भारतीय रिजर्व बैंक

मुफ्त मासिक सीमा से ज्यादा एटीएम ट्रांजेक्शन करने पर 1 जनवरी से 21 रुपये लगेगा शुल्क

नई दिल्ली, 11 जून (युआईटीवी/आईएएनएस)- तय सीमा के बाद एटीएम ट्रांजेक्शन के लिए अब लोगों को अपनी जेबें और ढीली करनी पड़ेगी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को मुफ्त मासिक सीमा से ज्यादा बार एटीएम से लेन-देन करने वाले ग्राहकों से ज्यादा शुल्क लेने की इजाजत दे दी है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को अनुमति दी है कि वे एक जनवरी 2022 से एटीएम से मुफ्त ट्रांजेक्शन की सीमा से अधिक नकद निकासी पर शुल्क 20 रुपये से बढ़ाकर 21 रुपये प्रति लेन-देन कर सकते हैं।

ग्राहक अपने स्वयं के बैंक एटीएम से हर महीने पांच मुफ्त लेन-देन (वित्तीय और गैर-वित्तीय लेनदेन सहित) के लिए पात्र हैं। वे अन्य बैंक के एटीएम से मुफ्त लेन-देन (वित्तीय और गैर-वित्तीय लेनदेन सहित) के लिए भी पात्र हैं। मगर महानगरों में अन्य बैंकों के एटीएम से तीन बार मुफ्त लेन-देन किया जा सकता है। छोटे शहरों में दूसरी बैंकों से महीने में पांच बार मुफ्त लेन-देन किया जा सकता है।

अगर ग्राहक इस सीमा से अधिक बार पैसा निकालता है तो उसे शुल्क के तौर पर 20 रुपये प्रति लेनदेन देने पड़ते हैं।

आरबीआई ने गुरुवार को जारी एक अधिसूचना में कहा, उच्च इंटरचेंज शुल्क को लेकर बैंकों को क्षतिपूर्ति करने के लिए और लागत में सामान्य वृद्धि को देखते हुए, उन्हें ग्राहक शुल्क को प्रति लेनदेन 21 रुपये तक बढ़ाने की अनुमति दी गई है। यह वृद्धि 1 जनवरी, 2022 से प्रभावी होगी।

इसके अलावा रिजर्व बैंक ने एक अगस्त, 2021 से प्रभावी, बैंकों को वित्तीय लेन-देन के लिए प्रति लेन-देन इंटरचेंज शुल्क 15 रुपये से बढ़ाकर 17 रुपये और सभी केंद्रों में गैर-वित्तीय लेन-देन के लिए यह शुल्क पांच रुपये से बढ़ाकर छह रुपये करने की अनुमति भी दी है।

आरबीआई ने जून 2019 में मुख्य कार्यकारी, भारतीय बैंक संघ की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था, जिसके पास एटीएम लेन-देन के लिए इंटरचेंज संरचना पर विशेष ध्यान देने के साथ ऑटोमेटेड टेलर मशीन (एटीएम) शुल्क ????की समीक्षा करने की जिम्मेदारी है।

समिति की सिफारिशों की व्यापक जांच की गई है। बता दें कि एटीएम लेनदेन के लिए इंटरचेंज शुल्क संरचना में अंतिम परिवर्तन अगस्त 2012 में किया गया था, जबकि ग्राहकों द्वारा देय शुल्कों को अंतिम बार अगस्त 2014 में संशोधित किया गया था।

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