नई दिल्ली,23 अप्रैल (युआईटीवी)- जम्मू-कश्मीर के दक्षिणी हिस्से में स्थित प्रमुख पर्यटक स्थल पहलगाम मंगलवार को एक दर्दनाक और वीभत्स आतंकी हमले का गवाह बना। सेना की वर्दी पहने आतंकवादियों ने बायसरन घाटी में पर्यटकों को निशाना बनाते हुए अंधाधुंध गोलियाँ बरसाईं,जिससे कम-से-कम 26 लोगों की जान चली गई और करीब 20 अन्य लोग घायल हो गए। यह हमला न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक चेतावनी है कि आतंक का चेहरा कितना निर्मम हो सकता है।
घटना के प्रत्यक्षदर्शियों और प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार,आतंकी बायसरन घाटी में सेना की वर्दी पहनकर पहुँचे। उन्होंने पर्यटकों से पहले उनका नाम और धर्म पूछा, पहचान पत्र माँगे और फिर उन्हें “हिंदू” पहचानते ही गोली मार दी। मारे गए 26 लोगों में अधिकांश पर्यटक हैं,जबकि दो विदेशी नागरिक और दो स्थानीय लोग भी इस हमले का शिकार हुए। हालाँकि,सरकार की ओर से फिलहाल 16 मौतों की आधिकारिक पुष्टि की गई है।
इस गंभीर आतंकी हमले के बाद भारत सरकार की ओर से तत्काल प्रभाव में उच्चस्तरीय सक्रियता देखी गई। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपनी 11 दिवसीय अमेरिका और पेरू की आधिकारिक यात्रा को बीच में ही छोड़ने का फैसला किया है। वित्त मंत्रालय ने बुधवार को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट जारी कर कहा, “केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण अमेरिका-पेरू की अपनी आधिकारिक यात्रा बीच में ही छोड़ रही हैं। वे इस कठिन और दुखद समय में हमारे लोगों के साथ रहने के लिए जल्द-से-जल्द उपलब्ध उड़ान से भारत वापस आ रही हैं।”
उनकी यह तत्परता इस बात को दर्शाती है कि सरकार इस घटना को लेकर कितनी गंभीर है और पीड़ितों के साथ पूरी संवेदनशीलता से खड़ी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी घटना की गंभीरता को देखते हुए सऊदी अरब का अपना दौरा तुरंत स्थगित कर दिया और मंगलवार रात ही भारत के लिए रवाना हो गए। बुधवार सुबह वे दिल्ली पहुँचे और तुरंत इस मुद्दे पर एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाने की तैयारी की।
हमले के बाद जारी अपने बयान में पीएम मोदी ने कहा, “मैं इस आतंकी हमले की सख्त निंदा करता हूँ। जान गंवाने वालों को मेरी श्रद्धांजलि। सरकार पीड़ितों को हर जरूरी सहायता देगी। जो भी इस घटना के पीछे हैं,उन्हें न्याय के कठघरे में लाया जाएगा। उनका शैतानी एजेंडा कभी सफल नहीं होगा। आतंकवाद से लड़ाई का हमारा संकल्प इससे डिगेगा नहीं,बल्कि और मजबूत होगा।”
इस क्रूर हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने देर रात कई संदिग्धों को हिरासत में लिया है। प्रारंभिक जाँच में इसे पूर्व-नियोजित और सुनियोजित हमला माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य न केवल देश में डर फैलाना था, बल्कि साम्प्रदायिक तनाव भी भड़काना था।
आतंकियों की पहचान और उनके स्थानीय संपर्कों की छानबीन की जा रही है। खुफिया एजेंसियों के अनुसार,हमले की साजिश सीमापार से रची गई हो सकती है और इसमें स्थानीय सहयोग की भी संभावना से इंकार नहीं किया जा रहा है।
हमले के विरोध में बुधवार को जम्मू बंद रखा गया है। कई संगठनों और सामाजिक समूहों ने इस हमले की सख्त निंदा की है और दोषियों को फाँसी देने की माँग की है। सोशल मीडिया पर भी लोगों का गुस्सा और दुख साफ देखा जा सकता है।
पहलगाम हमला सिर्फ एक आतंकी घटना नहीं,बल्कि इंसानियत पर हमला है। मासूम पर्यटकों को सिर्फ धर्म के आधार पर मौत के घाट उतार देना इस बात की पुष्टि करता है कि आतंकवादियों का एजेंडा न केवल रक्तपात है,बल्कि समाज को तोड़ना भी है,लेकिन भारत सरकार का सख्त रुख,अंतर्राष्ट्रीय समर्थन और जनता की एकजुटता यह स्पष्ट संदेश देती है कि आतंक का कोई भविष्य नहीं है।
भारत न केवल अपने नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देगा,बल्कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक अभियान में भी अपनी निर्णायक भूमिका निभाएगा। यह समय शोक का है,लेकिन साथ ही यह समय दृढ़ संकल्प का भी है।