नई दिल्ली,22 अक्टूबर (युआईटीवी)- ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने हाल ही में भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थायी सदस्यता दिलाने के लिए अपना समर्थन जताया है। नई दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय ‘एनडीटीवी वर्ल्ड समिट’ के दौरान उन्होंने यह बात कही। कैमरन ने इस अवसर पर ज़ोर देते हुए कहा कि वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए भारत के दृष्टिकोण को सुना जाना बेहद जरूरी है।
कैमरन ने कहा कि विश्व युद्ध के बाद वैश्विक संस्थाओं में बड़े बदलाव आए और अब समय आ गया है कि इन संस्थाओं को एक नए सिरे से देखा जाए। उन्होंने कहा कि “हमें एक रीसेट की जरूरत है। भारत का उदय इस सदी में होगा और वह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा।” उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि यह समय ‘इंडिया सेंचुरी’ का है मतलब 21वीं सदी में भारत का प्रमुख भूमिका निभाना निश्चित है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘एनडीटीवी वर्ल्ड समिट 2024 – द इंडिया सेंचुरी’ का उद्घाटन करने के तुरंत बाद कैमरन ने यह भी कहा कि वह शुरू से ही इस विचार में विश्वास रखते थे कि भारत आने वाले समय में एक महत्वपूर्ण वैश्विक शक्ति बनेगा।
कैमरन ने यूएनएससी में सुधार की माँग को दोहराते हुए कहा कि 2005 में ही, जब वह कंजर्वेटिव पार्टी के नेता बने थे, तब उन्होंने भारत की स्थायी सदस्यता के लिए तर्क दिया था। उन्होंने याद किया कि जब वह प्रधानमंत्री बने, तो 2010 में यूरोप के बाहर उन्होंने सबसे पहले भारत का दौरा किया था। उनके अनुसार,संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सीट उसकी बढ़ती वैश्विक शक्ति और बदली हुई दुनिया के लिए एक स्वाभाविक अधिकार है।
कैमरन 11 मई 2010 से 13 जुलाई 2016 तक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे और इस दौरान उन्होंने भारत के साथ अपने संबंधों को गहरा बनाने पर जोर दिया। उनकी इस सोच का समर्थन अब कई वैश्विक नेताओं ने किया है।
पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा की उच्च-स्तरीय बैठक में ब्रिटेन के वर्तमान प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने भी इसी तरह का बयान दिया था। उन्होंने यूएनएससी में भारत के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल होने का समर्थन किया था,साथ ही अफ्रीकी देशों,ब्राजील,जापान तथा जर्मनी को भी स्थायी प्रतिनिधित्व देने की बात कही थी।
भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन सहित अन्य वैश्विक नेताओं का भी समर्थन मिल चुका है। हाल ही में, प्रधानमंत्री मोदी और बाइडेन के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक में भी वाशिंगटन ने भारत की इस दावेदारी के प्रति अपने समर्थन की पुष्टि की थी।
भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका और यूएनएससी में उसकी स्थायी सीट की माँग अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी तेज होती जा रही है,जो भारत की बढ़ती आर्थिक और राजनीतिक ताकत का प्रतीक है।