बेंगलुरू, 13 दिसंबर (युआईटीवी/आईएएनएस)| कर्नाटक में जीका वायरस के पहले मामले की पुष्टि के बाद से स्वास्थ्य विभाग हाई अलर्ट पर है। उत्तरी कर्नाटक के रायचूर जिले की पांच साल की बच्ची में इस वायरस की पुष्टि हुई है।
राज्य सरकार ने इसका संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य विभाग को मंगलवार से इस बीमारी की रोकथाम के लिए सभी एहतियाती उपाय शुरू करने का निर्देश दिया है।
विशेषज्ञों के अनुसार, राज्य में ठंड, बादल छाए रहने और बूंदाबांदी ने स्थिति को और जटिल बना दिया है, क्योंकि इन परिस्थितियों में वायरस तेजी से फैलता है।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ के. सुधाकर ने कहा कि सरकार स्थिति को संभालने के लिए पूरी तैयारी कर रही है। उन्होंने कहा कि पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी द्वारा किए गए परीक्षणों में बीमारी की पुष्टि हुई है।
बताया जा रहा है कि जीका वायरस से संक्रमित बच्ची को 13 नवंबर को बुखार आया था। माता-पिता ने उसे सिंधनूर के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया। वहां पता चला कि वह डेंगू बुखार से पीड़ित है। बाद में, लड़की को विजयनगर आयुर्विज्ञान संस्थान (वीआईएमएस) में शिफ्ट कर दिया गया और 15 नवंबर से 18 नवंबर तक इलाज किया गया।
डॉक्टरों ने यूरिन और ब्लड के सैंपल पुणे लैब में भेजे।
देश में पहला जीका वायरस 2020 में केरल में पाया गया था। जीका वायरस से प्रभावित व्यक्तियों में बुखार, शरीर में दर्द और जोड़ों में दर्द, दाने और कंजंक्टिवाइटिस के गंभीर लक्षण पाए जाते हैं।
जीका वायरस मुख्य रूप से संक्रमित एडीज प्रजाति के मच्छर के काटने से फैलता है। ये मच्छर आमतौर पर दिन के समय काटते हैं। यह रोग असुरक्षित संभोग और रक्त संचरण से भी फैलता है।