पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह (तस्वीर क्रेडिट@ManishAwasthiup)

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह 92 साल की उम्र में दिल्ली एम्स में ली आखिरी सांस,राजकीय सम्मान के साथ कल होगा अंतिम संस्कार,सात दिन का राष्ट्रीय शोक

नई दिल्ली,27 दिसंबर (युआईटीवी)- पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर 2024 को निधन हो गया। वे 92 वर्ष के थे और उन्हें गुरुवार को दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था, जहाँ उन्होंने अंतिम सांस ली। डॉ. सिंह की तबीयत खराब थी और उन्हें सांस लेने में कठिनाई हो रही थी,जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था। उनके निधन के बाद देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है।

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर केंद्र सरकार ने सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। इसके साथ ही शुक्रवार को होने वाले सभी सरकारी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया है। डॉ. सिंह का अंतिम संस्कार शनिवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। उनके निधन पर देशभर में शोक की लहर है और उनके योगदान को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए सरकारी संस्थाओं और नागरिकों द्वारा शोक व्यक्त किया जा रहा है। डॉ. मनमोहन सिंह को उनके कार्यों और नीतियों के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

पूर्व प्रधानमंत्री के निधन के बाद,राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया गया। यह एक परंपरा है,जो तब अपनाई जाती है,जब देश के किसी बड़े नेता,प्रमुख कलाकार या राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण कार्य करने वाले व्यक्ति का निधन हो जाता है। भारत सरकार ने उनके निधन पर सात दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है और उनके अंतिम संस्कार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ करने का निर्णय लिया है।

राजकीय शोक की घोषणा पर कई नियम और परंपराएं लागू होती हैं। जब कोई प्रमुख नेता या राष्ट्र के लिए योगदान करने वाला व्यक्ति मरता है,तो आमतौर पर देश में राजकीय शोक की घोषणा की जाती है। पहले इस घोषणा का अधिकार केवल राष्ट्रपति के पास था,लेकिन हाल ही में हुए बदलावों के बाद यह अधिकार अब राज्यों के पास भी है। इसके परिणामस्वरूप,कई बार केंद्र और राज्य सरकारें अलग-अलग राजकीय शोक घोषित करती हैं।

राजकीय शोक के दौरान सरकार के स्कूलों या अन्य सरकारी संस्थानों में छुट्टी की घोषणा नहीं की जाती,जैसा कि केंद्र सरकार के 1997 के नोटिफिकेशन में कहा गया है। हालाँकि,जब राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री का निधन पद पर रहते हुए होता है,तो सरकारी छुट्टी घोषित की जाती है। फिर भी,यदि केंद्र या राज्य सरकार चाहे तो छुट्टी की घोषणा कर सकती है।

फ्लैग कोड ऑफ इंडिया के अनुसार,राजकीय शोक के दौरान प्रमुख सरकारी संस्थाओं,जैसे विधानसभा और सचिवालय में लगे राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया जाता है। इसके अतिरिक्त,कोई भी औपचारिक या सरकारी कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाता है और इस दौरान आधिकारिक मनोरंजन पर भी प्रतिबंध रहता है। इस दौरान सिर्फ जरूरी कार्य ही किए जाते हैं। इस प्रकार,राजकीय शोक देश के शोक और संवेदनाओं को मान्यता देता है और इस समय में कोई भी समारोह या उत्सव का आयोजन नहीं किया जाता।

26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के एक छोटे से गाँव में डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म हुआ था। उनका बचपन कठिनाइयों भरा था,लेकिन शिक्षा के प्रति उन्होंने अपनी प्रतिबद्धता को कभी भी नहीं छोड़ा। साल 1948 में उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से अपनी मेट्रिक की शिक्षा पूरी की। इसके बाद उन्होंने ब्रिटेन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अपनी आगे की शिक्षा प्राप्त की। 1957 में उन्होंने अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी से ऑनर्स की डिग्री अर्जित की। इसके बाद,1962 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नूफिल्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डी.फिल की डिग्री प्राप्त की।

डॉ. मनमोहन सिंह का निजी जीवन भी सादगी से भरा था। उन्होंने अपनी पत्नी श्रीमती गुरशरण कौर के साथ तीन बेटियों को जन्म दिया। उनके परिवार ने हमेशा उनका समर्थन किया और उनके कार्यों में भागीदार रहा।

डॉ. मनमोहन सिंह की राजनीतिक और प्रशासनिक यात्रा 1971 में वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में शुरू हुई थी। उनके काम की सराहना करते हुए उन्हें 1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया। इसके बाद,उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक के अध्यक्ष,योजना आयोग के उपाध्यक्ष और प्रधानमंत्री के सलाहकार के तौर पर महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं। इसके अलावा, वह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष भी रहे।

साल 1991 से 1996 तक मनमोहन सिंह ने भारत के वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह समय बहुत महत्वपूर्ण था,क्योंकि आर्थिक सुधारों के माध्यम से उन्होंने भारत को वैश्विक स्तर पर एक नई दिशा प्रदान की। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को उदारीकरण की दिशा में अग्रसर किया और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। इसके परिणामस्वरूप भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार हुआ और देश ने वैश्विक बाजार में अपनी पहचान बनाई।

साल 2004 से 2014 तक डॉ. मनमोहन सिंह भारत के 14वें प्रधानमंत्री रहे। उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद,भारत में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए और उन्होंने देश को कई दिशा-निर्देश दिए। उनके नेतृत्व में भारत ने कई वैश्विक संकटों का सामना किया,जिसमें 2008 का वित्तीय संकट भी शामिल था। उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद,भारत ने वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में अपनी पहचान बनाई।

डॉ. सिंह की कार्यशैली बेहद नम्र,शांत और व्यावसायिक थी। उन्होंने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए,जो भारतीय राजनीति और समाज पर गहरा प्रभाव छोड़ गए। उनकी कड़ी मेहनत और निष्ठा के कारण उन्हें हमेशा एक ईमानदार और समर्पित नेता के रूप में याद किया जाएगा।

डॉ. मनमोहन सिंह को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख सम्मान इस प्रकार हैं:

पद्म विभूषण (1987): भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान,जिसे डॉ. मनमोहन सिंह को उनके कार्यों और योगदान के लिए दिया गया।

एशिया मनी अवार्ड (1993 और 1994): डॉ. मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री के रूप में इन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।

यूरो मनी अवार्ड (1993): उन्हें यूरो मनी द्वारा भी वर्ष के वित्त मंत्री के रूप में सम्मानित किया गया।

जवाहरलाल नेहरू जन्म शताब्दी पुरस्कार (1995): उन्हें यह पुरस्कार भारतीय विज्ञान कांग्रेस द्वारा दिया गया।

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय का एडम स्मिथ पुरस्कार (1956): इस पुरस्कार के तहत डॉ. सिंह को उनके उत्कृष्ट शैक्षिक कार्यों के लिए सम्मानित किया गया।

राइट पुरस्कार (1955): कैम्ब्रिज के सेंट जॉन्स कॉलेज द्वारा उन्हें विशिष्ट प्रदर्शन के लिए यह पुरस्कार मिला।

इसके अतिरिक्त, डॉ. सिंह को कई विश्वविद्यालयों द्वारा मानद उपाधियाँ भी दी गई हैं। इनमें कैम्ब्रिज,ऑक्सफोर्ड और अन्य प्रमुख विश्वविद्यालय शामिल हैं।

डॉ. मनमोहन सिंह का निधन एक बड़ी राष्ट्रीय क्षति है। वे भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के एक महान नेता थे,जिन्होंने अपने कार्यकाल में देश को नई दिशा दी। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा और उनका जीवन युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा। उनके निधन के बाद,देश ने शोक और सम्मान की भावना के साथ उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। उनके द्वारा किए गए कार्य और उनका नेतृत्व भारतीय इतिहास में हमेशा एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में दर्ज रहेगा।