भोपाल, 26 सितम्बर (युआईटीवी/आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में 46 नगरीय निकाय में हो रहे चुनाव वैसे तो छोटे चुनाव हैं, मगर इन चुनावों में बड़ा संदेश छुपा है। यही कारण है कि सत्ताधारी दल भाजपा और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने इन चुनावों में जीत हासिल करने के लिए पूरा जोर लगा दिया।
राज्य के 46 नगरीय निकायों में मंगलवार को मतदान होना है, यह सभी क्षेत्र 18 जिलों में आते हैं और इनमें से अधिकांश जनजाति बाहुल्य है, लिहाजा दोनों दल इन इलाकों में जीत दर्ज कर सियासी तौर पर बड़ा संदेश देना चाहते हैं। यही कारण है कि भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने एक-एक क्षेत्र में पहुंचकर जनसभाएं की कार्यकर्ताओं की बैठकें की और कारगर रणनीति पर जोर दिया, इसी तरह कांग्रेस की ओर से प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने हर दूरदराज इलाके तक पहुंचने की कोशिश की।
भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के तमाम क्षेत्रीय नेता नगरीय निकाय के चुनाव में सक्रिय नजर आए, क्योंकि इन चुनावों की हार जीत उन इलाकाई नेताओं के भविष्य को तय करने वाले जो है। भाजपा की पूरी कमान प्रदेश स्तर पर मुख्यमंत्री चौहान और प्रदेशाध्यक्ष शर्मा के हाथ में रही तो दूसरी ओर कांग्रेस की सारी जिम्मेदारी प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ के हाथ ही रही।
मतदान की तारीख के लगभग एक सप्ताह पहले से दोनों ही राजनीतिक दलों के प्रमुख नेताओं ने सक्रियता बढ़ाई और उन्होंने हर मतदाता का दिल जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ी, तो वही संगठन और सत्ता से जुड़े लोगों को जमीन पर पहुंचने को मजबूर कर दिया।
ज्ञात हो कि, राज्य के 46 निकायों में 27 सितंबर को मतदान हेागा और 30 सितंबर को नतीजे आएंगे, जिन स्थानों पर चुनाव होना है इनमें 17 नगर पालिका और 29 नगर परिषद शामिल हैं। यह नगर पालिका और नगर परिषद राज्य के 18 जिलों में आते हैं।