, आंध्र प्रदेश में 48 एकड़ में फैले अर्का लीजर एंड एंटरटेनमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से हैलीलैंड मनोरंजन पार्क और विभिन्न कंपनियों के शेयर, प्लांट्स और मशीनरी शामिल हैं।

कुर्क की गई संपत्ति आंध्र प्रदेश के अनंतपुर, कुरनूल, कृष्णा, चित्तूर, गुंटूर, कडप्पा, विजयनगरम, पूर्व और पश्चिम गोदावरी, विशाखापत्तनम, नेल्लोर, प्रकाशम, श्रीकाकुलम और कडप्पा जिलों में स्थित हैं।

इसके अलावा ईडी ने कर्नाटक के बेंगलुरू, कोलार, यादगीर और मंड्या जिलों में भी समूह की संपत्तियों को कुर्क किया है। वित्तीय जांच एजेंसी ने ओडिशा के खुर्दा और तमिलनाडु के कृष्णागिरि जिले में भी समूह की संपत्तियों को कुर्क किया है।

अधिकारी ने कहा कि एजेंसी ने तेलंगाना के नारायणपेट, खम्मम, हैदराबाद, रंगा रेड्डी, विकाराबाद, मेडचल, मलकजगिरि, नलगोंडा, और महबूबनगर जिलों में समूह की संपत्तियों को कुर्क किया है।

ईडी ने आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में दर्ज कई एफआईआर पर मामला दर्ज किया है।

एग्री गोल्ड ग्रुप ऑफ कंपनीज के माध्यम से यह घोटाला अव्वा वेंकट रामाराव द्वारा किया गया था। अव्वा वेंकट रामाराव ने पहले गोल्डन फॉरेस्ट सीआईएस फ्रॉड स्कीम में काम किया था।

ईडी ने दावा किया कि उस योजना में व्यापार के गुर सीखने के बाद, उसने एक सुनियोजित साजिश रची और अपने सात भाइयों और अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर 150 से अधिक कंपनियों की स्थापना की और विकसित प्लॉट/कृषि भूमि उपलब्ध कराने के वादे के साथ आम जनता से डिपॉजिट कलेक्ट करना शुरू किया।

कहा गया है कि हजारों कमीशन एजेंट लोगों को मोटी कमीशन के लिए विभिन्न योजनाओं का लालच देने में लगे हुए थे और वह 32 लाख निवेशकों से 6,380 करोड़ रुपये एकत्र करने में सफल रहे।

ईडी अधिकारी ने कहा कि अंत में भोले-भाले निवेशकों को न तो प्लॉट मिले और न ही उनकी जमा राशि की वसूली हो सकी। समूह ने देशभर से अवैध रूप से जमा राशि एकत्र की।

ईडी के अधिकारियों के अनुसार, कंपनी ने आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, ओडिशा, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के लाखों निवेशकों को ठगा।

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