Tuberculosis

यूपी में टीबी मामलों की पहचान के लिए योगी सरकार ने शुरु किया अभियान

लखनऊ, 16 दिसंबर (युआईटीवी/आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मामलों की पहचान करने के लिए एक अभियान शुरू किया है। यह अभियान महीने की प्रत्येक 15 तारीख को टीबी के संदिग्ध मामलों पर फोकस करेगा। इस अभियान को ‘निक्षय दिवस’ का नाम दिया गया है, जिसके तहत राज्य में सभी स्वास्थ्य सुविधाएं संदिग्ध मामलों की जांच और परीक्षण प्रदान करेंगी।

आशा कार्यकर्ता डोर-टू-डोर अभियान चलाएंगी और संदिग्ध मामलों की पहचान करने का प्रयास करेगी।

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा, आशा कार्यकर्ताओं के अलावा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। मरीजों की पहचान होने के बाद उनका इलाज भी किया जाएगा।

आशा कार्यकर्ता संदिग्ध मामलों को निकटतम स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों में लाएगी और सीएचओ उस मामले में प्राइमरी टेस्ट करेंगे। लक्षणों के अनुसार टेस्ट में एचआईवी, डायबिटीज शामिल हो सकते हैं।

एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल डॉक्टर्स के महासचिव डॉ अभिषेक शुक्ला ने कहा, टीबी के प्रसार को शीघ्र निदान के माध्यम से रोका जा सकता है। इसलिए, अभियान जो हर महीने प्रभावी ढंग से चलेगा, टीबी के मामलों की पहचान करने और बीमारी के प्रसार को रोकने में मदद करेगा, क्योंकि मरीजों का इलाज शुरूआती चरण में ही शुरू हो जाएगा।

आशा कार्यकर्ता यह सुनिश्चित करेंगी कि एक बार मरीजों की पहचान और पंजीकरण के बाद निक्षय पोर्टल में उनका बैंक विवरण भर दिया जाए, ताकि रोगी/लाभार्थी के बैंक खाते में 500 रुपये प्रति माह की वित्तीय सहायता भेजी जा सके।

प्रमुख सचिव ने कहा कि 30 फीसदी मरीजों की पहचान अस्पतालों द्वारा की जाती है। निजी चिकित्सकों को भी अपने टीबी मरीजों को सूचित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

शर्मा ने कहा, बीच में इलाज छोड़ने वाले टीबी मरीजों की सूची तैयार की जानी चाहिए और अस्पताल के ओपीडी में 10 प्रतिशत मरीजों का परीक्षण किया जाना चाहिए।

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