वाशिंगटन,12 अप्रैल (युआईटीवी)- व्हाइट हाउस द्वारा हाल ही में लिया गया एक नया निर्णय अमेरिका में रहने वाले विदेशी नागरिकों के लिए बड़ी चिंता का कारण बन गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने घोषणा की है कि अब अमेरिका में 30 दिनों से अधिक समय तक रहने वाले हर विदेशी नागरिक को अनिवार्य रूप से संघीय सरकार के पास पंजीकरण कराना होगा। इस निर्देश का पालन न करने पर संबंधित व्यक्ति को जुर्माना,कारावास और यहाँ तक कि निर्वासन जैसी कड़ी सज़ाओं का सामना करना पड़ सकता है।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट,जो ट्रंप की सहायक भी हैं,ने प्रेस वार्ता में कहा, “संयुक्त राज्य अमेरिका में 30 दिनों से अधिक समय तक रहने वाले सभी विदेशी नागरिकों को अब संघीय सरकार के साथ पंजीकरण करना होगा। ऐसा नहीं करना एक अपराध है,जिसकी सज़ा जुर्माना,जेल,निर्वासन या इन सभी के रूप में दी जा सकती है।” उन्होंने आगे चेतावनी दी कि यदि कोई व्यक्ति पंजीकरण नहीं कराता है,तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है,देश से निकाल दिया जाएगा और भविष्य में अमेरिका में दोबारा प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
यह निर्णय दूसरे विश्व युद्ध के समय के “एलियन रजिस्ट्रेशन एक्ट” पर आधारित है। यह अधिनियम उस समय लागू किया गया था,जब अमेरिका को विदेशी हस्तक्षेप और जासूसी का खतरा था। दशकों बाद इस कानून का पुनः उपयोग ट्रंप प्रशासन द्वारा किया गया है,जिसे अब अमेरिका में राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर लागू किया जा रहा है।
यह नया निर्देश अमेरिकी जिला न्यायाधीश ट्रेवर एन.मैकफैडेन के एक महत्वपूर्ण निर्णय के बाद लागू हुआ,जो ट्रंप द्वारा नियुक्त किए गए थे। न्यायाधीश ने उन वकालत समूहों की कानूनी चुनौती को खारिज कर दिया,जो इस आदेश को रोकना चाहते थे। न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि वादियों के पास इस नियम के खिलाफ पर्याप्त कानूनी आधार नहीं है। इस फैसले से ट्रंप प्रशासन को इस निर्देश को लागू करने की पूरी छूट मिल गई।
नए नियम के अंतर्गत,अमेरिका में रहने वाले विदेशी नागरिकों,जिनमें वीजा धारक, छात्र,कर्मचारी और यहाँ तक कि ग्रीन कार्ड धारक (कानूनी स्थायी निवासी) भी शामिल हैं को हर समय अपने पंजीकरण का प्रमाण साथ रखना अनिवार्य होगा। अमेरिका के गृह सुरक्षा विभाग (डीएचएस) ने स्पष्ट किया है कि 11 अप्रैल, 2025 के बाद जो भी व्यक्ति अमेरिका में प्रवेश करता है,उसे 30 दिनों के भीतर अपना पंजीकरण कराना होगा।
इतना ही नहीं,14 वर्ष की आयु पूरी कर चुके बच्चों को भी दोबारा पंजीकरण कराना होगा और अपनी उंगलियों के निशान (फिंगरप्रिंट) देने होंगे,चाहे उनका पहले से कोई पंजीकरण हुआ हो या नहीं। यह प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल होगी,लेकिन जिन व्यक्तियों के पास डिजिटल पहुँच नहीं है,उन्हें सरकारी कार्यालयों में जाकर पंजीकरण कराना होगा।
कई अप्रवासी अधिकार संगठनों ने इस नियम पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि यह आदेश न केवल अप्रवासियों की निजता और स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है, बल्कि इससे व्यापक सामाजिक डर और भेदभाव की भावना को भी बढ़ावा मिलेगा। अमेरिका में पहले से ही रह रहे कई अप्रवासी समुदाय इस घोषणा के बाद भय और अनिश्चितता की स्थिति में हैं।
हालाँकि,प्रशासन का दावा है कि यह कदम अमेरिका की आंतरिक सुरक्षा और कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए उठाया गया है। कैरोलिन लेविट ने कहा, “हमारे देश में कौन है,यह जानना हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक है। हम अपने आव्रजन कानूनों को चुनिंदा रूप से लागू नहीं कर सकते। कानून, कानून है और सभी को उसका पालन करना होगा।”
इस नियम के समर्थन में ट्रंप प्रशासन का कहना है कि अमेरिका को गैरकानूनी अप्रवासन और अवैध गतिविधियों से सुरक्षा देने के लिए यह कदम आवश्यक है। प्रशासन का दावा है कि यह नीति अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोपरि रखते हुए तैयार की गई है।
यह नई नीति एक बड़ा बदलाव है,जो अमेरिका की आव्रजन व्यवस्था में सख्ती और निगरानी को बढ़ाने की दिशा में उठाया गया है। हालाँकि,प्रशासन इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ कर देख रहा है,लेकिन इसके सामाजिक और मानवीय परिणामों पर बहस जारी है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस नियम का व्यावहारिक प्रभाव क्या होता है और अमेरिका में रहने वाले लाखों अप्रवासी इसे कैसे अपनाते हैं या इसका विरोध करते हैं।